पिता
पिता
माँ पर तो बहुत से लेख जाते हैं पर पिता पर कहानियाँ शायद कम लिखी जाती है,आज कोशिश करते हैं कुछ पिता पर लिखने की हाँ पिता पर यहाँ किरदार नाम रखते हैं।
किसन, किसन दो बेटो का पिता अपनी बीवी का पति पर सारी दुनिया का बोझ उस पर बेटों को पढ़ाना है।
घर की सारी जरूरतों को भी पूरा करना है। सबको लेकर भी चलना है, बस दिन भर चार पैसे कैसे अधिक कमाये यही चिंता खाये जाती है।
जूते फट गये चलो सिलवा लेते है, कमीज फट गयी चलो कोट के नीचे पहन लेंगे, कहने का आशय यह है कि अपनी जरूरतों को नजर अंदाज करके बस जीवन यापन करना है ना कि अपनी परवाह करनी है।
बडे ही अचरज में पड़ जाते हैं जब साँस फूल रही है पर अपनी परवाह नहीं, बस हर समय यही चिंता की परिवार कैसे खुश रहे। हाँ यही तो है पिता जो सबकी चिंता करता है पर अंदर ही मरता है। हाँ वही पिता, पिता वह छाता है जो जिसके नीचे परिवार महफूज रहता है। सारे पिताओ को सलाम करती हूँ।