Kumar Vikrant

Crime

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Kumar Vikrant

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पुलिस का पंजा

पुलिस का पंजा

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इंजिनीरिंग की फाइनल ईयर की स्टूडेंट सरिता ने जब उस विशालकाय बैडरूम में पैर रखा तो उसे अहसास हो गया कि आज उसका कस्टमर बहुत ही धनी व्यक्ति है जो उसे पैसे के साथ कुछ न कुछ इनाम जरूर देगा। वो कालू तो उसकी कमाई का सारा पैसा खुद ही हड़प कर चिल्लर उसके हाथ पर रख देता है, ये ऊपर का जो इनाम उसे मिलता है वो तो कम से कम खुद ही रख सकती है। 

"आराम से बैठ जाओ।" एक अज्ञात मर्दाना आवाज ने उसे निर्देश दिया। 

सरिता ने चारों तरफ गौर से देखा और, आवाज बाथरूम से आई थी। उसने मुस्कुरा कर अपना पर्स उस बड़े से कमरे के कोने में रखी एक मेज पर रख दिया और बेड पर जा बैठी, आखिर उसका असली ठिकाना तो उस बैडरूम का बड़ा सा बेड ही था। 

थोड़ी देर बाद बाथरूम से एक विशालकाय आदमी निकला जिसके शरीर पर सिर्फ एक बॉक्सर था। उस आदमी ने गौर से सरिता की तरफ देखा और भारी आवाज में बोला, "अनड्रेस बेबी।"

दो घंटे बाद सरिता ने उस आदमी से पाँच हजार रूपये लेकर अपने पर्स में डाले और उस आदमी की तरफ मुस्कुरा कर देखा लेकिन वो बेड पर लेटा सिगरेट के छल्ले उडाता रहा, उसका इनाम देने का कोई इरादा न लगा। 

"कमीना कहीं का......" कहते हुए सरिता उस कमरे के बाहर निकलने के लिए आगे बढ़ी। तभी एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर और चार महिला कॉन्स्टेबल ने उस कमरे में पैर रखा। 

"चल वापिस बेड पर बैठ जा।" वो महिला इंस्पेक्टर गंभीर स्वर में बोली, "डेविड तेरा काम खत्म, अब यहाँ से दफा हो जा, तुझे तो सिर्फ ट्रेलर दिखाने को कहा था तूने तो पूरी फिल्म ही दिखा दी, सच कह रही हूँ अगर तू पुलिस का खबरी न होता तो तुझे जेल में सड़ा देती।"

उस महिला पुलिस इंस्पेक्टर की बात सुनकर बेड पर लेटा हुआ कद्दावर भाग कर बैडरूम से बाहर निकल गया। 

"क्या है ये सब? मुझे क्यों परेशान कर रही हो, मैंने जो किया अपने बॉय फ्रेंड के साथ किया, तुमको क्या तकलीफ है?" सरिता झूठा साहस दिखाते हुए बोली। 

"वो तेरा बॉय फ्रेंड नहीं पुलिस का खबरी है और ये बात वो अदालत में खड़ा होकर कहेगा।" महिला पुलिस इंस्पेक्टर उसी गंभीर स्वर में बोली। 

"मुझे अरेस्ट करने की हिम्मत न करना, मेरा वकील अदालत में तुम्हारी धज्जियां उड़ा देगा।" सरिता गुर्रा कर बोली। 

"जरा इसके वकील को लाओ।" महिला पुलिस इंस्पेक्टर ने साथ आई महिला सिपाही को कहा। 

दो मिनट बाद वो महिला सिपाही कालू की गर्दन पकड़ कर उसी कमरे आई। 

"क्यों तू ही मैनेजर है न इसका?" महिला पुलिस इंस्पेक्टर ने कालू से कड़क आवाज में पूछा। 

कालू ने डरी हुई निगाहों से सरिता की तरफ देखते हुए हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। 

"क्या चाहती हो आप?" सरिता विनम्र स्वर में बोली। 

"मैं क्या चाहती हूँ यह जरूरी नहीं है, जरूरी यह है कि तुम क्या चाहती हो, तुम रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर नहीं हो लेकिन फिर भी धंधा करती हो। क्यों करती हो मुझे मतलब नहीं है बस इतना समझ लो आज के बाद कहीं धंधा करती नजर आई तो मेरे पास तुम्हारे खिलाफ इतने सबूत और गवाह है कि तुम बहुत लंबी नापोगी।" महिला पुलिस इंस्पेक्टर गंभीर स्वर में बोली। 

महिला पुलिस इंस्पेक्टर की बात सुनकर सरिता थोड़ा डर गई और बोली, "सॉरी मैडम अब ऐसा नहीं करूँगी।"

"तू चाह कर भी नहीं कर सकेगी, तू ये धंधा कर या किसी और को इस धंधे में डालने की कोशिश कर फिर तू देखना कैसे तेरा जुलूस निकाल कर तेरे हॉस्टल से बाहर निकालती हूँ तुझे। तेरी जैसी लड़कियों का इलाज मैं जानती हूँ। तेरे जैसी लड़की के कारण ही मेरी छोटी बहन न केवल बर्बाद हुई बल्कि उसे अपनी जान खुद ही लेनी पड़ी। दिल तो करता है अभी तुझे घसीटते हुए थाने लेकर जाऊं लेकिन अपनी छोटी बहन की याद की खातिर तुझे बस एक मौका दे रही हूँ, या तो सुधर जा या जेल जाने के लिए तैयार हो जा; और तेरे ऊपर नीचे जो भी कॉन्टैक्ट है सबसे पूछ लेना इंस्पेक्टर देविका के पंजे में फंसकर कोई भी नहीं बचता है, जा अब निकल।" कहते हुए इंस्पेक्टर देविका उठ खड़ी हुई। 

सरिता तेजी से उस घर से निकल कर बाहर आई और इस गलत राह को छोड़कर सही राह पर चलने की कसम खाने लगी। 


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