पहला धन... निरोगी काया

पहला धन... निरोगी काया

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सफलता पाने के लिए स्वस्थ शरीर का होना बहुत ज़रूरी है। ज़िन्दगी में अगर आप कितना पैसा भी कमा ले पर आपने अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया तो सफलता के कोई मायने नहीं रह जायेगे। आपका सारा पैसा आपकी बिमारियों पर खर्च होगा। आइये तो इस कहानी के द्वारा जानते है "आज की चर्चा का विषय...स्वस्थ माँ स्वस्थ परिवार।"


"माँ, आप कितनी मोटी हो।अगर आप दुबली होती ना तो सोनम कपूर जैसी सुंदर दिखती।”


“ऐसा क्यों बोल रहा है लल्ला, तो क्या मै सुंदर नहीं हूँ? और पापा भी तो मोटे ही है उन्हें तो कभी कुछ नहीं कहता तू।”


“नहीं! माँ, आप सुंदर हो पर पापा आपसे तो पतले है। मै, भाई, दादीजी, दादाजी, चाची, चाचू, बुआजी सब आपसे तो पतले है।"


“ठिक है ना तो क्या हुआ मै सबसे ज्यादा ताकतवर हूँ।”


“नहीं माँ, आप ताकतवर नहीं हो, अगर आप ताकतवर होती तो पानी का एक केन भी नहीं उठा सकती। आप मेरे साथ खेलती हो तो पांच मिनट में थक जाती हो। आप रेस में भी हार जाती हो।"


"विरेन क्या आपको लगता हैं मै मोटी हूँ ?"


"नहीं रिया, वह छोटा है, नासमझ है कुछ भी बोलता है, तुम भी उसकी बातों को दिल से मत लगाओ यार..." पति वीरेन ने समझाया।


रिया ने सोचा तब तो ठीक है।

कुछ दिनों बाद... रिया अपने बेटे के साथ पीहर गई हुई थी। वहाँ वह अपनी नानी, मामी और कजिन्स के साथ लॉक एंड की खेल रहा था। 


“मम्मा, आप भी हमारे साथ खेलों ना।"


“नहीं, लल्ला मुझसे नहीं होगा। मुझसे यह दौड़ पकड नहीं होता। तुम लोग खेलो।”


“मम्मा इसीलिये आप से कहता हूँ।आप थोड़ी पतली हो जाओ नानीजी इतनी बूढ़ी होते हुए भी कितनी एक्टिव है।”


रिया, अपने दस साल के बेटे की बातो को नासमझी समझ लेट गो करती रही। एक दिन की बात है रिया अपने परिवार के साथ बैठ बातचीत कर रही थी। अचानक कोकरोच को देख सब झट से उठ खडे हुये। लेकिन रिया जमीन का सहारा ले धीरे से उठ रही थी, सब खिलखिलाकर हंसने लगे। ‘ये क्या रिया तू तो इतनी जल्दी बुढी हो गई।’

आज रिया को बहुत दुख हुआ। सही कहता है लल्ला मै मोटी तो हो गई हूँ साथ ही साथ आलसी भी। मै पहले कितनी पतली और एक्टिव थी। पर प्रेग्नेंसी के बाद मैने अपने आप पर ध्यान देना ही छोड दिया। बच्चों और परिवार में इस तरह से खो गई, कि अपने लिए जीना ही छोड दिया।मोटी होने के साथ साथ मैने अपना ख्याल रखना भी छोड दिया है। थोड़ा काम करते ही थकावट महसूस होने लगती है। जब भी कोई मुझे एहसास दिलाता की मै मोटी हूँ मै सोचती कल से वाकिंग शुरू करूँगी। हर बार कल पर टाल दिया अब वो कल आ गया है अब मुझे शुरुआत करनी होगी।


अगले दिन सुबह रिया जल्दी उठ वाकिंग के लिए निकल गई, थोड़ा व्यायाम भी किया। धीरे धीरे उसने अपनी सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से की। कुछ दिनों बाद उसने जुंबा क्लासस भी ज्वाइन की उसकी सेहत में सुधार आने लगा। वह पहले से ज्यादा एक्टिव हो गई। अब अपने बच्चे के साथ खेलने-कूदने में भी उसे आनंद आने लगा। उसका पूरा रूटीन ही बदल गया। छह महीने बाद उसमे काफी बदलाव आ गया। अब जहाँ भी जाती उसे अच्छे अच्छे कमेंट्स भी मिलने लगे। उसने अपना खोया हुए आत्मविश्वास फिर से पा लिया था।


तो दोस्तो, आप बोलोगे इतना आसान नहीं होता। हाँ मै भी जानती हूँ ये आसान नहीं है पर “जहाँ चाह है वहाँ राह है।” अगर हम खुद को बदलना चाहते है तो अपनी जीवन शैली में थोडा बदलाव लाना ही होगा। एक्टिव रहने के लिए और स्वस्थ रहने के लिए किसी भी तरह का व्यायाम करना जरुरी है। अगर हम स्वस्थ होगे तो हमारा परिवार भी स्वस्थ होगा, इसिलिये खुद के लिए वक्त निकालना जरूरी है। इतना ही कहना चाहूंगी करके देखो अच्छा लगता हैं।


गौतम बुद्ध ने भी कहा है....

किसी के परिवार में सच्ची खुशी लाने के लिए, एक शांत मन पाने के लिए सबसे पहले खुद को अनुशासित करना चाहिए और अपने मन को नियंत्रित करना होगा। यदि मनुष्य अपने मन को नियंत्रित कर सकता है तो वह आत्मज्ञान का मार्ग खोज सकता है, और सभी ज्ञान और गुण स्वाभाविक रूप से उसके पास आएंगे और यह सब तभी सम्भव है जब आप के पास एक स्वस्थ शरीर है।


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