ऑर्किड के फूल

ऑर्किड के फूल

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आज वेलेंटाइन्स' डे पर जब सब रेड रोज़ खरीद रहे थे, वो ऑर्किड्स ढूंढ रहा था। सिया को यही पसंद थे।कई जगह देखा पर आज तो बस गुलाबों कि बहार आयी हुई थी।बडी़ मुश्किल से एक जगह अनिकेत को ऑर्किड्स मिल ही गये। उसने एक सुन्दर सा बुके बनवाया और चल दिया चॉकलेट लेने। सिया की फेवरेट चॉकलेट्स लेकर वो सीधा हाईवे पर आ गया आज तो उसे नासिक पहुंचने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी।कितना मनाने के बाद सिया मिलने के लिए राज़ी हुई थी, नहीं तो हर बार अनिकेत बिना मिले ही लौट आता था। आज स्पेशल दिन था: वेलेंटाइन्स' डे- प्यार का दिन; पर अनिकेत के लिए ये दिन कुछ ज्यादा ही ख़ास था।आज के दिन ही तो उसने श्वेता को प्रोपोज़ किया था ; सबके सामने कॉलेज में। ख़ुशी से पागल हो गयी थी वो जब अनिकेत ने उसके हाथ में उसके फेवरेट ऑर्किड्स दिए थे।

"आर्किड्स"!सिया और श्वेता दोनों की पसंद लगभग एक जैसी ही थी। बस एक फर्क था जहाँ श्वेता शांत और गंभीर थी, सिया उतनी ही नटखट। अनिकेत को एक-एक पल याद आ रहा था। कैसे कॉलेज के अगले दो साल हवा की तरह उड़ गए थे। वो और श्वेता एक दूसरे में खोये रहते, श्वेता उस से जुडी़ हर तारीख हर बात याद रखती।पहले अनिकेत को भी सब याद रहता फिर धीरे धीरे वक़्त के साथ वो कुछ लापरवाह सा हो गया था।


पर अनिकेत ने तय कर लिया था जो गलतियां उसने श्वेता के साथ की वो सिया के साथ नहीं होने देगा।नासिक पहुँचते ही अनिकेत ने मिठाई खरीदी और पहुंच गया अपनी ससुराल , अपनी सिया के पास।अंदर जाकर सासु माँ से मिला - "मम्मी सिया कहाँ है।"

"बेटा वो पीछे लॉन में है और उसके साथ रोहन भी है ज़रा प्यार से बात करना।"

अनिकेत-" हाँ मम्मी आप फ़िक्र मत कीजिए, मुझे अपनी गलती समझ आ गयी है; देर से ही सही पर.... "

अनिकेत ने देखा लॉन में रोहन सिया का हाथ पकडे़ उसे मनाने की कोशिश कर रहा था।अनिकेत को देखते ही उसने सिया का हाथ छोड़ दिया। सिया भागती हुई आकर अनिकेत के गले लग गयी।रोते हुए बोली-

"पापा!!आप कहाँ थे ? इतने दिन क्यों नहीं आये। आई मिस यु सो मच पापा। अब मैं आपके साथ मुंबई चलूँगी।बहुत शॉपिंग करनी है। बहुत घूमना है।

आय ऍम सॉरी पापा!!

मैं इतने दिनों तक आपसे नाराज़ रही मुझसे गलती हुई पापा।मम्मा की डायरी पढ़ी तब समझ आया की वक़्त कितना कीमती है मम्मा ने लिखा है की जीवन का एक-एक पल पूरे जोश और उमंग के साथ जीना चहिये। प्यार एक बहुत खूसूरत एहसास है। जब हम किसी को प्यार करते हैं तो उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी हमें उतना ही प्यार करे।

पर प्यार कोई बिज़नेस तो नहीं कि दोनों तरफ बराबरी हो। हम बस अपने हिस्से का प्यार करें। जो हमे ख़ुशी दे।अब मैं भी यही करुँगी। आय प्रॉमिस पापा- अब नो झगड़ा"


अनिकेत -"हाँ बेटा!! आपकी मम्मा बहुत प्यारी थीं। मैं ही उसे वो प्यार नहीं दे पाया जिसकी वो हक़दार थी। जब शादी की थी तो बहुत प्यार था हममें; पर कुछ सालों में ज़िम्मेदारियां निभाते कब वो प्यार फीका पड़ गया मुझे पता ही नहीं चला।पर अब मेरी गुड़िया को उसके पापा का पूरा प्यार मिलेगा और साथ में रोहन का भी।कब जल्दी से मुंबई चलो, रोहन की फॅमिली से शादी की बात भी करनी है। "


सिया -"उफ़्फ़ पापा रोहन तो कुछ नहीं समझता!! आज भी रोज़ उठा लाया। २ साल हो गए हमारे रिश्ते को। उसे अभी तक ये भी याद नहीं की मुझे रोज़ पसंद नहीं हैं। "कह कर सिया मुँह फेर कर चल दी।


अनिकेत ने टेबल से ऑर्किड्स और सिया की फेवरेट चॉकलेट्स उठा कर रोहन के हाथ में दी और कहा-"जाओ बेटा मनाओ उसे। वो बिलकुल अपनी माँ पर गयी है, जल्दी रूठ जाती है। "


रोहन फ्लावर्स और चॉकलेट लेकर चल दिया अपनी सिया को मानाने ।अनिकेत दीवार पर लगी श्वेता की फोटो के सामने जा कर बोला-" हैप्पी वैलेंटाइन्स डे श्वेता! मैं आज भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। शादी के बाद तुम मेरा इंतजार करती रहीं और मैं काम में उलझा रहा। जिस प्यार को पाने के लिए दुनिया से लड़ गया था उसी प्यार को भूल गया। शायद इसीलिये हमारी सिया भी मुझसे दूर हो गई। बड़ी मुश्किल से मानी है। अब उसका पूरा खयाल रखूंगा। बहुत प्यार दूंगा।पर तुम्हारी कमी बहुत खलती है।

काश तुम एक बार वापस आ सकतीं। सारा घर सजा देता ऑर्किड के फूलों से। "





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