पहला प्यार
पहला प्यार
कहते है कि जीवन में पहला प्यार कब , किसे और कहां मिलेंगा व्यक्ति को खुद पता ही नही होता । वह तो जब हो जाता है तब पता चलता । अगर कोई खुद को रोकना भी चाहे तो भी वह स्वयं को रोक नहीं पाता । ऐसी ही एक कहानी है सीमा की। जो प्यार व्यार जैसा कुछ नहीं मानती । वह पढ़ने में बहुत अच्छी है, घर और खेत के कामों में कोई उसे टक्कर तक नहीं दे सकता । घर के लोग अब उसकी शादी कर देना चाहते है । परंतु वह शादी नहीं करना चाहती । और अपने जीवन का हर पल देश पर न्यौछावर करना चाहती है। परन्तु घर के लोग यह सोचकर कि यह लड़की इसकी शादी कर देनी चाहिए और सीमा की शादी अनदेखे और उससे उम्र में 12 साल बडे व्यक्ति से कर दी जाती है। सीमा के अंदर शादी को लेकर बहुत गुस्सा भरा हुआ है। शादी की पहली रात को ही वह अपना सारा गुस्सा अपने पति पर उतार देती है। उसके पति मोहन ने जब गुस्से का कारण जाना तो उसे पता चला कि सीमा की शादी उसकी मर्ज़ी के बगैर हुई है। मोहन बहुत ही उदार व्यक्त्तिव वाला व्यक्ति है। और सीमा के साथ हुए व्यवहार से वह बहुत दुखी है। वह सीमा से बातचीत करता है तो उसे पता लगता है कि सीमा गृहस्थ जीवन नहीं जीना चाहती वह आगे पढ़ लिख कर सी आर पी एफ में जाना चाहती है। मोहन सीमा को भरोसा दिलाता है कि उसकी शादी भली ही बेमर्जी से हुई है परन्तु वह अपने आगे का जीवन अपनी मर्जी से जिएंगी । इन शब्दों को सुनकर सीमा के दिल में मोहन के लिए इज्जत बढ जाती है और वह मोहन पर भरोसा कर लेती है। तथा मोहन दूसरे दिन से ही सीमा की पढ़ाई जारी रखने के लिए कह देता है। मोहन सीमा की घर जरूरत का ध्यान रखता है। वह घरवालों से भी कह देता है कि कोई भी सीमा से कुछ नहीं कहेगा वह जैसे चाहे रह सकती है। सीमा के दिल में मोहन के लिए इज्जत दिन पर दिन बढ़ती ही जाती है। सीमा सोचती है कि उसके मन में जो है वह सिर्फ उसके लिए इज्जत है और कुछ नहीं। यह इज्जत कब प्यार में बदल जाती है उसे पता ही नहीं चलता । शादी के दो साल गुजर जाते है। एक दिन सीमा और मोहन आपस में दोस्तों की तरह बात ही कर रहे होते है। तभी उनके घर पर एक डाकिया एक लेटर लेकर आता है। यह लेटर सी आर पी एफ की जॉयनिंग का था । मोहन सीमा की कामयाबी के लिए खुश था परन्तु वह सीमा से दूर होने से डरता था। उसने सीमा को बधाई देते हुए पत्र दे दिया । सीमा को पत्र मिलने से अधिक खुशी नहीं हुई । मोहन उसके जाने के लिए सब चीजों को प्रबंध करने लगा। परन्तु अब सीमा मोहन को छोड़कर नहीं जाना चाहती थी। वह मोहन के सीने से लगकर जोर जोर से रोने लगती है और कहती हैं कि मुझे खुद से दूर मत करो। मोहन सीमा से कहता है कि यह तो तुम्हारा सपना है। सीमा इस पर मोहन से कहती है कि जीवन में दूसरी सरकारी नौकरी कर लेगी परन्तु जीवन में पहला प्यार हर किसी को नसीब नहीं होता और इतने सच्चे जीवनसाथी सब को नहीं मिलता । मैं दूसरी जॉब की तैयारी कर लूँगी पर मैं आपसे दूर नहीं होना चाहती और वह मोहन के गले फिर से लग जाती है। और कहती है कि पहला प्यार होता सबको है । परन्तु वह मिलता किसी - किसी को है और मैं अपने प्यार को खोना नहीं चाहती।

