sargam Bhatt

Tragedy

4  

sargam Bhatt

Tragedy

पछतावे की आग

पछतावे की आग

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अब पछताए होत क्या , जब चिड़िया चुग गई खेत !बिटिया की फोटो कलेजे से चिपका विलाप कर रही थीं ठकुराइन , रोने के साथ-साथ ना जाने कितनी गालियां और बद्दुआएं भी दे रही थी ।

और हां उन लोगों को सबक सिखाने का भी ठान रही है ।

लेकिन काश ! ठकुराइन समय रहते कदम उठा लेती , तो ऐसी नौबत क्यों आती ।


लेकिन तब तो उन्हें अपनी इज्जत प्यारी थी , लोग क्या कहेंगे का डर था ।

लेकिन अब ही लोग कहां चुप है , अब भी तो लोग बातें बना रहे हैं ! ऐसी मां से अच्छा मां ही ना हो , जो अपनी बेटी के दर्द को ना समझे ।


अब आप लोग सोच रहे होंगे आखिर माजरा क्या है , तो सुनिए माजरा भी……...........ठाकुर साहब तो ठकुराइन को , अपनी दो साल की बिटिया " गार्गी " को सौंप कर इस दुनिया से चले गए ।गार्गी की परवरिश ठकुराइन ने अकेले ही बड़े नाजो से की थी ।ठाकुर साहब की बहुत संपत्ति थी जो सब ठकुराइन और गार्गी की ही थी , क्योंकि ठाकुर साहब अकेले जो थे ।


गार्गी ने ग्रेजुएशन ही किया था कि ! उन्हें शादी की चिंता सताने लगी ।

परवरिश नाजो से की थी लेकिन , शादी बिना मर्जी के बड़ा ऊंचा खानदान देखकर कर दी ।

बिटिया तो पढ़ना चाहती थी लेकिन ठकुराइन को ना जाने कौन सा भूत सवार हो गया था शादी का । खूब दान दहेज भी दिया गया था , आखिर ठकुराइन के बाद सब गार्गी का ही तो था ।

सुना था सब लोग बड़े खुले विचारों के थे ! लेकिन अंदर की बातें कौन जानता है ।

तीन दिन बाद पग फेरे पर आई गार्गी के चेहरे पर कोई खुशी ना थी, लेकिन ठकुराइन ने जानने की कोशिश भी ना की !!!!


कुछ दिन तक तो चुपचाप सहती रही , मां से कुछ ना कहा ! लेकिन कोई कितना सहे , थक हारकर उसने मां से कहना शुरू किया ।मां मुझे इस दलदल से निकाल लो , यहां मेरी इज्जत नौकरानी और पैर की जूती से बढ़कर ना है। इन लोगों को बहू और पत्नी नहीं , बल्कि काम के लिए नौकर और बिस्तर पर भोग्या चाहिए ।छोटी-छोटी गलतियों पर मुझे खूब मारा पीटा जाता है। और तो और मुझे अपना बनाया खाना भी नहीं खाने को मिलता ठीक से।

किसी किसी दिन तो मुझे कमरे में बाहर से बंद कर देते हैं।यह लोग अमीर नहीं बल्कि गलत काम ( लड़कियां बेचना )करते हैं, मैंने देख लिया था एक बार इसीलिए मेरे साथ ऐसा किया जाता है।


लेकिन ठकुराइन के कान पर जूं भी ना रेंगा , समाज का हवाला देकर चुप करा दिया बिटिया को । बिटिया हम तुम्हारे जन्म के साथी थे , किस्मत के नहीं " अब वही तुम्हारी किस्मत है।

तुम यहां आकर बैठ जाओगी, तो कितनी बदनामी होगी मेरी और ठाकुर खानदान के पूर्वजों की।

अब बिटिया ने कहना बंद कर दिया , अपनी किस्मत समझ जीती रही !!!

छोटी-छोटी बातों पर उस पर हाथ उठाया जाता था, यहां तक कि पूरे घर वाले मिलकर मारते थे।।


एक दिन तबीयत खराब होने पर , सुबह उठने में देर हो गई ! छोटी सी बात के लिए पूरे घर वालों ने मिलकर मारा और मरा समझकर छोड़ दिया ।उन्होंने मरा समझकर छोड़ा था लेकिन ईश्वर की लीला देखिए, वह सच में दुनिया छोड़ चली गई।

फोन करके ठकुराइन को सूचना दी गई, जल्दी आइए आपकी बिटिया गार्गी को पता नहीं क्या हो गया है।

ठकुराइन पहुंची ! गार्गी की हालत देख सन्न रह गई, उन्होंने जल्दी से गार्गी को गाड़ी में बिठाया और हॉस्पिटल निकल गई, बिना किसी से कुछ बोले।वहां पहुंचने पर डॉक्टर ने जो बताया, सुनकर ठकुराइन को शाॅक लग गया।आपकी बिटिया दो घंटे पहले ही मर चुकी है।अब क्या कर सकती थी ठकुराइन सिवाय पछताने के, गार्गी को ससुराल ना ले जाकर सीधा घर लेकर आ गई , उसकी ससुराल से कोई हॉस्पिटल झांकने भी नहीं गया था। यहां तक कि उसका पति भी।


यहीं से उसका अंतिम संस्कार किया गया , जिस मां की कोख से जन्म लिया, उसी मां की आंखों के सामने इस दुनिया से चली गई। और मां झूठी शान में कुछ ना कर सकी।ब्रह्म भोज का कार्यक्रम खत्म होने के दूसरे दिन "..!!! बिटिया की फोटो कलेजे से चिपकाए जार जार रोए जा रही थीं, अचानक रोना बंद कर उठी और ".....!!!! चल पड़ी गार्गी की ससुराल "".....!!! अत्याचारीयों को उनकी जगह पहुंचाने ।।।।



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