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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

मुजाहिदें

मुजाहिदें

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मुश्किल नहीं लेकिन मुश्किलें आ जाती हैं,

देश में जाने कहां से मुजाहिदें पैदा होती हैं।

तलबगार नहीं कोई आतंक के तबीबों का, 

फिर जाने क्यों आतंक है जिहादियों का।

धरी रह जाती हैं उरी में मिशायलें और

पुलवामा में चीखें हमारी।

यह बिडम्बना है सत्ता के लिये हल नहीं

और कश्मीरिएत हमारी।

सेना हमारा गौरव और हमारा स्वाभिमान है,

स्वाभिमान पर चोट मतलब खत्म पाकिस्तान है।


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