पत्र जो लिखा तो था लेकिन भेजा
पत्र जो लिखा तो था लेकिन भेजा
प्यारे पतिदेव,
आज मैं आपके जन्म दिन के दिन आपको अपने लिखे पत्र से अपने मन की बात कहना चाहती हूं। मेरा रिश्ता आपके साथ बस ऐसे ही बन गया।
जब आपको मेरे पापा और मेरे चाचाजी ने देखा और पसंद कर लिया और हमारा रिश्ता फाइनल करने के लिए रोके की रस्म में हम दोनो परिवार मिलकर मेरे चाचाजी के घर गए। वहां आपसे मेरी बात करवाई गई कि बैठ कर बात कर लो क्योंकि तुम दोनो की लाइफ है, बात करेंगें... तो जान पहचान बनेगी दोनो को एक कमरे में भेज दिया गया।
कैसे आप और मैं एक दूसरे से सकुचाते हुए मिलने के लिए तैयार हुए थे...हम दोनों की हाय हेलो से बात शुरू हुई...
फिर आपस में एक दूसरे की पसंद और नापसंद को जानकर हम दोनों ने रिश्ते के लिए हामी भर दी और उसी दिन हमारा रोका कर दिया।
कुछ दिनों के बाद आपकी मम्मी ने मेरा मोबाइल नंबर आपको दे दिया फिर आपने मुझे कॉल किया हमारी बातें होने लगी। फिर मैंने आपसे आपका बर्थडे पूछा कब आता है तो आपने बताया कि 1 अप्रैल को। मुझे बहुत हँसी आई कि भगवान ने चुन कर दिन निकाला है आपके लिए.... अप्रैल फूल वाला दिन
आज मैं इस मंच के माध्यम से अपने पतिदेव को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं देना चाहती हूं
1अप्रैल का दिन है बहुत खास....
अप्रैल फूल वाले दिन एक फूल खिला,
जिसकी खुशबू से मेरा तन मन खिला,
ये फूल सदा महकता रहे, चहकता रहे,
हर पल हर क्षण हर वर्ष, फलफूलता रहे,
इस फूल पर निसार है मेरे दोनो जहां,
इस फूल से है मेरे होने का निशान,
तुम अगर साथ हो तो जिंदगी गुलज़ार है,
तुम अगर साथ हो तो राह में बहार है,
तुम्हारे साथ ही जीना अब तो मेरे यार हैं,
भगवान ने मुझे तुम्हें दिया ये उसका उपकार है।
पतिदेव आपको पाकर मैं बहुत खुश हूं और मेरा पत्र जो लिखा था लेकिन आपको कभी नही भेजा... आज इस मंच के माध्यम से मैं आपको जन्म दिन की शुभकामनाएं देती हूं....

