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Kumar Vikrant

Crime Thriller

4  

Kumar Vikrant

Crime Thriller

पथभृष्ट- रंग दे बसंती

पथभृष्ट- रंग दे बसंती

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"सर ये तीन हथियारबंद बदमाश डिफेन्स मिनिस्टर शास्त्री जी के बंगले के आस-पास भटकते हुए मिले है।" सब इंस्पैक्टर रवि ने तीन युवको को इंस्पैक्टर गरुड़ के समक्ष पेश करते हुए कहा।

"कौन से हथियार थे इनके पास?" इंस्पैक्टर गरुड़ ने एक सरसरी निगाह उन युवको पर डालते हुए सब इंस्पैक्टर रवि से पूछा।

"लोडेड रिवॉल्वर......." सब इंस्पैक्टर रवि ने तीन रिवाल्वर इंस्पैक्टर गरुड़ के सामने रखते हुए कहा।

"तुम लोगो के पास इन रिवॉल्वर के लायसेंस है?" इंस्पैक्टर गरुड़ उन तीनो युवको से पूछा।

उन युवको ने कोई जवाब नहीं दिया।

"सर तीनो बहुत ढीठ है, कुछ नहीं बता रहे है।" सब इंस्पैक्टर रवि बोला।

"मामला गंभीर लगता है, अभी इन्हे लॉक अप में बंद कर दो; अभी मुझे एक मीटिंग में जाना है शाम को फुरसत में बात करूँगा इनसे।" कह कर इंस्पैक्टर गरुड़ अपने ऑफिस से बाहर जाने के लिए उठ गया।

शाम को

"क्या नाम है तुम लोगो के?" इंस्पैक्टर गरुड़ ने पूछताछ कक्ष में उसके सामने बैठे तीनो युवको से पूछा।

वो तीनो युवक आँखों में उपहास लिए चुप ही रहे।

"मेरी बात को मजाक मत समझो, तुम तीनो एक मंत्री के आवास के पथ अवैध हथियारो के साथ गिरफ्तार हुए हो; तुम्हे लंबी सजा हो सकती है। इसलिए मुझे सच बात बताओ; हो सकता है मैं तुम लोगो की सजा कम कराने लिए कुछ कर सकूँ......" इंस्पैक्टर गरुड़ शांत स्वर में बोला।

"कुछ नहीं करोगे तुम हमारे लिए सिवाय थर्ड डिग्री देने के; वो भी देकर देख लो हम तुम्हें कुछ नहीं बताने वाले।" उन तीनो में से नाटे कद का युवक उपहास वाले स्वर में बोला। 

"थर्ड डिग्री से भी बुरी चीजे होती है लेकिन उस सब में मेरा विश्वास नहीं है.......रवि इन लोगों को लंच, शाम का चाय नाश्ता कुछ कराया?" इंस्पैक्टर गरुड़ ने पास में ही खड़े सब इंस्पैक्टर रवि से पूछा।

"सर लंच तो करा दिया था, शाम का चाय नाश्ता अभी नहीं कराया।" सब इंस्पैक्टर रवि ने जवाब दिया।

"तो हेड कांस्टेबल से कह कर इनके लिए अच्छा सा नाश्ता मंगा लो, तब तक मैं कपड़े चेंज करके आ जाता हूँ।" कह कर इंस्पैक्टर गरुड़ अपने क्वार्टर पर चला गया।

जब इंस्पैक्टर गरुड़ वापिस आया तो वो तीनो युवक नाश्ता कर रहे थे, नाश्ते में ढेर सारे पकोड़े और गुलाब जामुन उनके सामने रखे थे।

जब वो नाश्ता कर चुके तो इंस्पैक्टर गरुड़ ने पूछा, "कैसा था नाश्ता?"

"बिलकुल मस्त, इंस्पैक्टर तुम सरकारी पैसे का सही इस्तेमाल कर रहे हो, लेकिन इतना मस्का मारने के बाद भी तुम हम लोगों से कुछ भी न जान सकोगे।" इस बार उन तीनों में से दुबला और लंबा युवक हँसते हुए बोला।

"ये नाश्ता सरकारी पैसे से नहीं आया था, यह तो तुम जैसे लोगो के लिए मेरी कमाई के पैसे से आता है, रही मेरे सवालों का जवाब देने की बात वो तो तुम तीनो दस मिनट में बिना किसी जोर जबरदस्ती के ऐसे ही दे दोगे......." इंस्पैक्टर गरुड़ मुस्कराते हुए बोला।

"अरे वह क्या कॉन्फिडेंस है, तो ले लो अपने सवालों का जवाब।" इस बार तीसरा लड़का बोला।

"कॉन्फिडेंस तो बहुत है बेटे.......रवि उलटे टांग दो इन तीनो को।

दो मिनट बाद वो तीनो पूछताछ कक्ष में लगी एक एक सीलिंग बीम पर उलटे लटके नजर आ रहे।

"ये जुल्म है इंस्पैक्टर तू पछताएगा, मेरा बाप तुझे किसी लायक नहीं छोड़ेगा।" उनमे से एक बुरी तरह चिल्ला रहा था।

इंस्पैक्टर गरुड़ उनकी बातो पर ध्यान नहीं दे रहा था वो अपने साथ लाई फाइलों में उलझा रहा।

पाँच मिनट बाद उन तीनो ने जो पकोड़े और गुलाबजामुन खाये तो वो उनके मुँह और नाक से बह कर बाहर आने लगे, वो खांस रहे थे वो गालियां दे रहे थे। करीब दस मिनट बाद उनका हाल खराब हो गया और वो चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे हमे नीचे उतारो, पूछो जो पूछना है, हम सब बताने के लिए तैयार है।

सब इंस्पैक्टर रवि ने उन्हें नीचे उतारा और टेप रिकॉर्डर की तरह बोलने लगे। उन्होंने जो बताया उसके अनुसार उन तीनों के नाम दलजीत, करण और सुक्की थे। उनका एक दोस्त अजय राठौर वायुसेना में पायलट था, उसका फाइटर प्लेन खराब कलपुर्जो लगे होने की वजह से क्रैश हो गया और अजय मर गया। हम अपने दोस्त की मौत का बदला डिफेन्स मिनिस्टर को मार कर लेंगे क्योकि उसकी वजह से ही फाइटर प्लेन में खराब कलपुर्जो का इस्तेमाल किया गया, उसी ने पुर्जो की खरीद में दलाली खाई है।

"इन रिवॉल्वर से मारने चले हो डिफेन्स मिनिस्टर को? बेवकूफ हो तुम; तुम्हे पता है तुम्हारी इन रिवॉल्वर की जद में तो सिर्फ फ़िल्मी डिफेन्स मिनिस्टर ही आ सकते है रियल डिफेन्स मिनिस्टर की सिक्योरिटी तो इतनी टाइट होती है कि तुम उनकी परछाई भी न देख सको।

तुम मुझे पथभृष्ट लग रहे, अभी तो मैं तुम्हारा अवैध हथियार रखने के लिए तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तुम्हे जेल भेज रहा हूँ। जेल के बदमाशों की सोहबत या तो तुम्हारा बदला लेने का फितूर तुम्हारे सिर से उतार देगी या तुम भी उन जैसे बदमाश बनकर जेल से बाहर आओगे जिसका अंजाम बहुत ही बुरा होगा।" कहते हुए इंस्पैक्टर गरुड़ ने उन तीनों के बुझे हुए चेहरों पर एक नजर डाली और पूछताछ कक्ष से बाहर निकल गया।


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