केक चोर बच्चा
केक चोर बच्चा
पति को पक्षाघात होने पर लाचार शांताबाई ने लोगों के घरों में बर्तन पोछे का काम करके दोनों बच्चों की परवरिश की जवाबदारी अपने कंधों पर ले ली । मजदूर पति के स्वस्थ रहते कभी शांताबाई को काम पर जाना नहीं पड़ा। किराए का मकान। दो बच्चों की परवरिश। सुबह बड़े सवेरे उठकर दिनभर भागदौड़ शांताबाई की दिनचर्या बन गई। कलतक की गोरी नारी शांताबाई समय से पहले बूढ़ी दिखने लगी ।मोहल्ले के बच्चे शांताबाई के बच्चों के साथ खेलना पसंद नहीं करते। आए दिन मोहल्ले में बच्चों के जन्मदिन बनाए जाते । बड़े-बड़े रंग-बिरंगे चॉकलेटी केक काटे जाते। नाच गाना होता । पूरा घर जगमग रोशनी में नहा उठता ।
कुतूहल से शांताबाई के दोनों बच्चे बर्थडे स्थल पर ताका झांकी करते । अक्सर घरवाले उन्हें डांट कर भगा देते । कभी बचा खूंचा खाना देकर खुश कर देते।
मोनू (मां शांताबाई से) " मां मोहल्ले के सारे बच्चे अपना-अपना बर्थडे मनाते हैं। हम क्यों नहीं मनाते ?"
सोनू (मोनू का छोटा भाई)" मां, बर्थडे के दिन बच्चे नए कपड़े पहनते हैं। केक काटते हैं ।सब बच्चे एक दूसरे के मुंह पर लगाकर खाते हैं। हमें नहीं मिलता।"
शांताबाई (बच्चों से)" तुम्हारे पापा पिछले साल से बीमार हैं। लकवा होने से मजदूरी करने नहीं जा पाते। हम मजदूर बर्थडे नहीं मनाते।"
मोनू " माँ, लेकिन पापा के बीमार होने से पहले भी आपने कभी हमारा बर्थडे नहीं मनाया।"
दोनों बच्चों की बातें सुनकर शांताबाई की आंखों में आंसू आ गए ।बच्चों को ढांढस बांधते हुए बोली -
"अगले महीने मोनू का बर्थडे आने वाला है। पैसे बचा कर रखूंगी। उसके लिए एक केक खरीद कर लाएंगे।"
दोनों बच्चे खुश होकर खेलने लगे। मोनू रोजाना दिन गिनने लगा। उसने मोहल्ले के बच्चों को इकट्ठा करके कहा " मेरा भी बर्थडे आने वाला है। मां बहुत बड़ा केक लेकर आएगी। तुम सबको बुलाएंगे । मेरे बर्थडे में जरूर आना।"
अंततः मोनू के बर्थडे का दिन आ गया। शांताबाई ने साड़ी के पल्लू में केक के रुपए बांधकर रख लिए । दोनों भाई खुशी के मारे फुले नहीं समा रहे। दिनभर मां के लौटने का इंतजार करते रहे। शाम को मां घर पर लोटी। दोनों बच्चे खुशी से उछल पड़े। तभी शांताबाई के पति पलंग से नीचे गिर पड़े। शुक्र है उन्हें गंभीर चोट नहीं लगी। डॉक्टर द्वारा लिखी दवाई में सारे रुपए खर्च हो गए। उदास शांताबाई अपने पति के पास बैठकर बच्चों की चिंता करने लगी। तभी केक वाला दुकानदार मोनू को कान पकड़कर ले आया। मोहल्ले के बच्चों का हुजूम इकट्ठा हो गया।
दुकानदार (चीखकर) " बच्चे संभाले नहीं जाते। दुकान से केक चोरी करके भाग रहा था।"
बदहवास शांताबाई रोते हुए मोनू को पीटने लगी।