जीत मन के विश्वास की
जीत मन के विश्वास की
रीटा एक पढी लिखी बेहद ही समझ दार लड़की थी। उसकी पढ़ाई लिखाई खत्म होते ही अच्छी नौकरी करने लगी थी। वो स्कूल में टीचर थी।
अब वो सयानी हो गई थी। शादी की उम्र भी हो रही थी। उसके माता-पिता उसके लिए लड़के देख रहे थे। पर उसे कोई भी रिश्ता पसंद नहीं आ रहा था। जब भी वो नौकरी की बात करती तो सब मना कर देते। उसके माता-पिता अब उसको लेकर चिंतित हो गए थे।
क्या करें ? कैसे करें ? पर रीटा कभी हार नहीं मानती। अपने माता-पिता से हमेशा कहती सब अच्छा होगा। एक दिन सीमा के लिए बहुत ही अच्छा रिश्ता आया। सीमा अपनें माता-पिता की परेशानियों को बहखुबी से जानती थी। घर अच्छा, लड़के की नौकरी अच्छी,धन दौलत सब कुछ ठीक था बस वो इस बार अपने माता-पिता को निराश नहीं करना चाहती थी। इस लिए उसने शादी के लिए हां कर दी। उस ने सोचा बस अब में कभी नौकरी नहीं कर पाऊंगी।
रीटा की शादी हो गई।अजय भी एक बड़ी कंपनी में काम करता था। रीटा ने शादी के बाद बह खुबी से सब कुछ संभाल लिया था। सब लोग घर में उसे बहुत खुश थे। रीटा और अजय दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे।
रात का वक़्त था। घर में सब लोग टेबल पर खाना खाते हैं तभी रीटा ने सब से एक सवाल पुछा। क्या हम औरत कुछ कर सकतीं हैं? यह सवाल सुन कर तुरंत उस की सांस ने कहा क्या हुआ बेटा कुछ हुआ है ? हम से कोई गलती हो गई है? तुम्हें कोई परेशानि है? कुछ तो कहो ? सास ने बड़े प्यार से उसके पास जाकर सर पर हाथ रख कर पूछा। नहीं नहीं माजी मुझे कोई परेशानि नहीं है ओर ना ही कुछ हुआ है में तो बस…. उतने में ससुर जी बोले बताऊं बेटी घबरा ओ मत जो है वो कहो ?
तब अजय उढा और रीटा का हाथ पकड़ कर बोला क्या हुआ कहो। तब रीटा ने कहा मुझे नौकरी करनी है। सब उसकी बात सुनकर कर दंग रह गए।
कोई कुछ कहे उससे पहले ही सब से माफी भी मांग ली। तब सब ने हंस कर कहा बस इतनी सी बात।
अरे ये हमारा परिवार है। यहां पर सब अपने मन की बात कह सकते हैं। सब ने उसे इजाजत दे दी। वह खुशी के मारे फूली न समा रही थी। रीटा ने सब काम जल्दी से जल्दी निपटा दिया। ओर वो अपने कमरे में गई। वहा अजय को बैठे देखकर वो थोड़ी घबरा गई। उसने अजय की ओर अपने कदम बढ़ाया और उसके पास जाकर बैठ गई। फिर अजय का हाथ पकड़ कर बोली क्या हुआ ? उसके दिमाग में कई सवाल उभर ने लगे। तब अजय ने थोडा गंभीर होकर रीटा की और देखा। रीटा घबरा ती हुई बोली अगर तुम्हें मेरा नौकरी करना नहीं पसंद ,...
ओर रोने लगी उसे लगा कि अजय से ना पूछ कर उसने गलती कर दी।
तब अजय रीटा के आंसुओं को अपने हाथों से पोंछा और कहां अरे पगली मुझे कोई एतराज़ नहीं है। बल्कि में भी चाहता था की तुम नौकरी करो ताकि तुम्हें किसी के ऊपर निर्भर न रहना पड़े और इतना कह कर उसने रीटा के माथे को चूमा और गले लगा कर बहुत सारा प्यार जताया।
तब रीटा की। जान में जान आई और उस ने अजय से कहा मेरी उम्मीद नौकरी करने की खत्म हो चुकी थी में हार चुकी थी पर थोड़ी सी मन में आशा थी कि शायद मे नौकरी कर पाऊँ। अजय को गले लगा कर रीटा ने खुद से ओर अजय से वादा किया की वो शिकायत का मौका नहीं देगी।
