एक सीख।
एक सीख।
एक गांव में पेड़ पर एक कौआ रहता था, उसका स्वभाव था खीजना गुस्सा करना, पेड़ पर किसी भी और पक्षी को बैठने नहीं देता था, एक दिन नजदीक के गांव से तोता मैना उड़ कर आए उस पेड़ पर बैठे तो कौआ ने चोंच मार कर भगा दिया।।
बहुत दिन बाद तेज बारिश शुरु हुई गांव में पानी भर गया, गांव वाले वहाँ से निकल गए, जिस पेड़ पर कौआ रहता था वो पेड़ गिर गया, तो कौआ को किसी ने सहारा नहीं दिया , कौआ पास के गांव में उड़कर आया, एक पेड़ पर आसरा लिया, वहाँ तोता मैना थे उनने कौआ को बे हाल देखा तो खाने को फल दिए, कौआ को बहुत पश्चाताप हुआ कि उसने इन के साथ दुर्व्यवहार किया और इन ने मुझे प्यार दिया,
तोता बोला कौआ को कि आप अधिक मत सोचिए ये तो स्वभाव है, आप ने जो प्राप्त किया क्रूरता उसको वर्ण किया हमने मधुरता को अच्छा समझा तो उसको अपनाया, कोई भी जीव हो उसके भी सामने दो विकल्प होते है वो दुर्भाव को या मधुर भाव को अपना सकता है,
आप का व्यवहार ही मायने रखता है, आप की काबिलीयत की परख कराता है, शिक्षा से अधिक जरूरी है व्यवहार में मधुरता अपना पन, तभी जीवन सफल है, अन्यथा आप दूसरों को देख कर कुढ़ते रहे, लोगों की बुराइयां करते रहे तो जीवन पूर्ण व्यर्थ है।।
मधुरता है, सादगी है तो हर कोई आप को सम्मान देगा, अपना मानेगा, जितनी अधिक सादगी होगी उतना ही श्री ईश्वर कृपा प्राप्त होगी।।
आपका कुछ नहीं है, आप सोचो कि आप क्या कर रहे हैं, विनम्रता या क्रूरता।।
