पृथ्वी का शत्रु - एक विषाणु भाग-1
पृथ्वी का शत्रु - एक विषाणु भाग-1
दोस्तो आज हमारा सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक वायरस से प्रभावित है। मेरी ये रचना इसी कोरोना वायरस से प्रेरित है। ये एक काल्पनिक कहानी है, इसका आज के वातावरण से कोई संबंध नही है। ये पूर्ण रूप से मनोरंजन के लिए लिखी गयी कहानी है।
श्रीनिवास जी देश के प्रमुख वैज्ञानिक है। वैज्ञानिक माधव श्रीनिवास जी का प्रमुख असिस्टेंट और उनकी टीम का हेड साथ ही श्रीनिवास जी जितना ही होशियार। माधव की टीम में तीन लोग और है वैज्ञानिक नेहा, वैज्ञानिक नीरज और सहायक सचिन। सचिन ज्यादा पढ़ा लिखा नही है वो केवल एक चपरासी है चाय पानी या अन्य छोटे कामो के लिये परंतु साथ रह रह कर कुछ ज्ञान उसको भी हो गया है। नेहा और माधव एक दूसरे से प्यार करते हैं ये बात सभी को पता है।
क्योकि ये एक विशेष रिसर्च है इसलिए सरकार की तरफ से इन सभी के लिए लेब के साथ बने स्पेशल होस्टल में रहने की सुविधा की गयी है। इस पूरे परिसर को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान की गई है। इस परिसर में न कोई अंदर आ सकता है न ही अंदर का कोई बाहर बिना सुरक्षा अधिकारी की जानकारी के जा सकता है। यदि कोई बाहर जाता भी है तो उसके साथ उसकी सुरक्षा के लिए एक टीम जाती है।
आज नेहा का बर्थडे है उसने माधव को डिनर के लिए बहुत मुश्किल से तैयार किया है। सुरक्षा अधिकारियों की एक टुकड़ी की देखरेख में नेहा ने एक शानदार रेस्टोरेंट में माधव को डिनर के लिए आमंत्रित किया है।
नेहा अपने सुरक्षा अधिकारियों के साथ रेस्टोरेंट में पहुंच चुकी है और माधव का इंतज़ार कर रही है। कुछ देर में माधव भी सुरक्षा अधिकारियों की टीम के साथ वहाँ पहुंच जाता है।
ये लोग जिस टेबल पर बैठे है उस टेबल को चारों तरफ से सुरक्षा अधिकारियों की टीम कवर कर लेती है।
नेहा हल्के से गुस्से से - ये टाइम है आने का ? कितनी देर से मैं वैट कर रही हूँ आपका।
माधव - अरे यार तुमको तो पता है अपना काम कैसा है कितनी मुश्किल से अपने लोगो को बाहर निकलने की आज्ञा मिलती है और तुम ये भी जानती हो कि बॉस कितने खड़ूस है।
नेहा - अरे यार तो कौन सा डैली मैं आपको बुलाती हूं आज मेरा बर्थडे है और मैं ये बर्थडे किसी खास के साथ सेलिब्रेट करना चाहती थी।
माधव - यस मेरी जान मुझे पता है इसीलिए आपके लिए ये छोटी सी गिफ्ट। ये कह कर माधव अपनी जेब मे से एक डायमंड रिंग निकलता है।
नेहा - वाओ, कितनी खूबसूरत है।
माधव - पर आपसे ज्यादा नही है।
नेहा - ओके ओके, बटरिंग मत करो। अपनी शादी की पापा से बात की ?
माधव - अरे नही यार। तुमको तो पता है इस समय अपने लोग बहुत व्यस्त चल रहे हैं, इस नए प्रोजेक्ट में जिसका हेड मैं ही हूँ यदि वो सफल होता है तो इंसान की उम्र कम से कम दोगुनी तो हो ही जाएगी और मुझे भी इस प्रयोग की वजह से नाम, सम्मान, पैसा सब मिलेगा। तब पापा हमारी शादी स्वयं ही करा देंगे।
कुछ देर में डिनर आ जाता है, दोनो लोग हंसी मजाक करते हुए डिनर कर कर होस्टल चले जाते हैं।
अगला दिन श्रीनिवास जी की प्रयोगशाला
श्रीनिवास जी की अगुआई में उनकी टीम की मेहनत रंग ला रही है और उनकी टीम की रिसर्च उस दिशा की ओर बढ़ रही है जिससे इंसान की आयु को कई गुना बढ़ाया जा सके।
लेकिन हम सभी जानते है कि जब समुद्र मंथन किया गया था तब उस मंथन में अमृत के साथ विष भी निकला था। तो आज का समय भी उससे अछूता कैसे रह सकता है।
लेब असिस्टेंट सचिन सभी लोगो की परमीशन से चाय नाश्ता लेकर आता है। सचिन सभी को चाय दे रहा है तो जैसे ही सचिन नीरज को चाय देता है तभी उसका हाथ नीरज के पास रखे एक जार से छू जाता है। जैसे ही सचिन का हाथ उस जार से स्पर्श होता है उसे अपने शरीर मे कुछ हलचल महसूस होती है।
लगभग एक घंटे बाद सचिन के बदन में दर्द शुरू हो जाता है और अत्यधिक थकान महसूस करने लगता है, उससे एक कदम भी नही चला जा रहा और धीरे धीरे खड़ा होना या बैठना भी उसके लिए मुश्किल होता जा रहा है। कुछ देर बाद वो जमीन पर गिर कर छटपटाने लगता है। ये सभी बदलाब केवल नीरज को पता है कि ऐसा क्यो हो रहा है क्योकि वह जार नीरज के पास ही रखा था और उसी से गलती से वह विषाणु उत्पन्न हुआ था।
क्योकि लेब में ये दुर्घटना हो गयी है इसलिए श्रीनिवास जी माधव के साथ सचिन को लेकर अस्पताल आते हैं। अस्पताल में सचिन को एडमिट कर लिया जाता है परंतु उसका जो भी ट्रीटमेंट किया जा रहा है वो सभी उस पर उल्टा असर ही कर रहा है।
उधर लेब में वैज्ञानिक नीरज इंसान की आयु कई गुना बढ़ाने और उस विषाणु दोनो की रिसर्च और फार्मूला कॉपी कर लेता है।
कुछ दिन बीत जाते हैं पर सचिन की तबियत ठीक होने की जगह बिगड़ती जाती है और एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है। इस बात से श्रीनिवास जी को बहुत धक्का लगता है और उनको ये विश्वास हो जाता है कि चाहे इंसान की उम्र बढ़ने का फार्मूला मिले या न मिले पर कुछ खतरनाक वायरस अवश्य उत्पन्न हो गया है जो भविष्य में मानव जाति के लिए खतरनाक साबित होगा। इसीलिए वो अपनी क्लोजिंग की रिपोर्ट लगा कर उस रिसर्च को बंद कराने का सरकार से आग्रह करते हैं। सरकार भी मामले की भयावहता समझते हुए लेब को सील करा कर रिसर्च बंद करा देती है।
बहुत समय बीत जाता है, सभी लोग इस घटना को भूल जाते है और इस से संबंधित समाचार भी मीडिया से गायब हो चुके है।
फिर एक दिन नीरज के पास एक अनजान महिला की कॉल आती है, वो उससे मिलना चाहती है। नीरज को वो आवाज कुछ जानी पहचानी लगती है पर दिमाग पर बहुत जोर डालने के पश्चात भी वो उस आवाज को पहचान नही पा रहा तो नीरज उसको अपने घर बुला लेता है।
कुछ देर में नीरज के घर की डोरबेल बजती है। नीरज जैसे ही दरवाजा खोलता है तो सामने खड़ी महिला को देख कर चौक जाता है।
"पहचाना" वो महिला बोलती है।
नीरज मुस्कराते हुए - नेहा!!!
नेहा मुस्कराते हुए - शुक्र है पहचाना तो
नीरज - ऐसे कैसे भूल जाता आपको और कैसी हो आप, माधव कैसा है ? श्रीनिवास सर से बात होती है क्या ?
नेहा - अरे, अरे रुको तो, एक एक कर कर पूछो। आपने तो झड़ी लगा दी।
नीरज - ओके तो अब एक एक कर कर बता दो।
नेहा - क्या बताऊँ बोलो ?
नीरज - शादी कर ली क्या आपने ?
नेहा - नही
नीरज - लेकिन आप तो माधव से प्यार करती थी न
नेहा - वो रिसर्च खत्म हो गयी उसी के साथ वो प्यार भी खत्म हो गया।
नीरज - लेकिन माधव तो आपको बहुत प्यार करता था
नेहा - तुमको लगता होगा ऐसा। वो उन दिनों जब रिसर्च चल रही थी तब सेक्स चाहता था मेरे साथ। मैंने वो मौका नही दिया तो उसको शादी के लिए मोटा दहेज चाहिए था आखिर वो एक बहुत पैसे वाले घर का इकलौता लड़का था और ऊपर से वैज्ञानिक तो दहेज तो मोटा मिल ही जायेगा न
नीरज - क्या!!! तुम झूठ बोल रही हो न ?
नेहा - मैं इसमे झूठ क्यो बोलूंगी।
नीरज - श्रीनिवास जी के क्या हाल है।
नेहा - उनकी डेथ हो चुकी है। पर तुमको ये सब पता नही है क्या ?
नीरज - रिसर्च सेंटर बंद होते ही मैं आप सभी से अलग हो गया था क्योकि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। मैं तो केवल उस रिसर्च से जुड़ा ही इसलिए था कि उस रिसर्च के सफल होने पर मोटा पैसा सरकार देती लेकिन वो सब हुआ नही तो खुद को एकांतवास में ले गया। लेकिन तुम तो पैसे वाले परिवार से थी।
नेहा - किसने कहा। मैं खुद फाइनेंशियल बहुत परेशान थी फिर माधव ने भी धोखा दे दिया। कही से तुम्हारा नंबर मिला तो लगा कि तुमसे मिला जाए।
नीरज - उफ्फ कितने गलत लोग होते हैं इस दुनिया मे। मैं तो माधव को बहुत अच्छा समझता था पर...
नेहा - अब वो सब छोड़ो, मैं एक काम से आई हुँ।
नीरज - पैसे छोड़ कर बोलो क्या चाहिए अपनी जान देकर भी हेल्प करूँगा।
नेहा रहस्मयी मुस्कान के साथ - सच्ची न
नीरज - बोलो तो
नेहा - आपकी वो डायरी और पेन ड्राइव जो रिसर्च के समय आपके पास रहती थी।
नीरज - नेहा वो तो पता नही अब कहाँ होगी पर क्यो ?
नेहा - कोई बात नही फिर चलती हूँ।
नीरज - रुको जरा।
नेहा - रुक गयी बोलो
नीरज - पर चाहिए क्यो ?
नेहा - इतना कुछ करने के बाद क्या मिला मुझे। छोटी सी जॉब भी मांगने जाओ तो शरीर पहले चाहिए, तो क्यो न कुछ गलत रास्ता ही अपना लू।
नीरज - लेकिन इस सब का मेरी डायरी और पेन ड्राइव से क्या संबंध
नेहा - तुम मुझे धोखा नही दे सकते। तुम क्या समझते हो जब श्रीनिवास सर और माधव सचिन को अस्पताल ले गए थे तो मुझे पता नही कि तुमने क्या किया है।
नीरज मुस्कराते हुए - क्या किया था।
नेहा - देखो मुझे भी पता है और तुम्हे भी पता है। उस डायरी और पेन ड्राइव में जो है उससे इस दुनिया पर कब्जा किया जा सकता है। तुमने पूरी रिसर्च कॉपी की थी पेन ड्राइव में।
नीरज - तूने देख लिया था न कॉपी करते हुए और इतनी आगे की सोच दुनिया पर कब्जा करने की।
नेहा - हम्म सोच लो
नीरज - तुम भी मिलोगी न फिर तो साथ मे
नेहा - तू सुधारना मत, यदि साथ काम करेंगे तो वो भी इच्छा पूरी कर लेना, पर पहले जो मैं चाहती हूँ वो होगा। यदि मंजूर हो तो बोलो।
नीरज - इस सबके लिए पैसा कैसे आएगा।
नेहा - सब होगा तू हाँ कर बस
नीरज - ओके
नेहा - अब डायरी और पेन ड्राइव ला।
नीरज - लाते है धरती की होने वाली मालकिन
नेहा - बिल्कुल सही उच्चारण है तेरा। डरना चाहिए इस धरती के हर इंसान को मुझसे हमसे। भगवान मानेगा इस धरती का हर इंसान हम दोनो को।
नीरज डायरी और पेन ड्राइव ले आता है। नेहा लेपटॉप में उस पेन ड्राइव को लगाती है और दोनो रिसर्च की सारी डिटेल्स चेक करती है।
नेहा जहरीली मुस्कान के साथ - वेरी गुड, अब वो होगा जो किसी ने सोचा भी नही होगा।
नीरज - पैसा कैसे आएगा इस सब के लिए।
नेहा - तू पैसो के लिए मर जा। अबे बैंक लूटेंगे हम।
नीरज - मतलब
नेहा - इतने दिनों में मैं चाहे पैसो के लिए कितनी भी परेशान थी पर कुछ रिसर्च और एक्सपेरिमेंट मैं करती रही। आज मुझे इस डायरी और पेन ड्राइव की जरूरत तेरे पास ले आयी नही तो जरूरत तो तेरी भी नही थी मुझे।
नीरज - क्या क्या रिसर्च और एक्सपेरिमेंट किये है तूने ?
नेहा - समय आने पर तुझे सब अपनेआप ही पता चलते चले जायेंगे। वैसे भी हम लोग वैज्ञानिक है मतलब सभी तरह की डॉक्टरी और इंजीनियरिंग थोड़ी थोड़ी आती है।
नीरज - खुल कर बोल ऐसे नही समझ पा रहा।
नेहा - चल पहले बजट बनाये कि कितना पैसा चाहिए।
नीरज - बजट से पहले पूरी प्लानिग।
नेहा - ओके चल
नीरज - तू ही बता, तू ही मालकिन है मैं तो असिस्टेंट हूं।
नेहा - तो सुन, मैं दोनो तरह के जर्म्स का प्रोडक्शन करूँगी उम्र बढ़ाने वाला भी और वो वाला वायरस भी जिससे सचिन की डेथ हुयी। जिस वायरस से सचिन की डेथ हुयी उसकी मेडिसन भी तैयार करूँगी फिर वही होगा जो मैं चाहूंगी।
नीरज - लेकिन उस वायरस जिससे सचिन की डेथ हुयी उसको फैलाएगी कैसे।
नेहा - ये मैंने सोचा लिया है।
नीरज - बहुत बड़ा रिस्क है ये सोच ले
नेहा - परिणाम उससे बड़ा है समझ ले। केवल मैं और तू होंगे इस दुनिया के मालिक बाकी सब तो कीड़े मकोड़े होंगे जब जिसको जैसे चाहे मसल देंगे।
नीरज - बहुत खतरनाक लड़की है तू तो।
नेहा नाराज होते हुए - तेरा मन है कि नही ये सब का।
नीरज मुस्कराता हुआ - मेरा इस दुनिया मे कोई नही है तो तू मिल रही है तो तेरा कहना तो मानूंगा न।
नेहा - गुड बॉय
नीरज - पर करेंगे कहाँ से, यदि यहाँ ये सब करेंगे तो पकड़ में आ जाएंगे। कोई बहुत ही खुफिया जगह होनी चाहिए।
नेहा - है उसकी भी व्यवस्था।
नीरज - कहाँ
नेहा - समुद्र की अनंत गहराई में जिससे हम और हमारी टीम सुरक्षित रहे।
नीरज चौकते हुए - हमारी टीम, और भी लोग है क्या इसमे और समुद्र की अनंत गहराई, डूब नही जाएंगे ?
नेहा - बेबकुफ़ अपने दोनो सारे काम कैसे करेंगे। हम दोनों तो कंट्रोल रूम में बैठेंगे बाकी के काम हमारी टीम करेगी और समुद्र की अनंत गहराई में कैसे रहेंगे ये मेरे पर छोड़।
नीरज - ये टीम इतनी भरोसे की है क्या ?
नेहा - जब टीम मिलेगी तो तेरी सब समझ आ जायेगी।
नीरज अचरज से नेहा को देख रहा है और सोच रहा है कि ये लड़की कुछ साल पहले तक कितनी सीधी थी और अब कितनी खतरनाक हो गयी है।
जारी है