स्वाभिमानी औरत
स्वाभिमानी औरत
पिंकी ने दरवाजा खोला , तो देखा! एक औरत अपने छोटे से बच्चे के साथ वहां बैठी थी।
शायद कई दिनों से भूखी थी, बहन क्या चाहिए आपको? शायद आपको भूख लग रही, अंदर आकर यहां बैठ जाइए मैं आपको खाना देती हूं।
इतना कह पिंकी रसोई में चली गई, वह औरत अंदर आकर वही जमीन पर बैठ गई।
पिंकी खाना लेकर आई, औरत और बच्चा दोनों भूखे थे, ललचाई नजरों से खाना देख रहा था बच्चा!! लेकिन! उसने खाने से मना कर दिया। पिंकी ने वजह पूछी, दीदी मुझे कोई काम दे दीजिए पहले!!मैं गरीब हूं लेकिन भिखारी नहीं हूं, मेरा भी स्वाभिमान है। मैं काम करूंगी तभी यह खा सकती हूं।
ठीक है! पहले तुम खा लो, उसके बाद काम कर देना, और हां आज से तुम यहां काम करोगी?
उसे तो मनचाही मुराद मिल गई, फटाफट खाना खत्म किया मां बेटे ने, और अपने स्वाभिमान को बचाते हुए काम पर लग गई।
