STORYMIRROR

Kumar Vikrant

Crime Thriller

4  

Kumar Vikrant

Crime Thriller

पीला श्राप भाग १

पीला श्राप भाग १

5 mins
280

जखीराबाद की सेंट्रल जेल वहाँ रह रहे कैदियों की वजह से एक जीता जागता नर्क थी। १००० कैदियों की क्षमता वाली जेल में ५००० कैदियों को ठूस-ठूस कर रखा गया था, घटिया खाना, बिछाने और ओढ़ने के नाम पर एक फटा कंबल।

इतनी कम सुविधाओं के साथ और गंदे कैदियों की बीच रहना किसी आम इंसान के लिए एक बुरा सपना हो सकता था लेकिन रंजीत के लिए यह कैद एक जन्नत थी

पाँच साल पहले जब देवा और उसका गिरोह विल सिटी और उसके आस-पास के शहरों पर राज कर रहे थे तो रंजीत अपने कुटिल दिमाग की मदद से देवा के लिए अलग अलग आपराधिक गतिविधियों में सलिंप्त था और गिरोह के लिए धन के अंबार लगा रहा था।

आठ साल पहले रंजीत एक मामूली ठग था और देवा की नाक के नीचे विल सिटी में अपनी ठगी का धंधा कर रहा था। लेकिन शेर के इलाके में सियार ज्यादा दिन शिकार नहीं कर सकता है। रंजीत ने देवा के अवैध रूप से चलते जुए के अड्डे पर अपने तीन साथियों के साथ जाकर तीन पत्ती गेम खेलने लगा। चारो लोग एक दूसरे से अनजान बनकर पाँच लोगो की टेबल पर तीन पत्ती खेलने लगे और पाँचवे खिलाडी को लूटने लगे, ऐसा मुश्किल से ही होता था कि उन चारो में से किसी एक के पास कभी अच्छे पत्ते न आए। रंजीत रोज आता लेकिन उसके तीन साथी बदल जाते। एक हफ्ते तक रंजीत और उसके ठग साथियो ने देवा के जुए के अड्डे पर खूब पैसा कमाया।

एक सप्ताह बाद जब देवा ने जुए के अड्डे पर वो खेल देखा तो उसे सब समझ आ गया कि रंजीत और उसके ठग साथी क्या खेल खेल रहे थे। उसने पूरे सप्ताह की सिक्योरिटी कैमरा की रिकॉर्डिंग देखी और समझते देर न लगी कि ठगो के उस गिरोह का सरगना रंजीत था।

देवा ने तत्काल अपने आदमियों से रंजीत सहित उसके तीनो साथियो को पकड़ लिया और देवा के केबिन में देवा के सामने रंजीत के तीनों साथियो की जबरदस्त पिटाई की और उन्हें जुए के अड्डे से भगा दिया।

"क्या नाम है तेरा?" उस दिन देवा ने पूछा था।

"रंजीत………." रंजीत ने जवाब दिया था।

"सुन रंजीत तू मेरे अड्डे पर बैठकर मेरे कस्टमर को नहीं लूट सकता है और अगर लूटना ही है तो उन्हें मेरे लिए लूट और लूट के माल से अपना हिस्सा लेकर मजा कर या फिर मरने के लिए तैयार हो जा; मेरे अड्डे पर लूट करके कोई जिंदा चला जाए तो मुझ पर और मेरी ताकत पर लानत है, मौत या मेरा साथ इन दोनों में से एक चुन ले।"

देवा ने चेतावनी देते हुए कहा था।

रंजीत को देवा के बारे सब पता था उसकी दरिंदगी के किस्से अपराधों की रानी विल सिटी में मशहूर थे। उस दिन मजबूरी में ही सही लेकिन रंजीत ने देवा के साथ काम करना मंजूर कर लिया था।

देवा के जुड़कर रंजीत को समझ आया था की वो देवा की ताकत की आड़ में मोटा पैसा कमा सकता था और हुआ भी यही; वो जुए के अड्डे से ठगी करते-करते उसने देवा का विस्वास हाँसिल किया और धीरे-धीरे देवा के जिस्मफरोशी के धंधे, ड्रग के धंधे खेलो पर बैटिंग के रैकेट संभालने लगा था।

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ताकत का जूनून देवा के सिर पर चढ़ कर बोल रहा था और इसी जूनून में उसने धन कुबेर विक्रम सिनोय की बेटी मधु का अपहरण कर लिया। उसे विक्रम सिनोय और उसकी अकेली बेटी को क़त्ल करने का कॉट्रेक्ट दिया गया था लेकिन उसकी बदकिस्मत की वजह से मधु को बचाने के लिए काली घाटी का रक्षक जैक आ गया और मधु के साथ अनाचार करते देवा के भाई जीवा को जैक ने मार डाला। भाई की मौत से पागल हुआ देवा अपने हत्यारो के साथ काली घाटी में आ गया। उसे शायद पता नहीं था कि जिसके पास कुछ खोने के लिए न हो वह मौत से नहीं डरता है। उस रात यही हुआ देवा जैक के हाथो मारा गया और उसका गिरोह बिखर गया। देवा मारा गया लेकिन अनगिनत गोलियां अपने शरीर में लिए जैक भी एक महीने तक जीवन और मृत्यु के बीच झूलता रहा।

देवा की मौत के बाद गिरोह के सिपहसालार और ओहदेदार देवा का स्थान लेने की कोशिश करने लगे। तभी देवा का कमजोर प्रतिद्वंदी मूसा खान कहर बनकर देवा के उन सभी ओहदेदारों पर टूट पड़ा और उन्हें चुन चुन कर मार डाला।

धीरे-धीरे मूसा देवा के सभी धंधे कब्जाता जा रहा था और रंजीत को अपनी तरफ बढ़ती मौत का आभास होने लगा था। रंजीत ने होशियारी दिखाते हुए विल सिटी के पुलिस कप्तान के सामने अपने अपराध कबूल कर आत्मसमर्पण कर दिया।

फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने रंजीत को बहुत से अपराधों का दोषी मानते हुए पाँच साल की कैद की सजा सुनाई।

विल सिटी के जेल में बंद रंजीत को हमेशा मूसा के हत्यारो का डर लगा रहता था, उसे पता था कि मूसा का कोई भी शूटर किसी छोटे-बड़े जुर्म में जेल में बंद होकर रंजीत को आसानी से मार सकता था।

रंजीत के वकीलों ने जज के सामने अपने मुक्किल रंजीत को विल सिटी जेल से दूर किसी जेल में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई। जज तारीख पर तारीख देता रहा लेकिन जैसे ही रंजीत ने पाँच लाख का नजराना जज को भिजवाया जज ने उसे विल सिटी से १६०० किमी दूर जखीराबाद जेल में रंजीत का ट्रांसफर कर दिया।

जखीरा जेल में आकर रंजीत को नया जीवन मिला क्योकि उसे अपराधी मस्तिष्क की मानसिकता का पता था कि नजरो से दूर जाने के बाद वह मूसा खान के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रह गया था। मूसा उसके कारावास के दौरान उसे मरवाने का ज्यादा प्रयास नहीं करेगा लेकिन पाँच साल बाद उसकी रिहाई के समय उसे मारने के लिए हत्यारे जरूर भेजेगा।

रंजीत की कैद के पाँच साल बीत चुके थे और उसे एक सप्ताह बाद जख़ीराबाद जेल से रिहाई मिलने वाली थी।

अली बंधु 

आजकल भाड़े के हत्यारे अनवर अली और अकबर अली मूसा गिरोह के आदेश पर क़त्ल किया करते थे और मूसा खान ने उन्हें एक महीने पहले ही जख़ीराबाद जेल में कैद रंजीत को मारने के आदेश दे रखे थे। इस हफ्ते रंजीत को जेल से रिहा किया जाना है लेकिन मूसा खान को आशंका थी कि रंजीत को तय डेट से पहले किसी भी दिन रिहा किया जा सकता है लेकिन उसकी आशंका निर्मूल भी नहीं थी इसलिए वो दोनों विल सिटी की एक उजाड़ इमारत में अपने अस्थाई ठिकाने पर अलर्ट मोड़ में तैयार बैठे थे कि जैसे ही उन्हें मूसा खान की तरफ से कोई इशारा मिले वो जख़ीराबाद जेल की तरफ कूंच कर सके।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime