Jeetal Shah

Romance Tragedy

3  

Jeetal Shah

Romance Tragedy

पहला प्यार

पहला प्यार

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आकृति और संजय दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। आकृति और संजय दोनों एक दूसरे को स्कूल से जानते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे के घर भी आते जाते थे। एक साथ पढ़ाई लिखाई करते थे। अब वो लोग बड़े हो गए थे।


आकृति का स्वभाव बहुत ही अच्छा था। वो बहुत ही प्यारी और समझ दार भी थी। उसके स्कूल में कई लोग दिवाने थे। आकृति की एक सहेली थी दिव्या वो भी हर पल उसके साथ ही होती थी। संजय को आकृति से कब प्यार हो गया पता ही न चला। 

अब तीनों कोलेज के फर्स्ट ईयर में आ गए। संजय ने आकृति से बात करने की कोशिश भी की पर वो कह न सका। इसलिए संजय ने सोचा क्यों न मैं दिव्या से कहूँ ।बस संजय जल्दी से दिव्या के घर पहुंच गया। दिव्या अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी। वो जोर जोर से चिल्ला ते हुए दिव्या के कमरे की ओर गया। दिव्या घबराई ओर जल्दी से बाहर आकर बोली क्या हुआ कयु चिल्ला रहे हो।  तब संजय ने कहा मुझे आकृति से प्यार हो गया है। "क्या? सच में?"  दिव्या ने कहा "हां सच में।" संजय बोला। दिव्या हँसते हुए बोली "मजाक मत करो"। संजय ने कहा "सच में मजाक नहीं करता।" तो फिर क्यों उसे अपनी मन की बात कह देते। दिव्या ने कहा "मुझे डर है कि वो मुझसे नाराज़ हो गई तो!" दिव्या ठीक है "कुछ सोचती हूँ।" दिव्या कुछ सोचते हुए बोली ठीक है चलो आकृति को प्रेम पत्र लिखो दिव्या ने कहा। 


क्या? संजय ने कहा। हां प्रेम पत्र लिखो। संजय ने दिव्या की बात मान ली और अपने दिल की सारी बातें लिख डाली।  ओर उसने वो पत्र दिव्या को दिया और बोला अब ये तुम दे देना। नहीं दिव्या ने कहा। तुम खुद दोगे। क्या पागल हो गई हो ? में कैसे? हां तुम। ठीक है। उसने वो पत्र अपनी जेब में रख दिया।

दुसरे दिन  कोलेज  खत्म होने के बाद तीनों कोलेज की कैंटीन में बैठे थे। खुबसूरत गाना बज रहा। दिव्या ने इशारा किया। संजय ने अपनी जेब से खत निकाला और आकृति का हाथ पकड़कर वो ख़त दिया और कहा इसे मेरे जाने के बाद ही पठना। क्या है? आकृति ने पूछा। मेरे दिल की बात संजय ने कहा। क्या आकृति मुस्कुराईं । पर मुझे क्यों देर से हो? ये तुम्हारे लिए हे आकृति। बस इतना कह कर वो चला गया। उसने दिव्या से पूछा पर उसने कुछ नहीं बताया। 

अब आकृति की धड़कनें तेज हो गई थी।उसने हाथ में पकड़े हुए पत्र को खोल कर पढ़ना शुरू किया।ख़त में लिखा था "मासूम हो,भोली सी हो, तुम्हें देख कर धड़कने बढ़ जाती है, सपनों तुम ही तुम आती हो। हर जगह तुम दिखाई देती हो। आईं लव यू आकृति।"

आकृति पत्र पठ कर शर्मा गई। उसके हाथ पैर ठंडे हो गए थे। प्यार तो वो भी करने लगी थी संजय से। उसने उसका जवाब दिया न दिन को चैन था न रात को।अब आप का दिदार बस ख्यल रहता था हम को। आई लव यू टू संजय। 


दिव्या ने इशारा किया क्या तुम भी। आकृति ने शरमाते हुए कहा हां। आकृति और दिव्या घर की तरफ चले। बीच में संजय का घर आ रहा था। उसने किताब में चिठ्ठी रख दी। और संजय के घर जा पहुंची । संजय रूम में ही था । आकृति को देखते हुए बोला क्या हुआ ? तुम नोट्स भुल गए थे बस वही देने आईं लव हूँ । संजय से कहा इम्पोर्टेंट नोट्स है पढ़ लेना। संजय अपने कमरे में चला गया । अपने कमरे में जाकर तुरंत किताब को पलटने लगा। उसमें से एक खत निकाला वो ख़त पढ़ कर बहुत ही खुश हो गया। खुशी के मारे वो  नाचने लगा। अब वो दोनों कभी कभी एक दूसरे के लिए तोहफा लाते तो कभी प्यार भरी बातों से लिखे हुए ख़त। 

यह सिलसिला जारी रहा। अब कोलेज खत्म होने को आए थे। आकृति उदास सी रहने लगी थी । संजय ने कारण पूछा तो उसने कहा मेरी शादी पक्की हो चुकी है और में अपने माता-पिता का दिल नहीं दुखा सकती। मेरे माता-पिता ने लड़के वालों को जुबान दे दी है ।कल कोलेज का आखिरी दिन है हम अपना रिश्ता यहां पर ही खत्म कर देंगे। दूसरे दिन दोनों ने एक दूसरे को लिखे हुए ख़त और तोहफे लौटा कर रिश्ता खत्म कर दिया। ख़त जला दिए और तोहफे किसी और को दे दिए। बस उन दोनो ने रिश्ता खत्म कर दिया पर वादा किया की अच्छे दोस्त हमेशा रहेंगे।



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