प्रेमा
प्रेमा
प्रेमा शहर के एक सरकारी कालेज में प्रोफेसर हैं। अभी कोरोना काल में सभी तरफ लांक डाउन की स्थिति होने पर सभी की मुश्किलें बढ़ गई है। बच्चे अपनी शिक्षा को लेकर चिंतित है और अभी कालेज में दाखिला का समय है । आज के कठिन समय में अधिक से अधिक आंनलाइन काम करने की कोशिश कर रहे हैं । कालेज के वेबसाइट पर बच्चे और अभिभावक के मदद के लिए कुछ फोन नम्बर दे दिया गया है जिससे कोई भी जानकारी लेेेने में आसानी हो। सारे काम आंनलाइन नहीं हो सकते , कुछ काम के लिए कालेज आना जरूरी हो जाता है।
कालेज में द्ल विद्यार्थियों के दाखिला का समय है। प्रेमा कालेज जाने लगी , काम बहुत है परन्तु स्टाफ कम आ रहे हैं जिससे परेशानी हो रही है। अधिकांश लोग अनुुपस्थित है उन्हें फोन करने पर"हम कनटेनमेंंट जोन पर हैं"कह देते हैं। प्रेमा अपनी सहेली दिप्ती से कहा कि"
कालेज आ जाओ न, काम में मदद हो जाएगा।"
दिप्ती ने कहा कि" तुम परेशान मत हो, आराम से घर पर रहो।"
प्रेेमा फोन रख दी और सोचने लगी कि॔।"हम बच्चों के भविष्य निर्माता अपनी जिम्मेदारी से भागने लगे तो इन बच्चों का भविष्य क्या होगा। हमारे कालेज में गांव के गरिब बच्चे अधिक होते हैं।दिप्ती जैसे लोग फोन भी नहीं उठाते है, घर पर ही रह कर काम लो ,तो वो भी नहीं कर सकते।
जबकि तनख्वाह हमें पूरा मिलता है। कोई काम नहीं करना चाहते। कोई ये नहीं सोचते कि यही व्यवहार हमारे बच्चों के साथ हो तब कैसा लगेंगा।मैं अपना काम ईमानदारी से करुंगी।॓
तभी एक लड़की उसके टेबल के सामने आकर खड़ी होती है। वो लड़की पसीने से भीगी, परेशान सी थकी लग रही थी। उसने बहुत ही विनम्रता पूर्वक कहा कि"मैडम
एडमिशन सूची में मेरा नाम है और इस फ़ाइल में सार
े पेेेपर है । मुझे यहां दाखिला लेना है।प्लीज, देेख लिजिए।
प्रेमा ने फाइल लेकर खाा देखा फिर उस लड़की को देखा उसे बहुत दुःख हुआ क्योंकि उसे देख कर ही समझ आ रहा था कि वो एक गरिब परिवार की है और अभी बहुत परेशान, हलकान हो कर आईं है। सही बात कैसे कहें सोच रही थी पर कहना जरूरी है । फिर प्रेमा ने बड़े ही प्यार से कहा कि"
तुम्हें फोन करके आना था बेटा, मैं तुम्हें सही जानकारी देती। कुछ चीजें ओरिजनल ही लगतें है। नियम तो नियम होते हैं उसका कुछ नहीं कर सकते।"
वो लड़की प्रेमा को शंकित नजर से देखा। प्रेमा समझ गई कि उसे विश्वास नहीं हो रहा है , पर इसमें उसकी क्या गलती। उसने मुस्कुराते हुए नियम पुस्तिका दिखाया उसके बाद उस लड़की ने कहा कि"मैडम मैंने एक नंबर पर फोन किया था, पर बंद था। आगे कोशिश नहीं की और आ गई । मेरा गांव यहां से 75 किलोमीटर दूर है अभी कोई साधन नहीं मिला तो टैक्सी करके आना पड़ा। मैडम
जी, मेरे पापा किसान है , बहुत संघर्ष से पढ़ रहे हैं। अभी मैं PGDCA का कोर्स कर रही थी। सारे पेेेपर वहां जमा हैं। रिजल्ट नहीं निकला है , इसलिए नहीं दे रहे हैं।"
प्रेमा ने कहा कि" वहां जाकर मुुझसे बात करना और यहां आने से पहले मुझे फोन करके आना। ठीक है न।
उस लड़की ने गदगद हो कर कहा "धन्यवाद मेेडम जी।
प्रेमा ने सोचा "मै सही करती हुं जो कि फोन उठकर इन बच्चों से बात कर अच्छे से समझादेती हुं। लोगों के फोन नं उठानेे से जाने , बेचारे कितने बच्चे अनावश्यक परेशान होते हैं।"
तभी वो लडकी अपना पानी का बाटल छोड़ दी थी जिसे लेने वापस आई और उसने कहा कि "बहुत बहुत धन्यवाद मेेडम जी", मैंने सही कालेज का चुनाव किया है।॓
प्रेमा ने मुस्कुरा दिया।