Navya Agarwal

Inspirational

4  

Navya Agarwal

Inspirational

प्रेम और भाईचारा

प्रेम और भाईचारा

4 mins
449



अगस्त का बारिश का महीना दोपहर का समय लेकिन फिर भी चिलचिलाती धूप जो आग बरसा रही थी..। गर्मी तो अपने चरम पर थी..। हसीना बेगम अपने शौहर इस्माईल खां के साथ बाजार गई..। ईद - उल - जुहा जो आने वाली थी.. थोड़ी खरीददारी तो करनी ही थी..। इस्माईल हसीना को कपड़ों की दुकान पर छोड़कर खुद बाकि का सामान लेने चले गए..। बाजार में सामान खरीदते - खरीदते कब दोपहर से शाम हो गई.. पता ही नहीं लगा..। 


शाम के 04 बज चुके थे.. और ये समय मस्जिद में अजान का होता है..। मुस्लिम धर्म में यह नियम सभी अपना लेते है कि सभी दिन में 5 बार नमाज अदा करते है..। जिनमे एक समय शाम 4 बजे का होता है..। 


हसीना बेगम बाजार में ही सोचने लगी कि कहां जाए कैसे नमाज पढ़े..। उस वक्त वो एक दुकान पर खड़ी सामान खरीद रही थी..। उन्हें चिंता में देखकर दुकान वाले ने पूछा - "क्या हुआ हसीना बी ? कुछ परेशान दिख रहे हो..। "


हसीना - "जी भाई जान, नमाज अदा करने का समय हो रहा है..। समझ नहीं आ रहा कैसे नमाज पढ़े यहां बाजार में..।"


दुकानवाला - "बस इतनी सी बात..। आप हमारे घर पर पढ़ लीजिए नमाज.. अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो..।"


हसीना -" हमे तो कोई ऐतराज नहीं पर आप देखलो.. कहीं घर में।किसी को इस बात से तकलीफ़ हो..। हम मुसलमान और आप हिन्दू..।"


दुकानवाला - "अरे कैसी बात कर रही है आप हसीना बी..? हमे भला क्या तकलीफ़ होगी..। आप आइए हमारे साथ.."


दुकान वाला हसीना बी को अपने साथ अपने घर लेकर गया..। दुकान के बराबर में ही उनका घर था..। दुकानवाले ने अपनी पत्नी रश्मि को उनसे मिलवाया.. और उन्हें नमाज पढ़ने के लिए सही जगह देने को कहा..। रश्मि ने उनके लिए एक गलीचा बिछा दिया.. और अच्छे से नमाज अदा करने के लिए कह दिया..। हसीना बी के सामने एक समस्या थी..। नमाज़ हमेशा पूर्व दिशा में मुंह करके पढ़ी जाती है..लेकिन रश्मि ने उन्हें जहां बिठाया वहा उनका पूजाघर बना था..जिसका मुख पश्चिम की ओर था..।


हसीना बी ने सोचा अगर अपने नियमों के अनुसार नमाज पढ़ने बैठी तो इनके भगवान की तरफ पीठ हो जाएगी.. और यदि भगवान की ओर मुख रखा तो नमाज का नियम भंग हो जाएगा..। वो इसी कशमकश में थी कि रश्मि उन्हें परेशान देखकर बोल पड़ी - क्या हुआ बहन जी, कोई परेशानी है क्या..? हसीना बी ने हिचकिचाते हुए उन्हें अपनी उलझन बताई तो रश्मि मुस्करा दी..। 


वो हसीना बी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहने लगी.. "आप अपने नियम का पालन कीजिए और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाइए..। भगवान बिल्कुल बुरा नहीं मानेंगे.." इतना कहकर वह उन्हें नमाज पढ़ने का कहकर चली गई..। 10 मिनट बाद जब वो वापस उनके पास अाई तो देखकर हैरान थी कि हसीना बी मंदिर की तरफ मुंह करके बैठी नमाज पढ़ रही थी..।


जब वह नमाज पढ़कर उठी.. तो उन्होंने रश्मि का हैरान चेहरा देखा..। वह रश्मि के पास अाई और उनसे पूछा - "क्या हुआ रश्मि बहन ? चेहरे पर ये चिंता की लकीरें क्यों है ?" रश्मि ने जल्दी से उनके पास बैठते हुए पूछा -" आपने नमाज मंदिर की तरफ मुंह करके क्यों पढ़ी ? इससे तो आपका नमाज का नियम भंग हो गया ना ? मैंने सुना है आप लोग नमाज को पूरे नियम कायदे से अदा करते है और उनके साथ कोई समझौता नहीं करते । फिर आप मन्दिर की तरफ ऐसे कैसे....?


हसीना बी रश्मि की बातें सुनकर मुकुराई और कहने लगी - "जब मेरे मन्दिर की तरफ पीठ करके बैठने से भगवान बुरा नहीं मानेंगे तो मेरे मन्दिर की तरफ मुंह करके बैठने से अल्लाह क्यू बुरा मानेंगे । ईश्वर और अल्लाह एक ही तो है ना, बस आदमियों ने अलग अलग बना दिया । भगवान की चौखट पर बैठकर अगर मै उनकी तरफ पीठ कर लू तो ये मेरे अल्लाह की भी तौहीन होगी ना । क्या भगवान और क्या अल्लाह, सब एक ही है । जब आप लोग दरगाह पर जाकर सिर झुका सकते हो तो हम मन्दिर में जाकर भगवान के आगे हाथ तो जोड़ ही सकते है । मै तो हर एकादशी को खाटू धाम भी जाती हूं दर्शन को और वहां जाकर शीश भी नवाती हूं । क्या फ़र्क पड़ता है कि धर्म कौनसा है, आपस में प्रेम होना चाहिए, भाईचारा होना चाहिए ।"


हसीना भी बाते सुनकर रश्मि की आंखे भर आई । वो खुश होते हुए हसीना बी से कहने लगी - कितना गलत सोचते है लोग कि मुसलमान बुरे होते है । आज आपने सिखा दिया हिन्दू मुस्लिम धर्म से भी बड़ा होता है इंसानियत का धर्म। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई तो बस नाम है जो हम इंसानों ने बना दिए । जबकि सबसे जरूरी है प्रेम और भाईचारा । 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational