प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
एक ऐसा दिन जब जिंदगी ठहर गई .. आसमां शांत... सड़क सुनसान... रेल की छुकछुक बन्द... सब कुछ ठहर गया... शांत हो गया.. मनुष्य घर में बन्द और पशु -पक्षी निडर हो विचरण कर रहे... प्रकृति का बदला..... खूब हरेभरे पेड़ काट कंकरीट का जंगल बनाया ..... मनुष्य की सब कुछ अपनी मुट्ठी में बांध लेने की प्रवृति..... कुछ तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
लॉक डाउन... ... इतनी भयावहता लिए होंगी सोचा ना था... बाइस मार्च पहला दिन लॉक डाउन का.... बड़ी सहजता और थोड़ी उत्सुकता से निकला...एक दिन कामवाली बाई नहीं आई तो क्या हुआ... सब ने मिल बैठ पकवान का आनंद लिया.. आपस में समय बिताया .. पर फिर पंद्रह दिन का लॉक डाउन.... थोड़ी परेशानी, घबराहट लिए था... दिन भर सब घर में, कामवाली नहीं आएगी... दूध लाने नीचे गेट पर जाना... सब्जी, फल, राशन लाने की जद्दोजहद किसी युद्ध से कम ना थी... सोशल डिस्टेंस की धज्जियाँ उड़ते देखा... सबको लगता था ढेरों सामान ले लो हमें कम ना पड़े....हमी ध्यान से सोशल डिस्टेंस फॉलो कर रहे थे कुछ हमारे जैसे और थे जो फॉलो कर रहे थे...पर यंग जेनरेशन तो अपने को ज्यादा स्मार्ट समझती हैं... छोड़ो सब साठ प्लस वालों को होगा करोना... हम तो यंग हैं... पर यहाँ तो यंग की बात नहीं थी... मजबूत इम्म्यून सिस्टम की बात थी.... . कामवाली के ना आने पर घर के सदस्यो ने समझदारी दिखाई... काम को बाँट लिया... पर फिर भी जो गृहणी हैं उसका भार ज्यादा ही था.... काम के साथ समय का पता नहीं चलता था क्योकि थक कर रात गहरी नींद आ जाती थी.... एक प्रतीक्षा... पंद्रह दिन बाद सब ठीक हो जाएगा.... वैसे भी दो दिन थाली बजा ली, शंख बजा लिया, लाइट ऑफ कर लिया, हनुमान चालीसा पढ़ लिया गया.... अब तो कोरोना को भागना ही पड़ेगा..... पर स्थिति सम्भली नहीं फिर पंद्रह दिन का लॉक डाउन .... अब थोड़ा धैर्य जवाब देने लगा...... घर के सदस्य जो पहले उत्साह से काम का बंटवारा किया था अब काम से जी चुराने लगे.... अब थोड़ा डर लगने लगा न्यूज़ चैनल चीख चीख कर कोरोना की भयावह चित्रण कर रहे थे... इस टाइम अपना संयम बनाये रखने की मशक्कत करनी पड़ी.... रह रह कर घर बाहर लोगों की मानसिक स्थिति ख़राब हो रही..... जो सबल था दूसरे को समझाता ... जो आज सबल बन रहा कल वो निर्बल हो जाता और निर्बल सबल.... अजीब से मानसिक द्वन्द में सब जी रहे... आदमी की स्वतंत्रता ख़त्म हो गई।
फ्लैट में रहने वाले, जो व्यस्त जिंदगी के चलते, एक दूसरे को अच्छे से पहचानते भी नहीं थे, अब दिन रात बालकनी में लटके हुए हेलो....करने लगे... बात करने लगे... घर पर वर्क फ्रॉम होम करने वाले भी सुबह शाम पत्नी बच्चों को समय देने लगे.... बच्चों की जिन बाल लीलाओं को देखने और आनंद लेने से वंचित थे अब
जी भर आनंद ले रहे ... माता -पिता का भी हालचाल पूछने का समय मिल रहा.... बच्चों की ऑनलाइन क्लास से तो माँ की टीचर भी बनना पड़ा.... सबका मन लगा रहे तो एक बार फिर लूडो और कैरम की दुनिया लौट आई।
कोरोना पेशेंट को लेने जब अथॉरटी वाले एम्बुलेंस ले आते... अडोसी पडोसी डर से परेशान होने के बावजूद वीडियो बना ग्रुप में डालने से नहीं चूकते.... पेशेंट इस तरह एम्बुलेंस में सिर झुकाये जाता मानों उसने अपराध कर दिया ... वापस आएगा या नहीं एक भय लिए जाता पर वीडियो वाले उसकी मनस्थिति से अनजान वीडियो बनाने में लगे रहते ..... अब लोगों ने डिस्टेंस फॉलो करना शुरू कर दिया... क्योकि कोरोना को वैश्विक महामारी का नाम दिया गया... पूरी दुनिया ठहर गई।
देखते देखते दो महीने गुजर गये....अब लॉक डाउन कुछ नये नियम के साथ ख़त्म हो गई पर डर अभी सभी जगह कायम हैं... काम और जिम्मेदारी बढ़ने, भय ने जिंदगी बेहाल कर दी.... कुछ उठ खडे हुए... ना.. नकारात्मक में नहीं जीना... अब क्या होगा नहीं सोचना... सकारात्मक में जीना हैं... हिम्मत रखनी हैं ।
हमारा देश पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहा और वे हमारे श्लोक, मन्त्र और संस्कृति को अपना रहे.... देख अपने संस्कृति पर गर्व और विश्वास बढ़ा।
ये लॉक डाउन बहुत कुछ सिखा भी गई....नई पीढ़ी जो आलस्य से कुछ नहीं करती थी... समय ने सब कुछ सिखा दिया.. कई अनुभव हीन हाथ खाना बनाना सीख गये... अपना काम करना सीख गये।
गृहणी तो कामवाली से लेकर हलवाई, दर्जी, नाई तक का काम बखूबी संभाल लिया...सकारात्मकता तो सीखा ही विषम परिस्थिति में धैर्य रखना भी सीखा.... लॉक डाउन में रिश्ते भी खूबसूरत याद आये... समय और ऊब ने दूर दराज के रिश्तों को भी बातों की खाद से हराभरा कर दिया..... दान देने की प्रवृति ने खूब दान पुण्य भी कराया।
प्राकृतिक आपदाएं बहुत दुःखद रही... हजारों मजदूरों का पलायन.. एक दुःखद परिस्थिति थी....थके हारे...घर पहुँचने की आस, रेल पटरियों पर सोये श्रमिक ...की घटना बहुत दुःखद रही .......ईश्वर से दुआ जो हैं सब सुरक्षित रखो प्रभु .....हमारे अपराधों को खूब सजा मिल चुकी अब क्षमा चाहिए..... एक अंत हीन प्रतीक्षा.... कब सामान्य जीवन वापस आएगा।
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