पहला प्यार
पहला प्यार
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, कुछ ऐसी ही कहावत चरितार्थ हो रही थी। प्रिया बेहद चुस्त, समय की पाबंद, और बहुत होशियार थी । पढ़ाई में ही नहीं टीचर्स के सिलेक्शन के एग्जाम में भी वह बहुत अच्छे नंबरों से पास होकर समीप के स्कूल में ही टीचर लग गई थी। बस उसमें एक ही कमी थी कि उसे गुस्सा बहुत आता था। विवाह योग्य होने पर माता-पिता द्वारा इतने लड़के देखे गए लेकिन उसे कोई पसंद आए तब ना!
उसको देखने के लिए आए लड़कों से इससे पहले कि वह इंटरव्यू लें, यह खुद ही उनसे इतने सवाल करती थी कि अभी तक तो कोई लौटकर आता दिखा नहीं था। माता-पिता की भी परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
क्योंकि प्रिया का स्कूल नजदीक होने के बावजूद भी मेट्रो के रास्ते में नहीं था उसे सुबह सवेरे बस लेनी पड़ती थी, जो कि बेहद भरी हुई ही होती थी। उस दिन भी ऐसा ही हुआ, इतनी भरी हुई बस और उसे स्कूल पहुंचने की जल्दी, इससे पहले की कंडक्टर सीटी बजाए उसने आव देखा न ताव ऊपर चढ़ते सामने वाले सज्जन का हाथ पकड़ कर उसको नीचे को गिरा दिया और खुद बस में चढ़ गई। अंदर जब लोग आपस में बात कर रहे थे कि महिलाओं को सीट दे देनी चाहिए तभी एक आवाज आई, भाई आजकल की महिलाएं इतनी कमजोर नहीं है, वह तो तुम्हें धक्का देकर नीचे उतार देंगी और खुद चढ़ जाएंगी। प्रिया ने पीछे मुड़कर देखा एक आकर्षक मनोहारी और सुंदर युवक यह बात कह रहा था शायद यह उसी के संदर्भ में तो नहीं कह रहा है। क्योंकि ऐसा तो प्रिया ने ही किया था। शायद ऐसा पहली बार ही हुआ था कि अपनी आदत अनुसार प्रिया लड़ी नहीं और चुप करके अपने अगले स्टॉप पर उतर गई। वह दोनों मनोहारी आंखें मुस्कुराती हुई उसे घूरती सी महसूस हुई, जो उसे असहज तो कर रही थी लेकिन-------।
ऐसे ही कुछ दिन बाद यूं ही भीड़ में चढ़ने पर जब बस ने बहुत जोर से ब्रेक मारा तो धक्के के कारण प्रिया गिरने ही वाली थी कि तभी उसने किसी का हाथ पकड़ लिया था, यह वही मनोहारी युवक था अब के हंसते हुए वह पूरी बस में सबके सामने बोला, "छोड़ो भी, अभी तो रक्षाबंधन में काफी दिन है। पूरी बस में हंसी गूंज गई। अब तो नकचड़ी प्रिया को भी बहुत जोर से गुस्सा आया और वह गुस्से में बोली किसने कहा है तुम्हें मुझे बहन बनाने को, गर्लफ्रेंड बना लो। ना जी, मैं गर्लफ्रेंड नहीं बनाता मैं तो सीधा विवाह में विश्वास करता हूं और तुमसे शादी करना चाहता हूं। ऐसे भी कोई प्रपोज़ करता है। गुस्से और शर्म से प्रिया अगले स्टॉप पर उतर गई।
कुछ दिनों बाद प्रिया की सहेली टीना अपने परिवार के साथ प्रिया के घर आई और वह सुदर्शन युवक भी साथ में थे। औपचारिक मुलाकात के बाद टीना ने अच्छी एमएनसी में कार्यरत अपने भाई से प्रिया की विवाह की बात की। हंसते हुए उस युवक ने कहा, मेरा ख्याल है, अब तो तुम मेरा प्रपोज़ल मान ही लोगी हालांकि मेरा ऑफिस 11:00 बजे शुरू होता है लेकिन तुम्हारे कारण अपनी नींद और कार दोनों छोड़कर मैं 7:00 बजे ही बस में यात्रा करता था। दोनों खिलखिला कर हंस पड़े। यानी कि फरवरी में उसके शुभ विवाह में आप सब आमंत्रित हैं।