प्रताड़ना
प्रताड़ना
आज फिर चेहरे और हाथों पर नीले निशान थे रागिनी के। राशि देखते चिल्लाई -"क्या है रागिनी तेरा पति तुझे मारता है और तू कुछ कहती भी नहीं। आज फिर उसने पीकर मारा ना तुझे?
क्यूं बर्दाश्त करती है ? अब वो ज़माना नहीं रहा की औरत को पैर की जूती समझा जाये। आज कल लडकियां लड़कों से भी आगे हैं ।जॉब करती हैं। अपना खर्चा खुद उठाती हैं ।अब वो किसी पर आश्रित नहीं हैं। अपने तरीके से ज़िन्दगी जी सकतीं हैं। तू भी अब इस मार-पीट से बाहर निकल। पुलिस में शिकायत कर, घर से निकाल दे अपने पति को।
आखिर कब तक ये प्रताड़ना झेलेगी। "
एक साँस में इतना कुछ कह गयी राशी। जवाब में रागिनी बस सर झुका कर रह गयी। मैडम को क्या समझाए की पति से अलग रहने वाली औरतों की ज़िन्दगी कितनी मुश्किल है । उसकी बस्ती में हर आदमी गलत नज़र डालता है। आज कम से कम वो सुरक्षित तो है ।कल बच्चों को भी जवाब देना है। कोई फैसला लिया तो माँ बाप भी साथ नहीं देंगे। वो अकेली आखिर किस-किस से, लड़ेगी। ये सब सोच रागिनी अपने काम में लग गयी।
तभी राशि को अक्षत का कॉल आया। आज उसे ऑफिस जाने में वैसे ही देर हो गयी थी। उसने जल्दी से कॉल उठाया -"हाँ बोलो अक्षत"
-"राशि आज घर जल्दी आना। मेरे कुछ कलिग्स डिनर के लिए आने वाले हैं। कुछ अच्छे से स्टार्टर भी तैयार रखना। "
राशि का सर घूम गया -"पर अक्षत आज तो मेरी मीटिंग है ४ बजे से। तुम्हें बता के रखा था कई दिनों से। और फिर मम्मी की तबियत भी ठीक नहीं, मैं ऑफिस से डायरेक्ट मम्मी के घर जाने वाली थी। तुम भूल गए क्या?"
अक्षत दबी आवाज़ में खीज कर बोला -"फालतू की बकवास मत करो राशी। पता है मुझे तुम्हारी टाइम पास मीटिंग्स के बारे में। चाय नाश्ता उड़ाना और हँसी ठिठोली करना। मैं जानता हूँ, तुम्हारे ऑफिस के लोगों को उन्हें बस फ्लर्टिंग के लिए लड़की चाहिये। ये काम-वाम का नाटक रहने दो। और जल्दी निकलना ऑफिस से।
मम्मी के घर फिर कभी चली जाना। तुम्हारे भाई-भाभी हैं उनकी देखभाल करने को। तुम्हारी शादी हो गयी तुम्हारी ड्यूटी नहीं है उनके बारे में सोचने की। आज सब इंतज़ाम अच्छे से करना मेरे इपॉर्टेन्ट क्लाइंट भी साथ होंगे।
और हाँ, खुद भी ज़रा ठीक से रहना नहीं तो मेरी इज़्ज़त के कचरे करवा दो सबके सामने समझीं। "
उसका जवाब सुने बिना ही अक्षत ने कॉल कट कर दिया ।यही तो करता है वो हर बार। अपनी मर्ज़ी राशि पर थोपना हमेशा....
दुनिया के सामने वो एक मॉडर्न पति है ,वाइफ को पूरी आज़ादी है जो चाहो पहनो जॉब करो फ्री रहो।
पर क्या सच में ऐसा है ? उसकी जॉब की कोई इज़्ज़त नहीं अक्षत की नज़रों में। अक्षत ऑफिस में काम करता है और राशि टाइम पास । एक शहर में होते हुए भी अपनी मम्मी से मिलने को तरसती है वो।
कई बार कितनी घटिया बातें कह देता है अक्षत उसे, उसके ऑफिस कलिग्स के बारे में। पर वो कर भी क्या सकती है! दुनिया की नज़र में उसके परिवार की एक इमेज है- हैप्पी फॅमिली की। उसे तोड़ नहीं सकती।
खुद कमाती है फिर भी हर बात की लिए अक्षत की परमिशन ज़रूरी है। अलग भी नहीं हो सकती, बच्चों का क्या होगा। एक तलाकशुदा औरत की ज़िंदगी कितनी मुश्किल होती है ,सोच कर ही डर गयी वो।
किचन से आती आवाज़ से उसका ध्यान टूटा।। थोड़ी देर पहले ही रागिनी को कितना लेक्चर दिया था उसने और खुद क्या कर रही है।
ये भी तो प्रताड़ना ही है।
हर औरत के नसीब में यही लिखा है शायद... प्रताड़ना -शारीरिक या मानसिक।
