Sanam Writer

Action Crime Thriller

4.2  

Sanam Writer

Action Crime Thriller

पिंजड़ा ( भाग 13 से 29 )

पिंजड़ा ( भाग 13 से 29 )

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 अगली सुबह जब इंस्पेक्टर राणा ड्यूटी पर आता है तो देखता है कि गौतम बहुत गुस्से में लॉकअप के अंदर चक्कर लगा रहा है राणा को देखते ही गौतम बोलता है कि मेरी बहन कल से घर नहीं आई है और तुमने मुझे यहाँ बंद करके रखा है ज़रूर तुम जानते हो मेरी बहन कहाँ है राणा बोलता है कि अब तो तू तब ही छूटेगा जब तेरी ज़मानत के लिए कोई आएगा तभी वहाँ पुलिस कमिष्नर आ जाते हैं और लॉकअप में बंद सभी लोगों के बारे में पूछताछ करते हैं तो राणा उनसे कहता है की इस आदमी ने कल मुझपर हाथ उठाया था जब मैं ऑन ड्यूटी था इसलिए इसे बंद किया है कमिष्नर उससे पूछते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया तो गौतम बताता है कि मेरी बहन कल से गायब है और इन्हें पता है कि वो कहाँ है ये बात सुनकर कमिष्नर राणा से कहते हैं कि इसे छोड़ दो और इसकी बहन को ढूंढो राणा को गौतम को छोड़ना पड़ता है गौतम जाने लगता है तभी कमिष्नर उसे गौर से देखते हैं और कहते हैं कि तुम तरुण सिंह जी के बेटे हो क्या तो गौतम कहता है कि नहीं वो मेरे मामा हैं कमिष्नर उससे बोलते हैं कि तुम्हारे मामा मेरे पुराने दोस्त हैं लेकिन बहुत दिन से उनका फोन नहीं लग रहा है तभी गौतम को ध्यान आता है की उसकी भी उसके मामा से कई दिन से बात नहीं हुई है बाहर आकर वो अपनी मामी को फोन करता है तो फोन पर उसकी मामी रो रही होती हैं जब वो कारण पूछता है तब वो बताती हैं कि उसके मामा को पुलिस पकड़ कर ले गयी है और एक हफ्ते से उनपर कार्यवाही चल रही है सरकारी पैसे की चोरी के केस में तो गौतम अपनी मामी से कहता है कि वो चिंता ना करे मानसी खो गई है उसके मिलते ही वो उनके पास गाँव आ जायेगा।

दूसरी ओर मानसी तहखाने में बच्चों के साथ रहती है और सभी के हाथ पैर अब खुले हुए होते हैं मानसी उन बच्चों से पूछती है की उन्हें यहाँ कौन लाया और कैसे वो बच्चे कहते हैं कि उन्हें कुछ याद नहीं कि उन्हें यहाँ कैसे लाया गया है तभी वहां वही अजीब सा दिखने वाला आदमी आता है और एक लड़की को ले जाने लगता है मानसी उसे ऐसा करने से रोकती है तो वो आदमी मानसी को धक्का दे देता है और कहता है कि ठीक है अगर इसे नहीं तो तुझे ले चलता हूँ तभी वहां मोहित आता है और देखता है कि वो आदमी उस बच्ची की जगह मानसी को ला रहा है मोहित उसे बोलता है कि अगर इसे ले गए तो इसे पता चल जाएगा कि हम क्या काम करते हैं और कैसे और अगर ये भाग गई तो ये जाकर अपने भाई को बता देगी ये सुनकर मानसी को एक तरीका सूझता है कि वो उस आदमी के साथ चली जाए और देखे की उनका काम कैसे होता है तभी मानसी उस आदमी से बोलती है "बच्चों को नहीं अगर तुझमे हिम्मत है तो मुझे लेकर जा" ये सुनकर उस आदमी को गुस्सा आ जाता है और वो मानसी को पकड़ कर अपने बॉस के अड्डे पर ले जाता है।

 गौतम बहुत परेशान रहता है कि एक तरफ मानसी का कुछ पता नहीं चल पा रहा दूसरी तरफ मामा मुसीबत में हैं उसे समझ नहीं आता कि वो क्या करे वो एक चाय की टपरी पर जाकर चाय पीने बैठता है और सोचता है कि उसे क्या करना चाहिए तभी वहाँ एक चोर एक बूढ़ी औरत का पर्स लेकर भागता है और वो औरत मदद के लिए चिल्लाती है गौतम उसकी आवाज़ सुनकर उस चोर के पीछे भागता है और उसे पकड़ लेता है गौतम उस बूढ़ी औरत को उसका पर्स वापस करता है तो वो औरत बोलती है "भगवान तुम्हारा भला करे बेटा" ये सुनकर गौतम बोलता है

"भगवान होंगे तो भला करेंगे ना आँटी जो है ही नहीं वो क्या कर सकता है अगर भगवान होते तो मेरी बहन मेरे साथ होती" ऐसा बोलकर गौतम वहाँ से चला जाता है घर पहुँचकर उसे उसके घर के बाहर एक पार्सल मिलता है जिसके साथ एक चिट्ठी होती है गौतम उस चिट्ठी को पढ़ता है उसमें लिखा होता है "पार्सल में एक पैनड्राइव है जिसमें एक वीडियो है उस वीडियो को देखो" गौतम उस पैनड्राइव का वीडियो देखता है उस वीडियो में वही लड़का होता है जो गौतम से अब तक कई बार मिल चुका है उस वीडियो में वो लड़का बोलता है "गौतम यही सोच रहे हो ना कि मैं इस वीडियो में क्या कर रहा हूँ , दरअसल तुमसे कुछ बात करनी है मेरे दोस्त अभी तक तुम्हे कितने हिंट दिए कितनी मदद की लेकिन तुम ये पता नहीं लगा सके कि मानसी आखिर गयी कहाँ तो चलो तुम्हारी थोड़ी चिंता कम कर देता हूँ मानसी बहुत जल्द तुम्हारे पास वापस आ जाएगी फिलहाल तुम अपने गाँव जाओ वहाँ तुम्हारे मामा को तुम्हारी ज़रूरत है और मानसी की चिंता मत करना वो सही सलामत वापस आ जाएगी" ये वीडियो देखकर गौतम को चिंता भी होती है और अजीब भी लगता है कि इस लड़के को ये कैसे पता कि मेरे मामा किसी मुसीबत में हैं और मानसी सही सलामत वापस आ जाएगी का क्या मतलब मानसी आखिर गयी कहाँ। गौतम जल्द ही अपने गाँव के लिए निकलता है और 10 घँटे के सफर के बाद गाँव पहुंच जाता है जहां उसकी मामी उसे सारी बातें बताती हैं गौतम मन ही मन में सोचता है कि उसके मामा जैसा ईमानदार इंसान सरकारी पैसा तो क्या कुछ भी चोरी नहीं कर सकता तभी उसका फोन बजता है फिर वही प्राइवेट नंबर वो फोन उठाता है तो वही लड़का बोलता है कि "सही सलामत पहुँच गए ना कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई, वैसे मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो लेकिन तुम्हारे पास तुम्हारे मामा को बेगुनाह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है अगर सबूत चाहिए तो कल सुबह ठीक 4 बजे तुम्हारे खेत पर आ जाना" ऐसा कहकर वो लड़का फोन रख देता है।

दूसरी ओर उस गिरोह के आदमी मानसी को उनके असली अड्डे पर ले जाते हैं उसे रास्ता ना पता चले इसलिए उसकी आँखों पर पट्टी बांध दी जाती है जब वो उस अड्डे पर पहुँचती है और उसकी आँखों से पट्टी हटाई जाती है तो वो देखती है कि एक बड़ी सी कुर्सी पर कोई आदमी बैठा हुआ है गौर से देखने पर वो समझ जाती है कि ये आदमी संस्कार है यानी इस गिरोह का लीडर तभी मोहित भी वहाँ आ जाता है संस्कार मोहित से बोलता है कि उसने मानसी को यहाँ लाकर बहुत अच्छा किया अब इसे भी हम बाकी लड़कियों की तरह बेच देंगे तभी मोहित बोलता है "इसे यहाँ लाने में बहुत देर हो गई क्योंकि बड़े बाज़ार में बहुत भीड़ थी जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो गया था उसके बाद संस्कार कहता है कि मानसी को कमरे में ले जाकर बांध दो कल सबसे पहले इसकी ही डील करेंगे मानसी को समझ नहीं आता कि अब वो क्या करे तभी मोहित कहता है कि वो मानसी को कमरे में ले जाएगा फिर मोहित मानसी को कमरे में ले जाकर कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लेता है फिर मानसी को पानी पिलाता है लेकिन मानसी उसे थप्पड़ मार देती है और कहती है कि उसने ये सब करके अच्छा नहीं किया।

गाँव में गौतम सुबह 4 बजे खेत पर उस लड़के से मिलने जाता है तो देखता है कि खेत के बाहर सड़क पर एक कार खड़ी हुई है वो उस कार के पास जाकर देखता है तो उसमें वही लड़का बैठा होता है वो गौतम को देखकर कार का दरवाज़ा खोलता है और गौतम को अंदर बैठने को बोलता है गौतम कार में बैठ जाता है और उस लड़के से पूछता है कि उसने उसे यहाँ क्यों बुलाया है और क्या सुबूत देना चाहता है वो तो वो लड़का उससे कहता है "बिना टाइम वेस्ट किये पॉइंट पर आता हूँ, ज़रा अपने दाहिने ओर खेत में देखो" जब गौतम वहाँ देखता है तो हैरान हो जाता है वो देखता है कि इंस्पेक्टर राणा वहाँ किसी से बात कर रहा है गौतम सोचता है कि राणा यहाँ कहाँ से आया और क्यों तभी वो लड़का फिर बोलता है "राणा जिस आदमी से बात कर रहा है वो भी तुम्हारे मामा की तरह ही एक इनकम टैक्स ऑफिसर है और तुम्हारे मामा के ऑफिस में ही काम करता है एक नंबर का भृष्ट आदमी है अब आगे तुम खुद समझदार हो लेकिन जोश में आकर कोई कदम मत उठाना वरना उन्हें पता चल जाएगा कि हम उन्हें देख रहे हैं" तभी गौतम बोलता है कि उन्हें हमारी कार देखकर तो पता चल ही जाएगा ना तो वो लड़का हँसते हुए बोलता है कि ये उसी की कार है तो गौतम पूछता है कि तुम्हारे पास इस कार की चाबी कहाँ से आई तुम भी उनसे मिले हुए तो नहीं हो इसपर वो लड़का बोलता है कि हाँ मैं तो पागल हूँ जो खुद को ही पकड़वाने के लिए तुम्हे शहर से यहाँ बुलाया गौतम पूछता है कि फिर कार का दरवाज़ा खोला कैसे तुमने तो उस लड़के ने कहा कि तुम आइस क्रीम खाओ ना यार आइस क्रीम जमाने वाला फ्रिज कौनसी कंपनी का है उससे तुम्हे क्या लेना देना।

अब सवाल ये था कि वो आदमी गौतम के मामा के बारे में क्या जानता था और ये सवाल गौतम के मन में भी आता है जिसके लिए वो उस लड़के की मदद मांगता है तो वो लड़का कहता है कि आसान सा काम है भेस बदलकर उसके ऑफिस जाओ और बात करने की कोशिश करो और गौतम को ये तरीका अच्छा लगता है। फिर वो दोनों ऐसे ही गाँव में घूमते हुए बात करते हैं तो वो लड़का पूछता है कि यार तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है क्या तो गौतम कहता है कि तुम तो जानते हो एक था पर वो भी बात नहीं कर रहा गौतम उससे पूछता है कि तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है क्या तो वो लड़का कहता है कि है ना बड़ा ही शरारती था बचपन में मतलब इतना कि मेरे हिस्से के चने भी खा गया था एक बार फिर गौतम अपने घर चला जाता है और वो लड़का गौतम को जाता देखकर मुस्कुराने लगता है। इधर मोहित कमरे से बाहर आ जाता है और अपने काम में व्यस्त हो जाता है तभी वो अजीब सा दिखने वाला आदमी जो मानसी के साथ पहले भी बदतमीज़ी कर चुका था वो मानसी के कमरे में चला जाता है मानसी उसे देखकर डर जाती है वो मानसी से कहता है कि अब यहाँ कोई नहीं है मुझे अब मेरी मनमानी करने से कोई नहीं रोक सकता मानसी उससे बचने की बहुत कोशिश करती है पर वो मानसी को कस कर पकड़ लेता है और उसे बिस्तर पर धक्का देकर गिरा देता है वो फिरसे मानसी को छूने वाला होता है कि तभी उसके चेहरे पर एक ज़ोर का थप्पड़ पड़ता है जिसकी वजह से वो एक दीवार से टकरा कर बेहोश हो जाता है मानसी की आँखें डर के कारण बंद रहती हैं जब वो आँख खोलती है तो देखती है कि वो आदमी बेहोश है और कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ है वो नहीं समझ पाती कि वो आदमी कैसे बेहोश हुआ मानसी फौरन कमरे से बाहर निकल जाती है बाहर आकर उसे आवाज़ सुनाई देती है कि मोहित और संस्कार एक कमरे में बैठकर खाना खा रहे हैं वो सुन तो पाती है लेकिन किसी को देख नहीं पाती तभी मोहित बोलता है कि मेन रोड से यहाँ आते आते 15 मिनिट लग जाते हैं इस वजह से खाना ठंडा हो गया है जिससे मानसी समझ जाती है कि उसे मेन रोड से 15 मिनिट की दूरी पर किसी जगह पर रखा गया है।यहाँ गाँव में गौतम मन ही मन में सोचता है कि मानसी गायब है और उस बंदे ने एक बार कह दिया की मानसी सुरक्षित है और मुझे तो ऐसा यकीन हो गया कि अब उसकी चिंता भी नहीं हो रही इसका कारण क्या है।

 मानसी कुछ और सुन पाती उससे पहले उसके मुह पर पीछे से कोई रुमाल रख देता है जिससे वो बेहोश हो जाती है जब उसे होश आता है तो वो अस्पताल में होती है डॉक्टर उसे बताते हैं कि आपको बेहोशी की हालत में यहाँ लाया गया है मानसी पूछती है कि उसे यहाँ कौन लाया तब डॉक्टर अपनी उंगली से इशारा करके बताते हैं कि वो लाए हैं जब मानसी देखती है तो वही अनजान लड़का होता है मानसी उसे अपने पास बुलाकर पूछती है कि उसे वो कहाँ मिली और कैसे और उसके भैया कहाँ हैं तो वो लड़का मानसी से कहता है की ये सब मैं तुम्हे बाद में बताऊंगा फिलहाल तुम्हें मेरे साथ चलना होगा और मानसी तैयार हो जाती है। फिर वो दोनों पुलिस कमिशनर के ऑफिस जाते हैं कमिशनर उस लड़के को देखकर कहता है कि अरे आप यहाँ कैसे तो वो लड़का मानसी से कहता है कि तुमने वहाँ जो कुछ भी देखा सर को बता दो मानसी सोचने लगती है कि इसे कैसे पता चला कि मैं किडनैप हो गई थी लेकिन फिर मानसी उन्हें बताती है कि वो लोग बच्चों को बेचने के साथ साथ ड्रग्स का धंधा भी करते हैं कमिशनर उससे पूछते हैं कि उसे कहाँ रखा गया था मानसी को बस इतना पता होता है कि मेन रोड से 15 मिनिट की दूरी पर। इधर गाँव में गौतम सोचता है कि कैसा भेस बदला जाए जिससे कोई उसे ना पहचान सके क्योंकि अगर इंस्पेक्टर राणा ने उसे देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी बहुत सोचने के बाद वो तय करता है कि वो मंदिर के पुजारी का भेस लेगा ये बात वो अपनी मामी और नाना नानी को बताता है उसके नाना जानते थे कि गौतम नास्तिक है तो वो उसे कहते हैं कि पुजारी का भेस लेगा तो भगवान का नाम लेना पड़ेगा गौतम बोलता है की मेरे भगवान जैसे मामा को बचाने और उस गिरोह को पकड़ने के लिए मैं कुछ भी करूंगा फिर गौतम भेस बदलने में लग जाता है तभी उसका फ़ोन बजता है दूसरी ओर से कोई आवाज़ नहीं बस एक वॉइस मैसेज आता है जिसमें मानसी का मैसेज होता है वो बोलती है"भैया मैं बिल्कुल ठीक हूँ और इस समय कमिशनर साहब के ऑफिस में बैठी हूँ मुझे मामा के बारे में सब पता चल गया है और कमिशनर साहब ने कहा है कि वो मामा को बेगुनाह साबित करने में मदद करेंगे " ये मेसज उसी प्राइवेट नंबर से आया होता है गौतम उस नंबर पर फोन करता है तो वो लड़का फोन उठाता है गौतम उससे पूछता है कि तुम तो मेरे गाँव में थे ना 2 घँटे पहले अब वहाँ कैसे पहुँच गए तो वो लड़का बोलता है कि तुम भेस बदलने में ध्यान दो ये सब तुम जैसों की समझ नहीं आएगा और फोन काट देता है।

 दूसरी ओर मोहित और संस्कार अपने उस आदमी पर बहुत गुस्सा होते हैं कि उसने मानसी को जाने कैसे दिया तो वो आदमी बताता है कि किसी ने मुझे थप्पड़ मारा था फिर मेरा सर दीवार से टकरा गया जिससे मैं बेहोश हो गया और वो कब निकल गई मुझे नहीं पता संस्कार उससे पूछता है कि वो कौन था जिसने थप्पड़ मारा था तो वो आदमी बताता है कि उसने उसका चेहरा नहीं देखा वो अचानक कमरे में आ गया था मोहित उसे कहता है कि उसे क्या ज़रूरत थी मानसी के कमरे में जाने की फिर संस्कार मोहित से कहता है कि किसी भी तरह वो मानसी को पकड़े वरना वो अपने भाई को सब बता देगी फिर मोहित मानसी को ढूंढने निकल जाता है। यहाँ मानसी कमिशनर साहब को सब बता देती है फिर कमिशनर उसे घर जाने के लिए कहते हैं वो लड़का मानसी को बोलता है कि वो उसे घर छोड़ देगा और मानसी उसके साथ चली जाती है फिर वो दोनों कार में बैठ जाते हैं और उन दोनों के बीच बातचीत शुरू हो जाती है सबसे पहले मानसी उससे उसका नाम पूछती है तो वो लड़का मुस्कुराने लगता है और कहता है कि नाम जानकर वो क्या करेगी लेकिन वो उसे जिस नाम से चाहे बुला सकती है तभी मानसी उसके हाथ पर एक राखी देखती है जिसे देखकर उसे कुछ ध्यान आता है और वो पूछती है कि ये राखी तुम्हें किसने बाँधी तो वो लड़का कहता है कि है एक लड़की जो मुझे अपना भाई मानती है हर साल अपने भाई के साथ मुझे भी राखी बांधती है मानसी कहती है कि तुम्हे पता है ऐसी राखी मैं हर साल गौतम भाई और... मानसी अपनी बात पूरी नहीं कर पाती और वो लड़का कहता है लो तुम्हारा घर आ गया फिर मानसी घर चली जाती है घर जाकर वो अपनी अलमारी खोलती है जिसमे ठीक वैसी ही राखी रखी होती है जैसी उस लड़के की कलाई पर थी मानसी को मन में झटका लगता है और वो सोचती है कि ऐसा कैसे हो सकता है ये राखी तो मैं हर साल भाई के अलावा सिर्फ उन्हीं को बाँधती हूँ और ऐसी राखी तो बाज़ार में मिलती भी नहीं क्योंकि मानसी उसे हर साल खुद बनाया करती थी और इस रक्षाबंधन के लिए भी बनाई थी।

 मानसी कुछ और सोच पाती इससे पहले दरवाज़े की घंटी बजती है जब मानसी दरवाज़ा खोलती है तो फिर वही लड़का होता है वो मानसी से कहता है कि तुम्हारे लिए खाना लाया हूँ मानसी उसे अंदर बुलाती है फिर वो लड़का अपने हाथ से उसके लिए खाना परोसता है फिर मानसी सोचती है कि सच पता लगाने के लिए इससे दोस्ती करनी पड़ेगी फिर मानसी उससे पूछती है कि उसके परिवार में कौन कौन है तो वो बोलता है वैसे तो अनगिनत लोग हैं लेकिन अगर जिस परिवार में मैंने जन्म लिया उसकी बात की जाए तो मेरी माँ पिता जी और मेरी माँ पिता जी, मानसी पूछती है कि तुम्हारे दो दो मम्मी पापा हैं क्या तो वो लड़का बोलता है कि हाँ ऐसा ही समझो फिर मानसी उससे बोलती है की मैं तुमको भाई कहकर बुलाऊंगी फ़िर वो उससे बोलती है कि मेरे मामा बहुत ईमानदार हैं उन्होंने अपनी तनख्वा के ऊपर एक रुपये भी नहीं कमाए कभी फिर उनपर ऐसा आरोप कैसे लगा और अब क्या होगा फिर वो लड़का बोलता है कि नहीं तुम्हारे मामा ने कुछ और भी कमाया है मानसी पूछती है कि क्या कमाया है तो वो बोलता है कि दोस्ती बचपन का एक ऐसा दोस्त जो इस परेशानी से उन्हें बाहर निकालेगा बचपन की दोस्ती बहुत काम आती है कभी कभी मैं तो ये बात देख चुका हूँ खैर अब हमें तुम्हारे गाँव के लिए निकलना चाहिए गौतम को तुम्हारी चिंता हो रही होगी। फिर वो दोनों गाँव चले जाते हैं और वहाँ गौतम मानसी को देखकर बहुत खुश होता है और उस लड़के को शुक्रिया बोलता है और वो लड़का मुस्कुराकर चला जाता है गौतम मानसी को अपने प्लान के बारे में बताता है और तब उसके दिमाग में एक शरारत सूझती है वो मानसी से कहता है की इस लड़के ने हमारी मदद तो की लेकिन अपनी बातों से हमें बहुत उलझाया है अब इसके साथ मैं थोड़ी मस्ती करूंगा फिर गौतम पुजारी का भेस बनाकर मंदिर में जाता है वो देखता है कि वो लड़का शिवलिंग पर दूध चढ़ा रहा है फिर उन दोनों के बीच बातचीत होती है गौतम पुजारी के भेस में होता है इसलिए वो लड़का उसे नहीं पहचान पाता। 

(गौतम :- इनपर दूध चढ़ाने से अच्छा गरीब बच्चों को दूध पिलायो

वो लड़का :- इनपर दूध चढ़ाऊंगा तभी तो गरीब बच्चों का पेट भरने का सामर्थ्य आएगा पुजारी जी

गौतम :- वैसे आप नए लगते हैं गाँव में आपको कभी देखा नहीं

वो लड़का :- हाँ मैं आज ही अपनी दोस्त मानसी के साथ आया हूँ

गौतम :- वैसे मानसी बिटिया तो बड़ी होनहार बच्ची है लेकिन उसका बड़ा भाई भी बहुत नेक बालक है

वो लड़का :- नहीं वो नहीं है

गौतम :- मतलब

वो लड़का :- मतलब वो बेवकूफ है उसे कोई बात समझ ही नहीं आती

गौतम :- खैर वो सब छोड़िये आपको यहां से निकल जाना चाहिए बारिश शुरू होगी अब 8-10 दिन में और यहाँ भीषण बाड़ आती है

वो लड़का :- भीषण मतलब ??

गौतम :- मतलब पिछली बार यहाँ बाड़ आई थी तो जिराफ़ के साइज़ का पानी था

वो लड़का :- जिराफ़ रखकर पानी नापा था मतलब आपने

गौतम :- अरे आपसे तो बात करना बेकार है मैं चलता हूँ

वो लड़का :- विश्वास रखना एक दिन पिंजड़ा टूटेगा और आज़ादी मिलेगी बस हार नहीं माननी है)

 मोहित मानसी के घर आता है लेकिन वहाँ ताला लगा होता है उसे गुस्सा आता है की मानसी कहाँ चली गई वो संस्कार को फोन करके बताता है कि मानसी घर नहीं आई है संस्कार उसे मानसी को जल्द से जल्द ढूंढने को कहता है संस्कार के फोन के बाद मोहित को भी प्राइवेट नंबर से फोन आता है और फिर वही लड़का होता है वो मोहित से कहता है कि मानसी को पकड़ना है तो उसके गाँव चले जाओ वो गौतम के साथ उसके गाँव में है उस फोन के बाद मोहित भी गौतम और मानसी के गाँव जाने के लिए निकल जाता है। यहाँ पुजारी का भेस लेकर आख़िरकार गौतम इनकम टैक्स ऑफिस जाता है उस अधिकारी से मिलने जो राणा से मिला हुआ है गाँव से ऑफिस का रास्ता 3 घँटे का होता है इसलिए गौतम अपने साथ उस लड़के को भी चलने के लिए बोलता है लेकिन वो मना कर देता है वो कहता है कि तुम अकेले जाओ मैं मानसी के साथ गाँव देखने जा रहा हूँ लेकिन संभाल कर कोई तुम्हे ग़लती से भी ना पहचान सके गौतम के जाने के बाद वो लड़का मोहित को मैसेज करता है जिसमें सिर्फ़ इतना लिखा होता है कि "गौतम के मामा का ऑफिस" ये देखकर मोहित समझ जाता है कि उसे गाँव नहीं बल्कि इनकम टैक्स ऑफिस जाना है उसके बाद वो लड़का मानसी के साथ गाँव में घूमने लगता है मानसी सोचती है कि बातों बातों में इससे पूछती हूँ कि ये है कौन मानसी उससे पूछती है कि तुम कहाँ रहते हो तो वो लड़का बोलता है द्वारिका तो मानसी पूछती है तुम इतनी दूर से यहाँ आए हो तो वो लड़का कहता है तुमने पूरी बात नहीं सुनी मैंने कहा द्वारिकाधीश सोसायटी तुम्हारे शहर में हि तो है फिर मानसी उससे पूछती है कि तुम्हारे कोई भाई बहन नहीं हैं क्या तो वो बोलता है कि हैं ना बड़े भाई और छोटी बहन फिर मानसी उससे पूछती है कि तुम्हारा नाम क्या है तुम हर बार इस सवाल को टाल देते हो तो वो लड़का बोलता है कि सही वक्त आने पर तुम्हे पता चल जाएगा कि मैं कौन हूँ।

 गौतम इनकम टैक्स ऑफिस पहुँचता है वहाँ वो देखता है कि इंस्पेक्टर राणा भी उस अधिकारी के साथ बैठा होता है गौतम उनकी टेबल पर जाता है वो अधिकारी उससे पूछता है कि क्या काम है गौतम बोलता है कि मैं तो अपनी इनकम का टैक्स भरने आया हूँ राणा उससे बोलता है कि अरे पंडितजी एक पुजारी की कितनी इनकम होगी जो आप टैक्स भरने चले आए तो गौतम बोलता है "हरे कृष्ण हरे कृष्ण ज़्यादा नहीं होती लेकिन जो भी होती है ईमानदारी की होती है कुछ बईमान लोगों की तरह दो नंबर का पैसा नहीं होता" इस बात पर राणा अपनी नज़रें नीची कर लेता है फिर गौतम बोलता है "वैसे पहले तो यहाँ एक मूछों वाले साहब होते थे ना क्या नाम था उनका हाँ सिंह साहब वो नहीं दिख रहे" वो अधिकारी उसे बोलता है कि वो एक नंबर का भृष्ट निकला उसपर पैसों की चोरी का आरोप है पता नहीं सरकार ऐसे लोगों को ऐसी पोस्ट पर क्यों बैठा देती है ये बात सुनकर गौतम को गुस्सा आता है पर वो खुद पर काबू करता है तभी वहाँ मोहित आ जाता है राणा मोहित को देखकर कहता है कि अरे मोहित तुम यहाँ तब मोहित बताता है कि मुझे ख़बर मिली है कि वो गौतम यहाँ आने वाला है इसलिए मैं यहाँ आया हूँ तभी मोहित पुजारी जी को देखता है और पूछता है कि आप कौन हैं तो वो अधिकारी बोलता है कि ये इनकम टैक्स भरने आए हैं मोहित उससे पूछता है कि किस मंदिर के पुजारी हो तो गौतम बोलता है कि अरे वहाँ रेल्वे लाइन के पास मंदिर है ना वही के हैं बस भगवान की कृपा से, मोहित कहता है कि अगर गौतम यहाँ आए तो उसे पता मत चलने देना की उसके मामा पर झूठा इलज़ाम आपने लगवाया और इन्हें उनकी पोस्ट पर बैठा दिया ताकि आप अपने काले धन को सफेद कर सको राणा उससे बोलता है की वो पागल थोड़ी ही है जो ये सब गौतम को बताएगा फिर मोहित वहाँ से चला जाता है और कुछ देर के बाद गौतम भी चला जाता है। गौतम जब घर आता है तो देखता है कि वो लड़का उसके घर पर ही है गौतम सबको बताता है की उसने वहाँ क्या देखा और सुना जिसपर वो लड़का कहता है कि अच्छा अब दिखाओ या सुनाओ तुमने क्या देखा गौतम बोलता है कि अभी तो बताया तो वो लड़का बोलता है की ऐसे नहीं तुमने वहाँ जो वीडियो या ऑडियो रिकॉर्ड किया होगा वो कहाँ है तो गौतम को ध्यान आता है कि वो कुछ भी ऐसा लेकर नहीं गया था जिससे वो उनकी बातें रिकॉर्ड कर सके इसपर वो लड़का और मानसी उसपर बहुत गुस्सा होते हैं की अब हम सबूत कहाँ से लाएंगे उनके खिलाफ़।

 गौतम की इस गलती की वजह से सारा प्लान फेल हो जाता है वो अनजान लड़का कहता है की अब हमें कुछ और सोचना होगा लेकिन अब जो करेंगे मानसी और मैं मिलकर करेंगे तभी गौतम बोलता है कि ऐसे वक्त पर ये मोहित पता नहीं कहाँ चला गया तो मानसी कहती है कि उसने हमें धोका दिया है और वो उस गिरोह से जाकर मिल गया है ये सुनकर गौतम को बहुत हैरानी होती है मानसी वहाँ से चली जाती है और वो लड़का गौतम से कहता है कि कैसा दोस्त है यार तुम्हारा ज़रूरत पड़ने पर धोका दे दिया तो गौतम कहता है कि सच्चा दोस्त कोई नहीं होता सब नाटक है तो वो लड़का कहता है कि तुमनें महाभारत पढ़ी है तो गौतम कहता है की हाँ एक बार टीवी पर देखी है फिर वो लड़का कहता है कि महाभारत में भी एक दोस्त था जो अपने दोस्त के लिए अपने परिवार से लड़ लिया था तो गौतम कहता है देखो यार मैं महाभारत सिर्फ इसलिए देखता था क्योंकि मानसी को वो पसंद है वरना मुझे किसी चीज़ में दिलचस्पी नहीं है समझे ऐसा कहकर गौतम भी वहाँ से चला जाता है फिर वो लड़का खुद से ही बात करते हुए कहता है "कमाल है लोगों को अच्छी बातें सुनने में कोई रुचि ही नहीं है खैर मैं सबका भला ही करूंगा फिर भी" तभी उस लड़के का फोन बजता है वो फोन उठाता है तो दूसरी ओर से कोई बोलता है " सब प्लान के मुताबिक ही चल रहा है ना" तो वो लड़का कहता है " नहीं यार ये गौतम एक नंबर का बेवकूफ निकला इसने कुछ रिकॉर्ड ही नहीं किया" फिर दूसरा आदमी बोलता है " मतलब इतनी मेहनत बेकार अब फिर से ये सब करना मुमकिन नहीं है तो वो लड़का कहता है कि ठीक है अब मैं कुछ करता हूँ फिर वो लड़का मानसी के पास जाता है तो देखता है कि मानसी के हाथ में एक राखी है वो उसे देखकर फौरन अपनी जैकेट से अपनी कलाई ढक लेता है ताकि वो राखी मानसी को उसकी कलाई पर ना दिखे मानसी उससे पूछती है कि भाई आपकी कलाई पर भी ऐसी ही राखी है ना सच सच बताओ ये आपको किसने बाँधी वो लड़का अपना हाथ दिखाते हुए बोलता है कि कहाँ है राखी तो मानसी उसकी जैकेट ऊपर करती है और कहती है ये रही अब बताओ किसने बाँधी ये राखी तो वो लड़का कहता है की मैंने तुम्हें बताया था ना कि मेरी एक बहन ने तो मानसी उस लड़के को भगवान कृष्ण की मूर्ती के पास ले जाकर बोलती है भगवान की कसम खाकर बताओ तो वो लड़का कहता है मैं भगवान कृष्ण की कसम खाकर कहता हूँ ये राखी मुझे मेरी बहन ने बाँधी है और फिलहाल ये सब ज़रूरी नहीं है अभी हमें दूसरा प्लान बनाना होगा फिर वो लड़का वहाँ से चला जाता है। दूसरी ओर मोहित संस्कार से फोन पर कहता है कि हमारे पास ज़्यादा समय नहीं है हमे जल्द से जल्द उन सारे बच्चों और हमारे सारे ड्रग्स के स्टॉक की डील करनी होगी वर्ना गौतम अपनी बहन और एनजीओ के बाकी लोगों के साथ मिलकर हमें पकड़ लेगा वैसे भी मानसी को मेरी असलियत पता चल गई है और अभी तक तो उसने गौतम को बता भी दिया होगा।

 मानसी ठान लेती है कि वो पता करके ही रहेगी कि वो लड़का कौन है और गौतम जैसी राखी उसके हाथ पर कैसे आई दूसरी ओर पुलिस गौतम के मामा से पूछताछ करती है लेकिन वो एक ही बात पर अड़े रहते हैं कि उन्होंने कोई चोरी नहीं की है फिर पुलिस कहती है कि अब तो खुद कमिशनर साहब आकर तुमसे सच उगलवाएँगे वो भी अपने तरीके से थोड़ी देर के बाद कमिशनर साहब आते हैं और मामा उन्हें देखकर पहचान जाते हैं कि वो उनके बचपन के दोस्त हैं कमिशनर बाकी पुलिस वालों से कहते हैं की वो अकेले में पूछताछ करेंगे और सबको बाहर भेजकर वो दरवाज़ा लगा लेते हैं लेकिन उससे पहले वो अपने फोन से उस लड़के को फोन करते हैं उसके साथ गौतम और मानसी भी होते हैं जो सारी बातें सुन सकते हैं फिर कमिशनर साहब फोन लगा कर अपनी यूनीफॉर्म की जेब में रख लेते हैं और मामा से पूछते हैं कि क्या उन्होंने सच में चोरी की है तो वो कहते हैं कि तुम तो मुझे बचपन से जानते हो ना कि भृष्ट लोगों से मुझे कितनी नफरत है तो मैं चोरी कैसे कर सकता हूँ तो कमिशनर साहब बोलते हैं कि मैं जानता हूँ चोरी तुमने नहीं कि लेकिन हमारे पास उसका कोई सबूत नहीं हैं लेकिन तुम चिंता मत करो तुम्हारा भांजा और भांजी सबूत ढूंढ रहे हैं ये सुनकर मामा की आँख में आंसू आने लगते हैं कि गौतम और मानसी उनसे कितना प्यार करते हैं फिर कमिशनर उनसे पूछते हैं की जहां तक मैं तुम्हें जानता हूँ तुम बहुत अच्छे इंसान हो फिर उन बच्चों के साथ इतना बुरा सुलूक क्यों करते थे ये सुनकर मामा बहुत रोने लगते हैं और कहते हैं " डर गया था मैं उन बच्चों को लेकर क्योंकि तुम तो जानते हो कि जिन बच्चों के सर से माँ बाप का हाथ उठ जाता है उन्हें गलत संगत में आने में देर नहीं लगती इसलिए डर गया था कि कहीं मेरे बच्चे भी गलत संगत का शिकार ना बन जाएं वैसे तो मेरे खुद के कोई बच्चे नहीं हैं पहली बार दो बच्चों की ज़िम्मेदारी मेरे सर पर आई थी मैं उन दोनों को खुद की जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ लेकिन उनके साथ सिर्फ़ इसलिए सख्त बनना पड़ा ताकी वो कोई गलत काम ना करें मेरे एक दोस्त के बेटे को 16 साल की उम्र में सिगरेट पीने की आदत हो गई थी मुझे डर था कहीं गौतम को भी ये आदत ना लग जाए तुम्हे पता है जब गौतम ने बताया था कि उसकी नौकरी लग गई है और अब वो औऱ मानसी शहर जाकर रहंगे तो मैं और मेरा भगवान ही जानता है कमरे में अकेला बैठकर घण्टों रोया हूँ मैं की अब बच्चे मुझसे दूर चले जायेंगे जब टीवी पर किसी लड़की के रेप की खबर देखता तो डर जाता था सोचता था कि मेरी बेटी वहां शहर में ठीक तो होगी ना जब उनकी मामी उनसे फोन पर बात करके बताती थी की वो दोनों ठीक हैं तो चैन आता था कि आज भी मेरे बच्चे वहाँ शहर में सुरक्षित हैं मैं भले ही उनका बाप नहीं हूँ लेकिन कभी उनको किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी ये बात मानसी को नहीं पता कि उसके कॉलेज की फीस ज़्यादा थी लेकिन वो उसी कॉलेज में पढ़ना चाहती थी तो उसके लिए मैंने अपनी सोने की अंगूठी बेंच दी थी ताकि उसकी फीस भर सकूं ये सिर्फ तुझे बता रहा हूँ मैं बहुत प्यार करता हूँ मैं बच्चों से उनकी नज़र में उनका मामा एक बुरा इंसान हो सकता है जिसने उनसे कभी प्यार नहीं किया लेकिन मेरे दिल को ही पता है की मैं अपने भांजे और भांजी से कितना प्यार करता हूँ"।

गौतम और मानसी फोन पर अपने मामा की सारी बातें सुन लेते हैं और उन्हें भी रोना आ जाता है कि वो समझते रहे कि उनके मामा उनसे प्यार नहीं करते लेकिन वो ये सब उनके अच्छे के लिए करते थे फिर वो दोनों ठान लेते हैं कि कुछ भी हो जाए मामा को बेगुनाह साबित करके ही रहेंगे तभी मानसी गौतम को उस गिरोह के बारे में याद दिलाती है अब उन सब के सामने दो चुनौतियां थी उस गिरोह का पर्दाफाश करना भी ज़रूरी था गौतम मानसी से कहता है कि तुम और वो लड़का मिलकर उस गिरोह को पकड़वाने का काम करेंगे और वो अकेला ही मामा की बेगुनाही का सबूत ढूंढेगा लेकिन मानसी के मन में यही सवाल होता है कि वो लड़का कौन है और हमारी मदद क्यों कर रहा है इसी बीच मोहित भी राणा के साथ गाँव आ जाता है और वो दोनों तय करते हैं कि ड्रग्स के बाकी माल का सौदा और सारे बच्चों का सौदा इस गाँव से ही होगा क्योंकि गौतम और मानसी सोच भी नहीं सकते कि ये सारा काम उनके नाक के नीचे चल रहा है इसलिए उनको शक भी नहीं होगा। गौतम को ध्यान आता है कि सिर्फ़ एक ही इंसान है जो सारी सच्चाई बता सकता है और वो है वो आदमी जिसे उसके मामा कि जगह प्रमोट किया गया है गौतम जैसे तैसे उस आदमी के घर का पता लगा कर उसके घर जाता है वो आदमी उस समय घर पर अकेला ही होता है जैसे ही वो दरवाज़ा खोलता है गौतम उसे मारने लगता है और कहता है कि अगर उसने सच्चाई नहीं बताई तो वो उसे मार डालेगा डर के कारण वो आदमी बता देता है कि राणा को अपना ब्लैक मनी वाइट करवाना था लेकिन तरुण सिंह जैसे ईमानदार अफसर के रहते ये मुमकिन नहीं था इसलिए उसने उन्हें झूठे केस में फसा दिया और उनपर सरकारी पैसा चोरी करने का आरोप लगवा दिया ताकि उनकी नौकरी चली जाए और उनकी जगह मैं उस पोस्ट पर आ जाऊं वो कहता है कि राणा ने उसे उसके सारे पैसे का 10% देने का वादा किया था इसलिए वो लालच में आ गया इस बार गौतम सारी बातें रिकॉर्ड कर लेता है और उस आदमी को पुलिस से गिरफ्तार करवा देता है। 

 दूसरी ओर मोहित और राणा तस्करी करने के लिए प्लान बनाते हैं जिसमे राणा कहता है कि गौतम और मानसी उसे पहचानते हैं और अब तो कमिशनर भी उनके साथ है अगर उन्होंने उसे गाँव में देख लिया तो वो और मोहित दोनों पकड़े जाएंगे इसलिए राणा कहता है कि हमे कोई ऐसा पुलिस वाला लाना होगा जो गाँव वालों को यह बताए कि उसकी ड्यूटी गाँव में लगी है लेकिन वो हमारे लिए काम करे और साथ ही साथ कमिशनर भी उस ऑफिसर को ना पहचानता हो तो मोहित उससे पूछता है कि ऐसा ऑफिसर कहाँ से लेकर आएंगे तो राणा कहता है कि ज़रूरी नहीं है कि कोई असली पुलिस वाला ही हो हम अपने एक आदमी को पुलिस बनाके यहाँ रहने को कहेंगे ताकि वो गाँव की सारी जानकारी हमे देता रहे और उसे कहेंगे कि वो बोले की वो किसी दूसरे शहर का है और राज्य सरकार ने उसे यहाँ भेजा है जिससे कमिशनर को भी उसपर शक ना हो फिर वो अपने एक आदमी को पुलिस वाला बनाके गाँव भेज देते हैं गाँव में सभी लोग उससे मिलते हैं गौतम मानसी और वो लड़का भी उससे मिलते हैं गौतम उस पुलिस वाले से उसके बारे में पूछता है तो वो बोलता है कि मैं कोलकाता से आया हूँ और सीधा यहीं आया हूँ यूनिफार्म भी बहुत गंदी हो गई है मेरी फिर जब वो ऑफिसर वहाँ से जाने लगता है तब वो लड़का उससे कहता है कि इंस्पेक्टर साहब ज़रा सुनिए वो पलटता है तो वो लड़का उसे सलूट करता है और कहता है की जब भी किसी को इस खाकी रंग में देखता हूँ तो सम्मान देने का मन करता है। बाद में गौतम और मानसी उस इंस्पेक्टर से अपने मामा के केस में मदद मांगते हैं जिसपर वो इंस्पेक्टर सोचता है कि ये अच्छा तरीका है इनका ध्यान भटकाने का फिर वो दोनों उसे राणा के बारे में बताते हैं तो वो इंस्पेक्टर कहता है कि वो राणा को जानता है और उसे पता है कि राणा कहाँ है और अगर उसे पकड़ना है तो कल सुबह 9 बजे गाँव के सुनसान इलाके में जो बंद पड़ा स्कूल है वहाँ आ जाना वो इंस्पेक्टर सोचता है कि वो इन दोनों को पकड़वा देगा और राणा उसे इसके अच्छे पैसे भी देगा।

 अगले दिन सुबह गौतम मानसी और वो लड़का तीनों इंस्पेक्टर के बताए हुई पते पर पहुंचते हैं वो जगह दिखने में बिल्कुल खंडहर जैसी होती है जिसमें सालों से कोई ना आया हो फिर वो लड़का गौतम से पूछता है कि क्या उसे पक्का लगता है कि वो इंस्पेक्टर जो हमें ठीक से तो क्या बिल्कुल भी नहीं जानता वो हमारी मदद करेगा मानसी भी गौतम से कहती है कि राणा बहुत चालाक इंसान है और वो कुछ भी कर सकता है हो सकता है कि वो यहाँ अपने साथ कई गुंडे लेकर आया हो उन दोनों की बात सुनकर गौतम कहता है की वो पहले अकेला अंदर जाएगा अगर वो जल्द ही बाहर नहीं आया तो वो दोनों भी अंदर आ जाए उसके बाद गौतम खंडहर के अंदर जाने लगता है तभी वो लड़का उसे रोकता है और पूछता है "अच्छा जाने से पहले एक बात बताओ कि तुम्हारा वारिस कौन है " जिसपर मानसी हँसने लगती है और गौतम उस लड़के को गुस्से में देखते हुए अंदर चला जाता है। अंदर जाने के बाद उसे वहाँ वही इंस्पेक्टर मिलता है वो उसे कहता है कि मैंने राणा को कहा है की मेरे पास तस्करी के लिए एक ग्राहक है जिससे मिलने मैंने उसे यहाँ बुलाया है इस बात पर गौतम मन में सोचता है कि जैसे ही राणा आएगा मैं उसपर टूट पड़ूँगा लेकिन अचानक से गौतम को कुछ गुंडे घेर लेते हैं जिनके पास बंदूक भी होती है वो लोग गौतम को मारने लगते हैं गौतम अकेला उनका सामना नहीं कर पाता तभी वहाँ गोली चलने की आवाज़ आती है जब वो इंस्पेक्टर देखता है तो चौंक जाता है क्योंकि कमिशनर साहब खुद वहाँ आ चुके होते हैं और वो अपने साथी पुलिस वालों के साथ मिलके उन सबको पकड़ लेते हैं और उस नकली इंस्पेक्टर से कहते हैं कि तुम लोगों के यहाँ आने से पहले ही हम लोग इस जगह पर आकर छुप गए थे ताकि तुम लोगों को पकड़ सकें तभी मानसी और वो लड़का भी अंदर आ जाते हैं गौतम कमिशनर से पूछता है कि उनको कैसे पता चला कि यहाँ ये सब होने वाला है तो कमिशनर कहते हैं की तुम्हारे इस दोस्त ने पहले ही हमे बता दिया था कि ये नकली इंस्पेक्टर यहाँ तुम लोगों को पकड़ने का प्लान बना रहा है गौतम और मानसी उससे पूछते हैं कि उसे कैसे पता चला कि ये इंस्पेक्टर नकली है तो उस लड़के ने कहा कि ज़रा याद करो कि इसने कल क्या बोला था कि मैं सीधा कोलकाता से यहाँ आया हूँ और मैंने अपनी यूनिफॉर्म भी नहीं बदली है लेकिन इस कमअक्ल को ये नहीं पता कि कोलकाता पुलिस खाकी नहीं सफेद यूनिफॉर्म पहनती है बस तभी मुझे पता चल गया कि ये भाईसाहब नकली हैं और मैंने कमिशनर साहब को बता दिया फिर कमिशनर उसे वहाँ से ले जाते हैं बाद में गौतम और मानसी उस लड़के से फिरसे उसका नाम पूछते हैं लेकिन वो फिरसे मुस्कुराकर चला जाता है।

अगले दिन गौतम ने जिस आदमी को पकड़ा होता है वो कोर्ट में गवाही देता है कि तरुण सिंह को फसाया गया था और उसकी जगह मुझे प्रमोट किया गया ताकि कई सारे गैरकानूनी काम हो सकें और ऐसा करने में इंसपेक्टर राणा का भी हाथ है जो इस वक्त फरार हो चुका है फिर अदालत उसकी गवाही पर गौतम के मामा को छोड़ देती है और वो घर आ जाते हैं घर आकर वो देखते हैं कि गौतम और मानसी वहां आए हुए हैं तो वो उन दोनों को देखकर ताना मारते हैं " हम्म आखिर आ ही गई मामा की याद सोचा होगा कि चलकर देख लेते हैं कि कंस मामा ज़िंदा है या मर गया " ये सुनकर मानसी फौरन जाकर अपने मामा के गले लग जाती है और रोने लगती है तभी पीछे से कमिशनर साहब भी घर पर आ जाते हैं और कहते हैं " यार बस कर अब तेरा ये नाटक तुझे पता है उस दिन जब तू अपने दिल की बातें मुझे बता रहा था तब बच्चों ने सारी बातें फोन पर सुन ली थी " फिर मामा भी गौतम और मानसी को गले लगाकर बहुत रोते हैं उसके बाद कमिशनर साहब बोलते हैं कि अभी भी राणा फरार है और वो लोग किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं इसलिए हमें उसे ढूंढना होगा तभी मानसी बताती है कि वो लोग ड्रग्स की तस्करी के बारे में भी बात कर रहे थे जब मैं उनके कब्ज़े में थी तो कमिशनर फौरन फोन करके सारे बड़े ड्रग तस्करों के बारे में जानकारी निकालने को कहते हैं और उसके बाद वहाँ से चले जाते हैं। अगले दिन वहाँ गाँव के सरपंच आते हैं जिनके साथ एक 4 साल का बच्चा भी होता है वो मामा को बताते हैं कि ये बच्चा सरपंच ऑफिस के बाहर बैठा हुआ था सुबह से इससे पूछ चुके हैं कि ये कौन है लेकिन इसे अपने नाम के अलावा कुछ नहीं पता अब ना जाने कौन इसे वहाँ छोड़ गया है आप सरकारी अधिकारी हैं तो सोचा आपकी मदद ली जाए तो मामा कहते हैं कि मेरे बच्चे एक एनजीओ चलाते हैं जो ऐसे बच्चों की मदद करता है मैं उनको बुलाता हूँ बाद में गौतम और मानसी भी उस बच्चे से पूछने की कोशिश करते हैं लेकिन वो सिर्फ अपने नाम 'अर्जुन ' के अलावा कुछ नहीं बता पाता तभी वो लड़का भी वहाँ आ जाता है वो लड़का जैसे ही उस बच्चे को देखता है अपने मुह पर एक कपड़ा बांध लेता है ताकि वो बच्चा उसे ना देख सके।

 उस लड़के को देखकर मामा पूछते हैं कि ये कौन है तो मानसी कहती है कि ये हमारा दोस्त है तो मामा पूछते हैं कि इसने ऐसे कपड़ा क्यों बांधा हुआ है चोर है क्या तो गौतम उस लड़के से बोलता है कि माना गाँव में धूल थोड़ी ज़्यादा होती है लेकिन हमारा घर साफ है इसलिए ये कपड़ा हटा लो तो वो लड़का कहता है कि मुझे ज़ुखाम है इसलिए कपड़ा बांधा हुआ है मामा गौतम से पूछते हैं कि तुम लोगों का वो मोहित नाम का जिगरी कहाँ है आजकल शहर से उसे भी साथ ले आते ये बात सुनकर गौतम बोलता है कि अब वो हमारा दोस्त नहीं है वो उस राणा का दोस्त बन गया है तभी मानसी को वो राखी फिरसे दिखती है लेकिन इस बार वो कुछ नहीं बोलती और रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है मामा पूछते हैं कि क्या हुआ इसे अचानक रोने लगी और चली गई और खुद भी कमरे में मानसी के पास चले जाते हैं और उसके सर पर हाथ रखकर पूछते हैं कि क्या बात है तो मानसी उनसे पूछती है कि " मामा गौतम भाई के लिए जो राखी मैं हर साल बनाती थी वो उनके अलावा और किसे बाँधती थी " तो मामा कहते हैं कि वो तो तुम तुम्हारे उस दूसरे भाई को बाँधती थी ना तो मानसी उन्हें बताती है कि बाहर जो हमारा दोस्त आया है उसके हाथ पर भी वैसी ही राखी है ये बात सुनकर मामा भी हैरान रह जाते हैं लेकिन बोलते हैं कि हो सकता है कि गौतम ने कभी उसे वो राखी दिखाई हो उसे पसंद आ गई हो और उसने वैसी राखी बनवा ली हो तो मानसी कहती है कि गौतम भाई के हाथ पर अभी राखी नहीं है और वो लड़का हमें कुछ दिन पहले ही मिला है इससे पहले हम उसे नहीं जानते थे अब मामा भी सोचने लगते हैं कि ये कैसे हो सकता है तभी उन्हें कमिशनर का फोन आता है बातों बातों में मामा उन्हें उस बच्चे के बारे में बता देते हैं तो कमिशनर कहते हैं कि मैं गौतम मानसी और उनके दोस्त को किसी काम से शहर बुलाने वाला था तुम उस बच्चे को भी उनके साथ भेज दो मैं उसे संभाल लूंगा और उसके माता पिता को भी ढूंढ लूंगा।

अगले दिन वो तीनों उस बच्चे को लेकर कार में शहर के लिए निकलते हैं लेकिन उस लड़के ने अभी भी कपड़ा बांधा हुआ होता है शहर आकर वो लोग बच्चे को मुक्ति एनजीओ के ऑफिस में छोड़ देते हैं और कमिशनर उसके साथ एक हवलदार को भी रहने को बोलते हैं बाद में कमिशनर उन लोगों को जेजे भाई नाम के एक ड्रग डीलर के बारे में बताते हैं और मानसी से उसकी फोटो दिखाकर पूछते हैं कि क्या ये उन किडनैपर्स में से था लेकिन मानसी मना कर देती है कमिशनर बताते हैं कि जेजे भाई 1 साल पहले जेल से भाग गया था और हो सकता है इसमें राणा ने उसकी मदद की हो कमिशनर ने राणा और मोहित का फोन ट्रैकिंग पर डाल दिया था और अब वो उन लोगों से कुछ दिन शहर में रुकने को बोलते हैं बाद में वो तीनों एक कैफ़े में चाय नाश्ते के लिए जाते हैं नाश्ते के बाद पता चलता है कि कैफ़े में सिर्फ कैश लिया जा रहा है गौतम उस लड़के से कहता है कि वो अभी पैसे देदे लेकिन वो लड़का कहता है कि मैंने तो ज़्यादा कुछ खाया भी नहीं है तुमने ही सैंडविच खाई है और पैसे मैं दूं तो गौतम उससे चिड़चिड़े अंदाज़ में कहता है " अरे इधर मैं ऑफिस नहीं गया हूँ इतने दिन से सैलरी नहीं मिली है पैट्रोल के पैसे भी नाना जी से लेकर आया हूँ " तो मानसी कहती है कि हो सकता है घर पर कैश रखा हो इतने में एक वेटर वहाँ आता है गौतम उससे कहता है कि मेरा घर पास में ही है मैं अभी पैसे लेकर आता हूँ तो वेटर कहता है " सर मैं यही बताने आया हूँ कि आपका बिल पे हो चुका है " तो वो पूछते हैं कि किसने किया तो वेटर उंगली के इशारे से बताता है की वो जो मैडम हैं ना उन्होंने गौतम देखता है तो हैरान रह जाता है क्योंकि ये वही बूढ़ी औरत रहती है जिसका पर्स गौतम ने चोर से बचाया था वो तीनो उसकी टेबल पर जाकर उसका धन्यवाद करते हैं गौतम बोलता है कि आपने हमारी मदद क्यों कि तो वो बूढ़ी औरत बोलती है कि जिस दिन तुमने मेरा पर्स बचाया था उस दिन उसमें पूरे 30,000 रुपय थे मेरे पति और मैं अकेले रहते हैं और वो मेरे पति की पेंशन थी जिससे हमारा घर चलता है और जिसे मैं बैंक से लेकर आ रही थी अगर उस दिन वो चोर मेरा पर्स ले जाता तो हम भूखे मर जाते तुम ना होते तो और तुम मानों या ना मानो बेटा उस दिन तुम्हें भगवान ने ही भेजा था मेरी मदद करने।


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