पहचान की खुशी
पहचान की खुशी
खुशियां तो हजार रूप में होती हैं, कभी परिवार की खुशी, तो कभी किसी से मिलने की खुशी, कभी किसी के आगे बढ़ने पर खुशी।
कभी खुद को भी बहुत खुशी मिलती है, और वह खुशी ऐसी होती है, जो हर पल याद करने पर, मुस्कुराहट ला देती है।
ऐसी ही कुछ है मेरी खुशी, पहले तो मेरा टाइम ही नहीं पास होता था, सारा दिन मैं बोर हो जाती थी अकेले, इसी वजह से मैं परेशान भी रहती थी। हमेशा यही सोचती थी, कैसे मेरी अलग पहचान बने, अपने नाम से अपनी पहचान बनाना चाहती थी।
लोग मुझे यह ना कहे, मैं किसी की पत्नी हूं, या किसी की मां हूं सिर्फ, बल्कि लोग मुझे मेरे नाम से जाने।
मैंने जब से लिखना शुरू किया है, मैं बहुत खुश रहने लगी हूं।
जल्दी की खुशियां आप सबसे बता रही हूं, मेरे हस्बैंड एक पार्टी में गए थे, वहां सब लोग उनका हाल - चाल पूछ रहे थे, कुछ लोग पूरे परिवार का, हाल - चाल पूछने लगे।
रिलेशन के एक लोग पूछे, आपकी वाइफ कैसी हैं ?
वहां पर कुछ लोग थे, जो मुझे मेरी कविता कहानियों की वजह से भी जानते थे, मेरे हस्बैंड के बोलने से पहले ही, वह बोले ! कल मैं जिस लड़की की कविता और फोटो आपको दिखा रहा था, उसी के ही हस्बैंड है ये।
वह इनकी पत्नी है।
यहां पर सभी लोग मेरी तारीफ कर रहे थे, और मेरी लेखनी की भी तारीफ कर रहे थे।
जब मेरे हस्बैंड घर आकर मुझसे बोले, तो मुझे जो खुशी महसूस हुई, उसका कहना ही क्या है।
सच में मुझे अपनी लेखनी पर इतनी खुशी हुई, और बहुत अच्छा महसूस हुआ, कि लोग मुझे भी जानते हैं।
सभी को एक ऐसा मंच प्रदान किया है जहां से हम अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं।
ऐसे ही सभी लोग अपनी एक अलग पहचान बना है इस मंच से जुड़ कर।