मेरी माँ की होली
मेरी माँ की होली
होली का त्योहार हमारे पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हर जगह हर त्यौहार थोड़ी - थोड़ी भिन्नताओं सें मनाया जाता है। हमारे गांव में भी होली मनाई जाती है। जो कि मेरी मां का ससुराल है। होली के दिन सबके चेहरों पर अलग - सी खुशी होती है। हमारे यहाँ पर होली के दिन सभी औरतें उपवास रखती है। और उस दिन पहले स्नान आदि करके और नए वस्त्र धारण करके मंदिर पर पूजा करने जाती है तथा अपने पूर्वजों के लिए बनाए गए स्थानों को पूजती है। तथा उसके बाद होलिका के पूजन के लिए सभी आस पड़ोस, घर तथा गांव की औरतें एक निश्चित स्थान पर जाती है । इस दिन नए जोड़ो द्वारा पूजा की जाती है। मेरी मां को होली का त्यौहार बहुत पसंद है। मेरी मां और मेरी ताई दोनों एक साथ होली पूजने के लिए जाती है। होली पूजने के लिए बुरकली की माला, हल्दी, जौ की बाल, कलावा, एक लोटा जल इत्यादि की आवश्यकता होती है। और सभी स्त्रियां, बच्चे सभी इन्हीं से पूजन करते है और सभी दो - दो परिक्रमा करते है। और होली पूज कर वापस घर आ जाते है। इस दिन मेरी मां हर पर पकवान बनाती है। और घर में मिठाई भी आती है। और रात को होलिका दहन होता है तथा रात को होली की परिक्रमा पुरुष करते है और जौं को भूनकर भी लाते है तथा घर के सभी सदस्यों द्वारा उनमें से दाना निकालकर खाया जाता है।
होली के अगले दिन दुल्हन्डी होती हैं इस दिन सुबह सुबह से ही लोग एक दूसरे के घर रंग लगाने के लिए आने जाने लगते है। घर की सारी औरतें सुबह पकवान बनाकर सबको खिलाती है उसके बाद घर के सभी लोग होली खेलने लगते है। होली खेलते समय रंगों, पानी का प्रयोग किया जाता है परन्तु मेरी मां का मानना है कि पानी की कमी के कारण हमें पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और मेरी माँ और हम सब भाई बहन रंगों से होली खेलते है और टीवी पर होली के गाने चलाकर नाचते है हमारे यहां पर एक सबसे अच्छी चीज यह लगती है कि जो भी जिससे होली खेलता है वह उसको गुजिया लाकर देता है।
