Ramesh Chandra Sharma

Romance

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Ramesh Chandra Sharma

Romance

प्रतिबद्ध नारी

प्रतिबद्ध नारी

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श्वेता और समीर की शादी पूरे रीति रिवाज से संपन्न हुई। शंकालु प्रवृत्ति का शिकार समीर अक्सर श्वेता को नरेश से रिश्ते को लेकर उलहाने देने से नहीं चूकता। श्वेता अपने पति के ताने सुनकर असहज होकर भी हंसकर टाल देती।

एक शादी समारोह में श्वेता और नरेश का सामना हो गया। समीर को यह बात अच्छी नहीं लगी। समीर द्वारा अपमानित करने पर श्वेता घर के लिए निकल पड़ी। पीछे पीछे नरेश भी हो लिया। नरेश ने श्वेता की राह रोककर कहा " मैं तुम्हारी मजबूरी समझता हूं। तुम्हारे माता-पिता ने यदि स्वीकृति दे दी होती तो आज हम पति-पत्नी होते ।"

श्वेता अपने कालेज के सहपाठी नरेश की बात सुनकर फफक पड़ी। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। अपने आपको संभाल कर वह नरेश से बोली " अब इन बेकार की बातों का कोई महत्व नहीं है। मैं यथार्थ से सामना कर रही हूं। तुम्हें लेकर समीर के मन में बहुत गलतफहमी है।"

नरेश "मैं जानता हूं ।वह कॉलेज में मुझसे कटता रहा। उसने हम दोनों के बारे में भ्रामक बातों को हवा दी ।"

श्वेता " सब समझती हूं। हम दोनों के बीच आपत्तिजनक कुछ भी नहीं रहा। अब भी समीर के मन में यदा-कदा शंका का कीड़ा कुलबुला जाता है ।"

नरेश "तुम्हारे लिए मैंने अभी तक शादी नहीं की। यदि तुम समीर से तलाक ले लो तो हम नया जीवन शुरू कर सकते हैं।"

श्वेता "पागलों जैसी बात मत करो नरेश। हम बहुत अच्छे मित्र रहे हैं। हमारी शादी की बात चली लेकिन परिवार को रिश्ता मंजूर नहीं था। इस सच्चाई को स्वीकार करने में ही भलाई है।"

नरेश "तुम महिलाओं की यही मजबूरी है। समीर हमारे विषय में अनर्गल प्रलाप करता है। यह सब सहन कैसे कर लेती हो।"

श्वेता " समीर बहुत सुलझे हुए पति हैं। धीरे-धीरे उनकी यह गलतफहमी दूर हो जाएगी।"

नरेश " समीर के शक का कीड़ा कभी मरने वाला नहीं। तुम दोनों का जीवन बर्बाद हो जाएगा।"

श्वेता " मेरी समीर के प्रति निष्ठा और समर्पण में कोई कमी नहीं आई है। मैं हमेशा अग्नि के सामने दिए गए वचनों पर प्रतिबद्ध रहूंगी। प्लीज आज के बाद रिश्ते की बात मत करना।"

फिर कभी सामने मत आना की वार्निंग देकर श्वेता वापस समीर के पास लौट गई।



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