Arunima Thakur

Horror

4.9  

Arunima Thakur

Horror

पता नही क्यों ?

पता नही क्यों ?

5 mins
472


यह कहानी मेरी है । मेरे हॉस्टल की। वह पहली बार जब मैं हॉस्टल पहुँची तो देख कर दंग रह गई । बचपन से ही हमें डराने के लिए मम्मी बोलती थी बात नहीं मानोगी तो हॉस्टल में डाल दूंगी । लगा बेकार डरती थी यह हॉस्टल तो अच्छी जगह है। चार मंजिला साफ-सुथरी इमारत, बीच में लॉन, बड़े-बड़े पेड़। सामान तो कुछ ज्यादा था नहीं, सब लड़कियों ने के साथ मैं भी अंदर घुस गई । 

वार्डन एक कठोर अनुशासित पर मुस्कुराते हुए चेहरे वाली महिला थी। उन्होंने मेरा नाम पुकारते हुए चाबी बढ़ायी। मैं चाबी ले पाती तब से एक लड़की चाबी लेकर चल दी। मैं ने सोचा शायद यह मेरी रूम पाटनर होगी। वह अपना सामान लेकर दरवाजा खोल कर अंदर गई। उसके पीछे पीछे मैं भी। वाह कितना सुंदर कमरा है । दो पलंग, दो अलमारी, दो कुर्सी मेज, सब कुछ मानो बीचो-बीच से बराबर से बांट दिया गया हो। दरवाजा भी बीचो बीच में था। यहां तक कि दोनों तरफ के स्विच भी दरवाजों के दोनों तरफ थे। बस एक खिड़की उस तरफ थी। मैं लपक कर खिड़की वाली तरफ अपना सामान जमा पाती, तब से वह लड़की "ब्यूटीफुल रूम" कहकर उस पलंग पर सामान रखकर लेट गयी। मैं चिल्लाई, "हटो यहां से, मैं अपना सामान यहाँ रखूंगी। यह पलंग मुझे अलाट हुआ है"। पर वह लड़की मेरी बातों को सुन ही नहीं रही थी। कितनी बेकार लड़की है। मैंने भी सोचा जाने दो पहले दिन क्यों लड़ाई झगड़ा मोल लेना । मैं ने मन मार कर दूसरी तरफ वाला हिस्सा ले लिया। सभ्यता के नाते मैंने उससे दो बार बोला, "हेलो मेरा नाम...."। पर ओह माय गॉड वह लड़की इतनी नकचड़ी कि उसने एक बार भी मुझे पलट कर नहीं देखा। मुझे बहुत बुरा लगा। फिर मैंने अपने आप को देखा, मैं कसकर के तेल लगाकर बाँधी गयी दो चोटी, सलवार कुर्ता पहनने वाली और वह गले के पास तक कटे घुँघराले बाल, थ्री फोर्थ पैंट, टी-शर्ट में कितनी प्यारी लग रही थी। मैं सोच रही थी कि यहां रहना है तो मुझे भी अपने व्यक्तित्व को बदलना होगा।


मैं अपने बिस्तर पर लेट गयी। वह मुझे नजरअंदाज करके किसी से अपने फोन पर बात कर रही थी। "हां अभी तो अकेली ही हूँ"। मैंने उसकी ओर देखते हुए सोचा कितना झूठ बोलती है आजकल की लड़कियां, खैर मुझे क्या। रात को खाना खाने के लिए जाते समय भी मैंने उससे बोला, "चलो खाना खाने चलते हैं"। पर वह शायद गहरी नींद में थी। मैंने उसे जगाने की कोशिश भी की फिर मैं अकेले ही निकल गई। जब मैं खाना खाकर आयी वह बड़बड़ा रही थी "मुझे उठने में देर हो गई। पता नहीं खाना मिलेगा भी या नहीं"। मैं सोच रही थी, नकचढ़ी कही की, मुझसे बात तो करती नहीं है । फिर भी इसको जगाया और यह फिर भी बोल रही है।


वह भागते हुए कमरे से बाहर निकल गयी। मैं लौट कर सोना चाहती थी पर मेरी नजर उसकी मेज पर रखी पुस्तक पर पड़ी।मैं उस पुस्तक को उठाकर देखने लगी । पुस्तक का शीर्षक था 'पारलौकिक शक्तियां और हम'। मैं भी पुस्तकें पढ़ने की बहुत शौकीन हूँ। मैं उसकी मेज पर से पुस्तक उठाकर अपने बिस्तर पर लेट कर पढ़ने लगी। तभी वह खाना खाकर आ गयी। मैं ने पुस्तक वहीं मेरे बिस्तर पर रख दी। मैं उससे पूछना चाहती थी कि क्या वह पारलौकिक शक्तियों पर विश्वास करती हैं ? क्या उसकी पुस्तक मैं पढ़ सकती हूँ ? उसने अंदर आकर दरवाजा बंद किया । उसने मेरी ओर देखा भी नही। पुस्तक को मेरे बिस्तर से उठा कर के अपनी जगह पर रखा। वह कुछ बड़- बड़ कर रही थी। शायद से उसको मेरा पुस्तक को हाथ लगाना पसंद नहीं आया।


तभी दरवाजे पर दस्तक हुई । वह घबरा गयी। हां भाई हो सकता है सीनियर हो रैगिंग करने आए हो। उसने दरवाजा खोला, आठ नौ लड़कियां थी। सब मेरे बिस्तर पर बैठ गई। मैंने अपने पैरों को थोड़ा सा समेट लिया। वैसे तो मैं चिल्ला कर कहना चाहती थी, "अरे देख कर बैठो, मैं लेटी हूँ ना। पर वो सीनियर थी कहीं बुरा मान जाती तो इसलिए मैं कुछ नहीं बोली। उन्होंने मुझे सोते हुए देखकर शायद मेरी रैंगिग नही ली। पर मैं अपनी आँखे थोड़ा सा खोल कर सब देख रही थी। उस लड़की की तो क्या रैंगिग हो रही थी। गाना गाओ, घर के सब लोगों के नाम बताओ, कितने बॉयफ्रेंड हैं ? मैं सोच रही थी कि क्या मैं भी उठ कर बैठ जाऊं ? मज़ा तो बहुत आ रहा है । मैं उठ कर बैठी उसके साथ ही वह सब लड़कियाँ कमरे से बाहर निकल गई । मैंने उस लड़की से पूछा, "तुम ठीक तो हो ना"? उसने मुझे फिर कुछ जवाब नहीं दिया। अजीब लड़की है ना। वापस से किसी ने दरवाजा खटखटाया । शायद कोई लड़की अपना मोबाइल मेरे बिस्तर पर ही छोड़ गई थी। मैं उठी, मैं ने दरवाजा खोला। वह लड़की न जाने क्यों डरी सहमी नजरों से दरवाजे की ओर देख रही थी। इतनी बुरी तरह से तो उन्होंने रैगिंग नहीं ली थी, यह डर क्यों रही थी ? मैंने बिस्तर पर से मोबाइल उठाकर बाहर खड़ी लड़की की ओर बढ़ाया। वह भी बहुत डरी हुई थी। मोबाइल को देखकर वह चीख पड़ी। यह लड़की भी चीख रही थी, "भूत भूत"।


क्या वह मुझे देख सकती थी ? मैंने तो कुछ भी नहीं किया। किसी को भी परेशान नहीं किया । फिर यह सब मुझसे डरती क्यों है ?


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror