फिरनी
फिरनी
शगुन भाभी की आवाज सुन कर मुँह कसैला हो गया विश्वास का। फोन भूल गया था वही तो लेने आया था अम्मा के कमरे मे जब भाभी अम्मा को डाँट रही थी ।
"जरूर तुम्ही ने फरमाईश की होगी लल्ला से.. हाँ हम तो आपको कुछ खाने को देते नहीं तभी तो फिरनी दे गया लल्ला। हमारे लिये तो कभी ना लाया... । "
"नहीं बहुरिया हमने तो.......। " अम्मा घिघियाते बोली।
बुढ़िया के चटोरपन की हद नहीं ".. ...कहते हुए जैसे ही पलटी सामने विश्वास खड़ा था।
सकपका गयी थी शगुन।
"पूरे कुनबे में अम्मा ही है बुजुर्ग के नाम पर यही सोच कर गाँव से माँ ने अम्मा को फिरनी खिलाने को कहा था अब उस बेचारी को क्या पता पूरे गाँव की अम्मा अब एक फ्लैट मै रहने वालो की अम्मा रह गई है। " कह कर कमरे से निकल गया विश्वास।
