अधिवक्ता संजीव मिश्रा

Tragedy

3.6  

अधिवक्ता संजीव मिश्रा

Tragedy

प्यार में समाजसेवा

प्यार में समाजसेवा

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समीर-अंजली को कालेज टाईम से जानता है और वह जिस कालेज में एडमीशन कराती है समीर वहीं उसके साथ उसी कालेज में उसी डिग्री को जाता क्योंकि समीर अंजली का पहला प्यार पसंद करता है और वह उसकी हर पसंद को अपनी पसंद बना रहा था,आखिर एक दिन बातचीत शुरु हो ही गई।


समीर-अंजली आज कक्षा आठ से लेकर बीए तक हम तुम एक ही कालेज में पढ़ते रहे और आज गणतंत्र दिवस पर हमने आपसे बात करने की हिम्मत जुटाई है तो क्या हम आपके साथ दो बातें आजादी से फुर्सत के पल दो पल दिल की बातें कर सकते हैं।


अंजली-समीर हां कहो आज मेरा मन भी आपसे कुछ कहने को है ऐसा नियती में है कि हम हमेशा के लिये मिलें न मिले वह तय करेगी.. फिलहाल.. समीर तुम अपने दिल की बात कहो फिर मैं तुमसे कुछ कहती हूं।


समीर-अंजली पहले तो इन मेरे हाथों की लकीरों में देखो जिसने आपकी हर पसंद को अपना पसंद बना डाला है.. फिर मुझे देखो जो तुम्हें पिछले पांच साल से अपने साये से रूबरु कराता रहा, तुम्हारे साथ मेरा साया था और मैं पीछे पीछे मंद मंद चलता था कुछ कदम फिर किसी बहाने रुक जाता था दोस्तों से मिलने के लिये, और दोस्तों को कभी एहसास न हुआ कि आप मेरी पसंद हो, और कालेज के बाद कभी हमने आपके दीदार को पीछा न किया होगा..


अंजली-हां समीर यह तो है.. यह बात हमने नोटिस की है इन पांच सालों में कि आप कभी कालेज के सिवा कहीं और नहीं दिखे कभी मुझे समीर..


समीर-अंजली आज तक का एहसास कैसा रहा मेरे इस तरहां अपने दिल की बात को कहने का मतलब तो आप समझ ही गईं होंगी... अंजली.. मैंने यह कुछ पल जिंदगी में आपको अपना हमसफर बनाने की गुजारिश में मांगे हैं.. क्या आप सजदा करेंगी मेरे प्यार पर.. मेरे इन थर्रथराते होंठों पर यकीन करती हैं कि यह मेरे दिल की जुबां और सच्चे प्यार को ठहरे हुये दरिया की तरह जो आज उफान भर रहा है वह सच ही बयां कर विश्वास पर ही जिंदा होने का यकीन कर रही है.. जिसे अंजली हमने अपने दिल में बसा रखा है उस सच और विश्वास की मूरत हो आप अंजली.. क्या सच में आप मेरी जीवन की बैसाखी बनोगी जो उम्र भर मेरे जज्बातों का ख्याल रख सके जो कभी हमे् कमजोर न समझे जबतक कि हम उसकी राह में साथ चलने के काबिल न रहें।


अंजली-समीर मैंने इस जन्म में हमेशा ही आपको चाहा और आज इतने दिनों के बाद जो आपने प्यार जताने की हिम्मत दिखाई यही मेरी ताकत है जो आपको सर्वप्रथम एक अच्छे दोस्त फिर प्यार के रुप में पाया है। अब इस मुलाकात पर मेरे प्यार को मेरा भगवान सदा खुश और सलामत रखे चाहे जान हमारी जाये समीर.. तुम्हारा दामन नहीं छोड़ेंगे।


समीर-अंजली क्या आप सच में मेरे जीवन का एक अनमोल हिस्सा बनेंगी जिसे मैं अपनी चाहतों से सजा पाऊंगा..


अंजली- आपको यकीन नहीं होता तो मेरी परीक्षा ले सकते हो "मैं कलयुग की नारी जाति में जरुर हूं लेकिन संस्कृति से भारतीय सती हूं"...।


समीर-अंजली अब हमारे रिश्ते बनेंगे तभी जब हमारे मां-बाप चाहेंगे क्योंकि जितना सम्मान हम एक दूसरे का करते हैं उतना ही सम्मान हमें अपने परिवार की भावनाओं उनकी उम्मीदों उनकी प्रथाओं, उनके जाति धर्म रिवाजों का सम्मान करना होगा। यह सब गुण सूत्र अगर हम अपने व्यवहार अपने सच्चे भावनात्मक प्यार की पूजा में बाधक मिले तो यह रिश्ता हमारे जीवन का तय नहीं होगा क्योंकि यह बाधायें एक परिवार समाज का साथ बनाये रखने की आधार शिलायें हैं। जिन्हें हम सिर्फ अपनी खुशी के लिये खत्म नहीं कर पायेंगे। क्योंकि हम लोगों को मिलकर भी परिवार बनाना है जो दो परिवारों को बिखेर कर बनेगा तो जीवन की कोई खुशी नशीब न होगी..अंजली प्यार में हमें यह पहले सोचना है।


अंजली-इसका मतलब आप इन सबके खिलाफ नहीं जायेंगे तो हम कैसे मिल पायेंगे इस जीवन में।


समीर-अंजली भले ही हम लोगों के जिस्म की वासना इस जीवन में एक न हों लेकिन मेरे आदर्शों में आप मेरे जीवन का एक हिस्सा रहोगी जिसे कभी भुलाया ना जा सकेगा। 


अंजली-फिर क्या हमें आपसे जानबूझकर अपने दिल के अरमानों का गला घोंटकर जाना होगा जिसे उम्र भर तन्हा ही रोना होगा, आखिर अब क्या होगा यह बताईये समीर आपने तो धर्म संकट में डाल दिया प्यार को भी जिसकी उम्मीद हमारी आप हो.. और अभी प्यार की शुरुआत है जो वर्षों से जमींदोज होकर अब अंकुर बनकर फूटा है और आप उसे सींचने के बजाय खत्म करना चाहते हैं।


समीर - देखो अंजली, हमारे जीवन का मुकाम है इस समाज को बदलना और हमें आप जैसे शागिर्द की तलाश है और यदि हम देश समाज के लिये परिवार से क्रांति करते हैं, विवाह न करने की क्रांति करते हैं, अनाथ बच्चों को पालने का संकल्प लेते हैं मिलकर तो हमारे जीवन की यही सोच समाज में क्रांति के साथ हमारे प्यार का किस्सा बनेगी.. यह जिंदगी और हम मिलकर अपने प्यार को अमर कर देंगे इस देश समाज को भारत को बदलने में..मेरा यही प्यार करने का अंदाज है और आपको सिर्फ इसलिये चाहता हूं कि आप भी समाज सेवा में विश्वास करती हैं.. इसलिये मेरी चाहत उम्रभर आपका साथ पाने की है। देश समाज में कुछ कर गुजरने की तमन्ना है..क्या आपका साथ रहेगा जैसा कि आपका सपना है एक अच्छे लीडर का बनना जिसे हम लोग मिलकर पूरा करें।


अंजली-समीर मेरा मन हमेशा समाज की समस्याओं को लेकर विचलित तो होता रहता है मगर यह कैसे सम्भव है कि हम प्यार करके बिना घरवालों के अपनी नई दुनिया नहीं बसा सकते। आप ब्राह्मण हो मैं वैश्य हूं जाति की मगर प्यार में यह सब नहीं चलता है..प्यार करने वाले घर परिवार की परवाह नहीं करते।


समीर-अंजली जब आप समाज की बात करती हैं तो आपको यह भी समझना चाहिये कि परिवार ही समाज का हिस्सा हैं जिन्हें हम नहीं तोड़ सकते और यह जाति धर्म हमारे समाज की पाबंदियां है जो समाज को बनाये रखती हैं इन्हें तोड़कर कोई खुश नहीं रह पाता है। 


अंजली-समीर तो हमें क्या करना होगा आपको पाने के लिये आज तो इतने साल पुराने प्यार का इजहार हुआ फिर एहसास हुआ और आप समाज के लिये शुरुआत से पहले ही खत्म कर देना चाहते हैं..


समीर-अंजली तुम प्यार की गहराई को समझो मैंने आपको अपना शागिर्द बनाने के लिये चुना है ना कि प्यार को हवस बनाकर दो परिवारों को खत्म करने के लिये चुना है। फिर मेरे जीवन का हिस्सा ही समाज है और उसमें सिर्फ आपका प्यार शामिल है जो देश समाज की सेवा के लिये है न कि मेरी हवस को है।


अंजली-समीर मेरा मन हमेशा समाज सेवा में नाम कमाना है मगर इसके बदले मैं आपको खोना नहीं चाहती।


समीर-अंजली तुम मुझे खो नहीं रही हो बल्कि समाज के लिये पा रही हो अगर तुम घर पर शादी न करके जीवन भर समाज सेवा करने की क्रांति करोगी तो मुझे और मेरा साथ समाज के लिये सदा पाओगी।


अंजली-ठीक है जल्दी ही कभी मौका मिलने पर पापा से बात करती हूं..


समीर-अंजली तो फिर ठीक है हम बाद में बात करेंगे परिवार से मिलकर क्योंकि अब इस तरह प्यार को बदनाम करने से क्या फायदा जब मिशन बन गया हो यह देश समाज और परिवर्तन, अब इस प्यार गुमनाम ही रहने दो हमारा मिशन है भारत सेवा।


अंजली-समीर आप तो बहुत बड़े प्रेमी की जगह समाजसेवी निकले..आपसे मिलकर अच्छा लगा।


समीर-ठीक है अंजली...अब चलो बहुत देर हो गई. .जैसी आपकी आज्ञा देवी जी..चलो अब चलते हैं।


फिर मिलने वादा करके मिलने के सत्रह दिनबाद अचानक एक दिन अंजली की खबर आई-जिसने समीर की दुनिया ही बदल दी...


यह दुनिया ऐसा गम था जिसको समीर सह न सका आज 8 साल बाद भी वह भुला न सका अंजली को जिसकी पसंद को उसने अपनी पसंद बना लिया। इन आठ सालों में अंजली से बिछड़ने के बाद भी अंजली समीर के दिल में उसकी बैसाखी बन आज भी मरकर जिंदा है और समीर आज भी अंजली के नाम से समाज सेवा कर रहा है और उसके नाम से एक अनाथालय खोलने के विचार में जी रहा है।


समीर और अंजली एक दूसरे को बहुत चाहते थे मगर इससे पहले वह समाज परिवार को प्यार करते मानते थे और वो किसी भी कीमत पर अपने प्यार के लिये अपने परिवार को या समाज को छोड़ना नहीं चाहते थे।मगर नियति को यह मंजूर नहीं था कि अंजली और समीर मिलकर मोहब्बत की एक नई पटकथा लिखते देश समाज और उसके इतिहास को बदलते। मगर समीर अंजली की एक्सीडेंटल मौत के बाद अकेला ही चल पड़ा समाज की ओर समाज के लिये फिर एक अंजली बन शागिर्द की तलाश में है।


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