Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Sandeep Kumar Keshari

Drama

4.0  

Sandeep Kumar Keshari

Drama

प्रिय डायरी (नाटक)

प्रिय डायरी (नाटक)

2 mins
362


अरे, ओ अम्मा! उठो, 8 बज गए, बहू ने रसोई से चिल्लाकर कहा। गौशाला के पास बने एक छोटे से कमरे से कोई आवाज़ नहीं आई। कुछ देर बाद फिर बहू ने आवाज़ लगाई – “ये तो तेरा रोज रोज का नाटक है ना, अब नहीं चलेगा। चलो उठो, और बर्तन पड़ा है उसको धो दो।“ सास की उम्र 75 पार थी लेकिन रोज सुबह उठकर वह बर्तन धोती और पूरे घर में झाडू लगाती थी। पिछले कुछ दिनों से वह बुखार की शिकायत कर रही थीं।

एक तो दिसंबर महीने की कड़ाके की ठंड, उसपर ये बूढ़ा बदन, गौशाला के बगल में खपरैल वाला मिट्टी का मकान, एक पुराना टूटा खाट जिसे किसी तरह बांध कर रखा गया था और इन सबसे ऊपर ये मुआ बुखार – आखिर शरीर कब तक साथ दे? हफ्ता भर पहले ही तो बेटे ने उसे गांव के डॉक्टर को दिखाया था। डॉक्टर ने बिना जांच किए कुछ दवाइयां दे दी थी। दवाई के असर रहने तक ठीक रहता लेकिन फिर बुखार आ जाता। बेटे ने अपनी मां को शहर के अस्पताल में दिखाने को सोचा, किन्तु बीवी ने अस्पताल का खर्च और परेशानी का हवाला देते हुए अपने पति को मना कर दिया।

पति को मन मारकर रहना पड़ा। इधर कुछ देर बाद फिर जब आवाज़ नहीं आई तो बहू ने पैर पटकते हुए अपने कमरे में प्रवेश किया और पति के देह से कम्बल खींचकर जमीन पर गिरा दिया और जोर से चिल्लाते हुए बोली – “तेरी अम्मा बहरी है क्या, जो उसे सुनाई नहीं देता? सुबह के आठ बज गए हैं, अभी तक बर्तन नहीं धुला है, साफ सफाई नहीं हुई और तुम्हारी राजमाता आराम फरमा रही हैं ?

चीकू को स्कूल में देर हुई न तो समझ लेना फिर! अब ये अम्मा का रोज रोज का नाटक बर्दाश्त नहीं होता मुझसे। जाओ, उठाओ अपनी राजमाता को और बोलो कुछ काम करे वरना ये कोई धर्मशाला नहीं।”

पहले तो पति को जी हुआ कि उसे एक झाड़ लगा दे, पर ये सोचकर चुप हो गया कि कौन सुबह सुबह इससे मुंह लगाकर अपना दिन खराब करे। वह चुपचाप उठा और अम्मा की कोठरी में घुसकर अम्मा को उठाने लगा। जब उसने कम्बल हटाया तो उसकी आंखें पथरा गई। अम्मा बेजान थी! उसके हाथ पैर सुन्न होकर ठंडे पड़ गए थे! पति ने पत्नी को सुनाते हुए कहा – “खत्म हो गया तेरा नाटक आज से!” फिर बैठकर वहीं निढाल हो गया। बहू जब आई तो चुपचाप खड़ी हो देखती रही। उधर चीकू दरवाजे के कोने में चिपक कर एकटक हो नाटक का पटाक्षेप देख रहा था !


Rate this content
Log in

More hindi story from Sandeep Kumar Keshari

Similar hindi story from Drama