STORYMIRROR

Avinash Agnihotri

Tragedy

4  

Avinash Agnihotri

Tragedy

फिक्र

फिक्र

1 min
212


"क्या बताऊँ दादीजी अब तो मेरा इंसानियत पर से भी विश्वास उठने लगा है",लता के कमरे को बुहारती भोली बड़बड़ाई।

"अब आज क्या हुआ तुझे",चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए लता ने उससे पूछा।

तब वह बोली,"आज जब पास वाली शर्मा आंटी के घर काम करने पहुँची तो पेपर पढ़ते हुए उन्होंने बताया कि आज तड़के उघाड़े बदन फुटपाथ पर पड़े एक भिखारी की ठंड से मौत हो गई।सच दादीजी कभी कभी तो लगता है,जैसे अपने शहर के लोगो मे अब दया की भावना ही नही बची है।सोचो उसके मरने से पहले कितने ही लोग वहां से गुजरे होंगे पर किसी को भी उसके उघाड़े बदन पर तरस नही आया।"

एक अनजान व्यक्ति के लिए उसे यूँ कुड़कते देख लता उससे बोली "ए भोली तू वाकई बड़ी भोली है री।पल पल रंग बदलती इस दुनिया मे अब जहां बच्चो को अपने बूढ़े माँ बाप तक की सुध लेने की फिक्र व फुरसत नही है।तब ऐसे में भला फुटपाथ पर पड़े किसी अनजान भिखारी की चिंता अब कौन पालेगा।"

पिछले तीन दिनों से मेज पर पड़े अपनी ब्लडप्रेशर की गोली के,खाली पत्ते को देख अब लता बड़बड़ाई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy