स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
कहते है कि उचित प्रतिबंध ही सही मायने में स्वतंत्रता है। परन्तु अगर गौर से देखा जाए तो महिलाओं पर बहुत से प्रतिबंध अनुचित होते है। और पुरुष चाहते है कि महिलाएं न केवल इन प्रतिबंधो का पालन करे बल्कि इन्हें उचित भी समझें | और हजारों बार यह देखा भी गया है कि पुरुष शादी के बाद समझदार होता है और महिलाओं का मानसिक विकास शादी के बाद रुक जाता है। क्योंकि उन्हें जीवन ऐसी परिस्थितियों में गुजराना पड़ता है जिन परिस्थितियों में अगर कोई पुरुष रहे तो उसका विकास भी नहीं होगा | जैसे कि शादी के बाद अगर किसी लड़की की ननन्द ( उसके पति की बहन) उससे छोटी ही क्यों न हो उसे उसके पैर छूने चाहिए तभी वह आदर्श बहू है, नहीं तो उसके संस्कार अच्छे नहीं है। तथा इसके अलावा अगर पड़ोस में भी अगर कोई लड़की 10 साल की है और रिश्ते में उसकी ननन्द लगती है तो लोग यह उम्मीद करते है कि उसे उसके पैर छूने चाहिए, वरना बहू अहंकारी है।
इसके अलावा वह अपने मन की बात तो किसी से भी नहीं कह सकती। वह फिर भी घर में केवल अपनी सास, ननन्द, जेठानी और देवर - देवरानी से बोल सकती है। वह भी वो जो वे लोग सुनना चाहते है। सामान्य स्थिति को अगर ध्यान में रखा जाए कि किसी के तीन - चार जेठ हो और जिठानियां का व्यवहार अच्छा न हो और एक ननन्द अगर हो तो वह भी जिठानियों के पक्ष में ही रहे तो उस लड़की की स्थिति क्या होगी ? जो नयी नयी घर में आई है। क्योंकि उसे केवल अपने ससुर और जेठों से पर्दा ही नहीं करना अपितु वह उनसे कुछ भी बोल नहीं सकती और पति इस लिहाज से चुप रहे कि घर की बातें घर में रहें। तो उस महिला की स्थिति शोचनीय है। यह स्थिति हरियाणा के किसी एक घर में न होकर लगभग सभी घरो में पाई जाती है। और महिलाओं को घुट-घुटकर जीवन गुजारना पड़ता है। यह तो केवल घर की स्थिति है इसके अलावा घट से बाहर अगर महिलाएँ काम करने के लिए जाती है तो भी उन्हें पर्दे में रहना पड़ता है जैसे कि हरियाणा में दूध दही का खाना है तो वहाँ पशुओं का रखरखाव का काम भी ज्यादा होता है। महिलाओ को अगर घर से पानी भी ढोकर लाना है तो भी वह पर्दे में जाएंगी। कई बार तो महिलाएँ गिर भी जाती है और उन्हें पैर में मोच, चोट इत्यादि का सामना करना पड़ता है और कई बार तो उनके पैर टूटने की भी घटनाओं को देखा गया है। इसके अलावा सर पर गोबर ढोना, चारा ढोना, लाई करना इत्यादि कार्य महिलाएँ पर्दे में रहकर करने पड़ते है।
इन चीजों को देखकर ऐसा लगता है कि महिलाओं पर इसी प्रकार के जो प्रतिबंध लगाए गए है वह अनुचित है और महिलाओं को भी मानवीय जीवन जीने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें पर्याप्त मात्रा में स्वतंत्रता होनी चाहिए ताकि वह अपना विकास कर चुके और अपने लक्ष्यों की ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकें।
