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Ramesh Chandra Sharma

Children Stories

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Ramesh Chandra Sharma

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कुल्फी वाला

कुल्फी वाला

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ठेला गाड़ी की घंटी बजते ही मोहल्ले के बच्चे कुल्फी वाले को घेर लेते । "पहले मेरी कुल्फी' चिल्लाते हुए बच्चों में कुल्फी लेने की होड़ लग जाती ।बच्चों में कुल्फी वाले अंकल के नाम से प्रसिद्ध मोहन शाम को सात बजते ही मोहल्ले में प्रवेश कर लेता । इंतजार करने करते बच्चे ठेला गाड़ी की ओर दौड़ पड़ते। कुल्फी वाला बारी बारी से पैसे लेकर सभी को कुल्फी पकड़ा देता।

सोनू (लड़का) " कुल्फी वाले अंकल, आप इतनी सारी कुल्फी कैसे बना लेते हो ?"

मोनू (दूसरा लड़का) " आपकी कुल्फी बहुत टेस्टी होती है। पापा मम्मी को भी आपकी कुल्फी बहुत पसंद है।"

कुल्फी वाला " आधी रात से तैयारी शुरू कर देते हैं। तब कहीं जाकर सुबह फेरी की तैयारी होता है ।"

सोनू " अंकल, आपके बच्चे नहीं है क्या ? कभी साथ में नहीं लाते।"

कुल्फी वाला " एक बेटी है। स्कूल जाती है। उसको बहुत पढ़ाना है। कुल्फी का धंधा आसान नहीं है।"

 धीरे-धीरे सभी बच्चे कुल्फी खरीदकर अपने अपने घरों को चले गए। तभी कुल्फी वाले की नजर स्ट्रीट लाइट के नीचे रो रही छोटी लड़की पर पड़ जाती है। वह लड़की को अपने पास बुला लेता है।

कुल्फी वाला " अरे बेटा, क्यों रो रही हो ?"

लड़की " मम्मी कहती है पैसे नहीं है। मुझे कुल्फी खाना है।"

कुल्फी वाला " ज्यादा कुल्फी खाना अच्छी बात नहीं है। इसीलिए मम्मी ने मना कर दिया होगा।"

लड़की "मैंने तो अभी तक कुल्फी नहीं खाई है। पापा बीमार हैं। मम्मी कहती है इलाज में पैसे खत्म हो गए।"

कुल्फी वाला "अरे बेटा, इसमें रोने की कौन सी बात है। बाद में पैसे दे देना।"

लड़की " मम्मी बर्तन पोंछा करती है। हम सामने वाली झोपड़ी में रहते हैं।"

कुल्फी वाले ने एक कुल्फी लड़की के हाथ में थमाते हुए कहा " यह वाली कुल्फी बिल्कुल मुफ्त मिलती है ।इसका कोई पैसा नहीं लगता।"

कुल्फी वाला आगे निकल गया। लड़की स्ट्रीट लाइट के नीचे खड़े होकर कुल्फी वाले को देखते हुए कुल्फी खाने लगी।


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