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Jeetal Shah

Crime Thriller

3  

Jeetal Shah

Crime Thriller

हार में भी जीत

हार में भी जीत

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अंत भला तो सब भला। नयना राजीव की बस अभी अभी शादी होती है। पहले ही दिन राजीव नयना से कह देता है कि वो कुछ काम नहीं करता। घर उसके बाप दादा की कमाई से चलता है। नयना ने चौक कर पूछा क्या? तुम कुछ काम नहीं करते? नहीं 


तो मैं वापस मायके जा रही हूँ। राजीव ने कहा वहां जाकर कुछ नहीं होगा! तुम्हारे मां बाप जानते है कि मैं कोई काम नहीं करता! तो क्या मां ने मुझसे झूठ बोला। नयना ने अब संजोता कर लिया। मेरे बाप दादा बहुत सारी दौलत छोड़ गए हैं उनसे हमारा गुज़ारा हो जाएगा। 


 एक साल बाद नयना ने दो सुंदर बेटी को जन्म दिया। नयना जी चिंता करने लगी दो बेटियां और उपर से ये महंगाई। नयना ने राजीव से नौकरी करने के लिए बहुत कहा। अब राजीव भी नौकरी ढूंढ ने लगा पर उसे कोई नौकरी नहीं मिलती। ना ही कोई तजुर्बा और ना ही उतना पढ़ा लिखा। 


एक दिन नयना की सहेली सीता ने उसे कोल किया और उसके घर मिलने को बुलाया। सीता ने कहा नयना क्या तुम मेरी मदद करोगी। तुम्हें जितना चाहे उतना में पैसा दूंगी। पर क्या काम करना होगा मुझे? नयना ने गंभीरता से पूछा। बस तुम्हें मेरे बच्चे की मां बनना है! क्या? कैसी बात करती हो तुम! ये कैसे हो सकता है? घबराओ नहीं तुम्हें सरोगेसी मदर बनना है बच्चा हम दोनों का होगा पर कोख तुम्हारी। 


 नयना ने सीता की बात मान ली और घर आकर सब राजीव को बात बताई। राजीव ने कहा अच्छा है चलो कुछ तो पैसे घर में आएंगे। ये पैसे में अपनी बेटियों की पढ़ाई में खर्च करूंगी । नयना जोर से कहा । कुछ महीनों बाद सीता ने नयना को कोल किया और बोली अब मुझे ये बच्चा नहीं चाहिए मैंने दूसरी शादी कर ली है। ये बात सुनकर राजीव ने भी नयना को घर से निकाल दिया। नयना अपनी दोनों बेटियों को लेकर जा रही थी तब उसे जोर का दर्द हुआ वो अस्पताल में गई और वहां उसने एक बेटे को जन्म दिया। तब ही वहां सीता का पति अनुज आया उसे नयना के बारे में सब पता चल गया था। अनुज बोला हम दोनों एक ही कश्ती में सवार है क्या तुम मेरा साथ जिन्दगी भर दोगी।

हां बोल कर नयना ने नई जिंदगी की शुरुआत की ।



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