सच्चा प्यार

सच्चा प्यार

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मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारे बिना मर जाऊंगा। मेरा यकीन करो, मेरा प्यार सच्चा है। तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं तो मैं अपनी जान दे दूँगा। बोलो विधि,कुछ तो बोलो,जब तक तुम हाँ नहीं कहोगी मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा, ना तुम्हे जाने दूँगा।विधि हाथ छुड़ाते हुए बोली -"देखो ये सब बातें बाद में ,अभी मुझे देर हो रही है प्लीज मुझे जाने दो।"

-"पर वादा करो की मुझे छोड़ कर जाने की बात कभी नहीं करोगी "।

"अच्छा नहीं करुँगी , अब मुझे जाने दो"- इतना कहकर विधि होटल के रूम से बाहर आयी और ऑटो पकड़ कर घर आगयी। घर पर सब उसका इंतज़ार कर रहे थे। ९.३० बज चुके थे। माँ बहुत गुस्से में थीं, पर कुछ बोली नहीं। दिन भर की थकी हुई बेटी को डाँटने का मन नहीं हुआ।

माँ ने इशारे से बाकी सबको भी चुप करा दिया। विधि को सब नज़र आ रहा था। माँ हमेशा ही उसका साथ देती,हर बात में।घर की बड़ी बेटी थी वो। ४ भाई-बहनो में सबसे बड़ी।१७ की थी जब पापा अचानक चले गए।१८ की होते ही चाचा ने एक दुगुनी उम्र के आदमी से शादी करवा दी।माँ सदमे में थी कुछ बोल ही नहीं पायी।मार पीट से तंग आकर १५ दिन में ही वापस आ गयी थी विधि। कुछ समय बाद कानूनी तरीके से तलाक भी हो गया।विधि ग्रेजुएशन कर के एक जॉब पर लग गयी।छोटी बहन भी पढाई पूरी कर जॉब करने लगी थी।भाई भी पढ़ रहे थे सब कुछ ठीक ही था।माँ चाहती की विधि की शादी हो जाए, पर विधि तो शादी के नाम से भी चिढ़ती थी। शादी का नाम सुनते ही ७ साल पुराने ज़ख्म हरे हो जाते।

फिर ऑफिस में एक दिन उससे मुलाकात हुई।बहुत हेंडसम था वो। सारा दिन विधि के आगे पीछे घूमता रहता। धीरे धीरे नज़दीकियां बढ़ने लगीं।विधि ने बहुत कोशिश की खुद को सँभालने की पर उसकी अदाए हीं ऐसी थीं की खुद को रोक नहीं पायी। दोनों का धर्म अलग था ,विधि जानती थी मम्मी नहीं मानेगी।फिर भी कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गयी थी वो। इतने साल का अकेलापन था तो टूट गयी। उसने पहले तो बड़े वादे किये, साथ घूमना और फिर बात होटल के रूम तक जा पहुंची। विधि को ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।कोई था जो उससे दीवानो की तरह प्यार करता, उसका इंतज़ार करता,उसका ख्याल रखता।फ़ोन पर लम्बी बातें होतीं। रात-दिन चैटिंग; एक दूसरे को फोटो भेजना। घर में सबको अंदाज़ा था, कि क्या चल रहा है।सबने समझाया की वो उम्र में काफी बड़ा है और गैरज़िम्मेदार भी।तभी तो बार-बार जॉब से निकला जाता है।पर विधि पर तो प्यार का भूत सवार था।

हार कर घर वालो ने एक रास्ता निकाला छोटी बहन और भाई दोनों ने अपनी जॉब और कॉलेज से छुट्टी ली और उस तथाकथित प्यार का पता लगाने चल दिए।पहले ऑफिस पहुँचे।फिर उसके पीछे-पीछे उसके घर।

आसपास वालों से पता किया; तो पता चला की शादी शुदा हैं ,और २ बच्चे हैं। एक बीमार माँ भी है। रोज़ बीवी से झगड़ा होता है पैसों को लेकर। क्यूँकि साहब ने कई उल्टे-सीधे शौक पाल रखे हैं।

विधि को जो कहानी बताई थी वो इससे बिलकुल उलट थी।उसे तो ये बताया था की तलाक हो चुका है और वो अकेला ही है। कोई नहीं है दूर दूर तक।उसी अकेलेपन पर तो विधि को तरस आ गया था।अगले दिन विधि के ऑफिस जाते ही, दोनों भाई बहन उन सहब के घर पहुँच गए।माँ और बीवी दोनों को अपनी बहन के बारे में बताया।सब ने मिलकर तय किया की रविवार को इस प्यार की असलियत सामने आ जानी चाहिए।विधि को पिकनिक का बहाना बनाकर माँ और भाई बहन साथ ले गए और उसके घर वालों से मिलवा दिया।अब तो साहब की 'काटो तो खून नहीं' वाली हालत हो गयी।विधि का हाथ पकड़ कर बोले मेरा यकीन करो मैं सच्चा प्यार करता हूँ तुमसे। हमारे यहाँ तो दूसरी शादी की इज़ाज़त भी है। विधि ने एक ज़ोरदार चांटा लगाया और बोली-" आज समझ गयी, सच्चा प्यार तो मेरे घर वाले करते हैं मुझसे। तुम जैसे घटिया लोग प्यार का अर्थ भी नही समझते।और मुझ जैसी बेवकूफ और प्यार में अंधी हुई लड़कियों की वजह से ही ये 'सच्चा प्यार' अपना अस्तित्व खो चुका है।


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