प्रेस्कॉट की पवनचक्की
प्रेस्कॉट की पवनचक्की
बात उन दिनों की है जब शिकारी कबीले के कुछ उग्र युवाओं ने कनाडा से अंग्रेजों को खदेडने की योजना बनायी। उन्होंने न्युयॉर्क राज्य से प्रेस्कॉट पर गोपनीय तरीके से हमला करने की ठान ली। जब अंग्रेजों को उनकी चाल का पता चला तो उन्होंने अपनी सेना की एक टुकडी, जो नदी पर गश्त कर रही थी, को शिकारी कबीले की योजना विफल करने का आदेश भेजा। सुबह के नौ बजे थे कि ६०० ब्रिटीश सैनीक आगे को कूच करने लगे। शिकारी कबीले का मुखिया वॉन शुल्त्ज ने जल्दी से अपने आदमीयों अपनी जगह लेने का आदेश दे दिया। जैसे ही अंग्रेज भीतर घुसने लगे, उन्होंने गोलीयाँ चलानी शुरू कर दी।
अंग्रजों को लग रहा था कि वे संख्या में ज्यादा है, अतः उनकी जीत सुनिश्चित है, किंतु शिकारी कबीले के वफादार योद्धाओं ने उन्हें करारा जवाब दिया। ये लडाई, करीब पाँच घंटे तक चली। धीरे-धीरे अंग्रेजों की सेना पीछे हटने लगी। उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ था। अंग्रेजों के ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। शिकारी कबीले वालों ने पवनचक्की में शरण ले रखी थी। यह पवनचक्की बडे-बडे पत्थरों से बनी थी, अतः गोला बारूद का इन पर कोई असर नहीं हो रहा था। जल्द ही उनकी आशाओं पर पानी फिरने लगा। अंग्रेजों के और एक हजार सैनिक युद्धस्थल पर पहुँच गये।
इस बार अंग्रेज अपने साथ स्टिमर पर तोपखाने लाद कर लाये थे। शिकारी कबीले वालों के हौसले पस्त होने लगे। उन्होंने शाम तक आत्म समर्पण कर दिया। इस तरह ये अल्पकालिन लडाई खत्म हो गयी। अंग्रेजों ने सभी को बंधक बना लिया और उनका साजो-सामान अपने कब्जे में कर लिया।
पत्थर से बनी वह बेनाम पवनचक्की आज भी अपनी जगह पर बरकरार है और उस एक दिन के युद्ध की यादगार बनी हुई है। स्थानीय लोग उसे देखने आते है और शिकारी कबीले के वीर योद्धाओं का गुणगान करते है।