भरोसा
भरोसा
शुभ्रा निलेश से प्यार करती थी और उसी से शादी करना चाहती थी, जो कि उसी के साथ एक स्कूल में टीचर था।लेकिन घरवालों की यह शादी मंजूर ना थी, नीलेश दूसरी जाति का जो था।कहीं बेटी हाथ से ना निकल जाए, इसलिए पिता ने! जल्द ही उसकी शादी का"मंडप सजाने का निश्चय कर लिया।
बिना जांचे परखे ही,अपने मित्र के दूर के रिश्तेदार के लड़के को पसंद कर लिया गया। बिना शुभ्रा की सहमति के। जो कि नंबर एक लड़की बाज था,जैसा कि शुभ्रा ने सुना किसी से।
मंडप सजाया गया,बारात आ गई,कार्यक्रम विधिवत संपन्न हो रहा था अचानक!फेरे के लिए उठते ही शुभ्रा बेहोश हो गई।डॉक्टर पहुंचते इसके पहले ही वह अर्थी रूपी मंडप के लिए जा चुकी थी,उसके हाथों में जहर की शीशी मिली।और साथ में एक खत भी।
जितनी खुशी से मंडप सजाया गया था,, उससे दोगुना वहां मातम पसर चुका था।
बारात वापस जा चुकी थी, लगभग सभी रिश्तेदार भी चले गए उसके माता-पिता और भाई के साथ कुछ खास लोग ही बचे थे।
आज मानवता और प्यार दोनों शर्मसार हो चुका था, पिता सर झुकाए हाथों में खत लिए दहाड़े मार कर रो रहे थे"वहीं मां का भी रो रो कर बुरा हाल था।कांपते हाथों से श्रीकांत जी ने पत्र खोला",....!!!!!
प्यारे पिताजी_____
सादर प्रणाम और अलविदा
मैं जानती हूं मैं गलत कर रही हूं, लेकिन आप पिता होकर ही क्या सही कर रहे हैं। जिस लड़के से आप मेरी शादी करवा रहे हैं ,आप क्या जानते हैं उसके बारे में।
एक नंबर का दारूबाज और लड़की बाज है, कितनी बार जेल भी जा चुका है"..! मैंने यह सब अपने एक दोस्त से पता किया है, क्योंकि मैंने पहले भी सुना था वह ठीक लड़का नहीं है।
मैंने आपसे कहना चाहा लेकिन आपने सुनने की कोशिश नहीं की, मैं प्यार करती थी लेकिन मैं चरित्रहीन नहीं थी"...!!! जो मेरी आपने एक ना सुनी।।
उसके साथ घुट घुट कर रहने से अच्छा है ,अपने प्यार के नाम कुर्बान हो जाऊं। और मैंने वही किया भी"! आपकी इज्जत आपको मुबारक, अब आप आजाद है मेरी तरफ से".....!! अब नहीं डर होगा आप बदनामी का आपको।।
जाते जाते एक बात और कहना चाहती हूं।बार-बार प्यार को शर्मसार करना बंद कर दीजिए, प्यार प्यार है कोई घिनौना अपराध नहीं"....!! हमेशा से प्यार और जाति के नाम पर लड़कियों की बलि चढ़ जाती है।।और दूसरी जाति का होने से यह मतलब नहीं , कि! अच्छा लड़का नहीं है।।
आपकी शुभ्रा
खत पढ़कर उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया, आखिर इतनी बड़ी गलती मुझसे कैसे हो गई".....!! मैंने क्यों नहीं सुनी बेटी की बात, सुन लिया होता तो आज मेरी बेटी अर्थी पर नहीं डोली में जाती।।।लेकिन कहा जाता है जाने वाला चला गया, आप के पश्चाताप से वह वापस थोड़ी आएगा।।
(अक्सर देखा जाता है प्यार करना ऐसे लगता है जैसे हमने किसी का मर्डर कर दिया हो और दूसरी जाति का होना ऐसा महसूस कराता है जैसे हम इंसान ना होकर कोई जानवर है जिसके साथ बुरा व्यवहार करना चाहिए