टेंशन अच्छा होता है !
टेंशन अच्छा होता है !
टेंशन अच्छा होता है !
रश्मि की सास फ़ोन पर बहुत गुस्से में बात कर रहीं थीं। अपने दामाद को समझा रहीं थीं की उनकी बेटी को तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाए। उनके हिसाब से ये कोई छोटी बात नहीं थी। बेटी के गले में छाले हुए थे और उसे दवाई खाने में तकलीफ हो रही थी।
हालांकि उनकी बेटी ४० वर्ष की थी और दो किशोर बच्चों की माँ भी थी। पर उमा जी से फ़ोन पर बेटी की तकलीफ सुनी ना गयी, जब वो रो-रो कर अपनी माँ से बोली की मेरे गले में छाले हैं दवाई कैसे खाऊँ। दामाद सुबह शाम डॉक्टर को दिखा रहे थे। सारा परिवार खयाल रख रहा था, पर माँ का दिल नहीं माना । उन्होंने अपने दामाद को अच्छी खासी फटकार लगा दी कि वो लोग बेटी का खयाल नहीं रख रहे। उसे तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट नहीं करवा रहे।
रश्मि ये सब सुन कर सोच रही थी की माँ हो तो ऐसी ४० वर्ष की बेटी के लिए भी इतनी चिंता। तभी अचानक रश्मि की डेढ़ साल की बेटी खेलते खेलते गिर गयी । आँख की किनार पर चोट आगयी आँख से खून बह रहा था रश्मि बदहवास सी अपनी मासूम बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाने लगी।
सास ने वही रोक दिया- हल्का सा कट है इतना शोर मचाने की ज़रूरत नही। घर में ही हल्दी लगा दो खून बंद हो जायेगा। और हाँ अब इतनी ज़रा सी बात पर मेरे बेटे को ऑफिस फ़ोन मत कर देना। नहीं तो फ़ालतू उसे टेंशन होगा।
रश्मि सोच में पड गयी ४० साल की बेटी के गले में छाले हों तो बहुत टेंशन की बात है पर मेरी नन्ही सी बच्ची की आँख से खून बह रहा हो तो कोई बड़ी बात नहीं।
उस दिन पहली बार उसने सास को पलट कर जवाब दिया और अपने पति को कॉल करके बिटिया की चोट की जानकारी भी दी। खुद ही अपनी बेटी को डॉक्टर के पास भी ले गयी। उसके व्यवहार से घर में बहुत तमाशा हुआ । सबको टेंशन भी बहुत हुआ और
तब से वो बुरी बहु है ।
पर रश्मि को कोई अफ़सोस नहीं कभी-कभी टेंशन अच्छा होता है !