Sandeep Murarka

Inspirational Others

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Sandeep Murarka

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पद्मश्री तुलसी गौड़ा

पद्मश्री तुलसी गौड़ा

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जन्म : 1944 

जन्म स्थान : जिला उत्तर कन्नड़, कर्नाटक

वर्तमान निवास : गांव होन्नाली, तालुक अंकोला, जिला उत्तर कन्नड़, कर्नाटक


जीवन परिचय - तुलसी अम्मा के नाम से विख्यात तुलसी गौड़ा ट्राईबल्स परिवार में जन्मी एक अनपढ़ महिला हैं, कभी स्कूल नहीँ गई, किन्तु पौधों और वनस्पतियों का इनका ज्ञान अदभुत है। कोई शैक्षणिक डिग्री नहीं होने के बावजूद भी तुलसी गौड़ा को प्रकृति से उनके लगाव को देखते हुए उन्हें कर्नाटक सरकार के वन विभाग में नौकरी मिली। आज रिटायरमेंट के बाद भी वे अनवरत निःशुल्क सेवा दे रही हैँ। तुलसी निःसंतान है, प्रकृति ही उनका परिवार है और पेड़ पौधे उनके बच्चे है।


योगदान - कर्नाटक की 72 वर्षीय पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा ‘जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया’ के रूप में प्रख्यात हैं। ये पिछले 60 वर्षो में एक लाख से भी अधिक पौधे लगा चुकी हैं। कहते हैँ इनके द्वारा लगाया गया एक भी पौधा आज तक नहीँ सूखा। तुलसी पौधों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करती हैं। छोटी झाड़ियों से लेकर ऊंचे पेडों तक, कब किसे कैसी देखभाल की जरूरत है, तुलसी अच्छी तरह जानती हैं , वे पौधों की बुनियादी जरूरतों से भलीभांति परिचित हैं। तुलसी अम्मा की खासियत है कि वह केवल पौधे लगाकर ही अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाती हैं, अपितु पौधरोपण के बाद एक पौधे की तब तक देखभाल करती हैं, जब तक वह अपने बल पर खड़ा न हो जाए। उन्हें पौधों की विभिन्न प्रजातियों और उसके आयुर्वेदिक लाभ के बारे में भी गहरी जानकारी है। पेड़ पौधों की जानकारी के लिए ना केवल स्थानीय लोग तुलसी के पास आते हैं बल्कि वन विभाग के पदाधिकारी भी प्रकृति संरक्षण हेतू कई विषयों में इनकी राय को महत्व देते हैं। पेड़ पौधों की विभिन्न प्रजातियों पर तुलसी अम्मा के व्यापक ज्ञान को सरकार द्वारा मान्यता दी गई है क्योंकि ऐसा ज्ञान किसी वनस्पति वैज्ञानिक के पास होना भी दुर्लभ हैं।


ट्राइबल समुदाय से संबंध रखने के कारण पर्यावरण संरक्षण का भाव उन्हें विरासत में मिला। दरअसल धरती पर मौजूद जैव-विविधता को संजोने में ट्राइबल्स की प्रमुख भूमिका रही है। ये सदियों से प्रकृति की रक्षा करते हुए उसके साथ साहचर्य स्थापित कर जीवन जीते आए हैं। जन्म से ही प्रकृति प्रेमी ट्राइबल लालच से इतर प्राकृतिक उपदानों का उपभोग करने के साथ उसकी रक्षा भी करते हैं। ट्राइबल्स की संस्कृति और पर्व-त्योहारों का पर्यावरण से घनिष्ट संबंध रहा है। यही वजह है कि जंगलों पर आश्रित होने के बावजूद पर्यावरण संरक्षण के लिए ट्राइबल सदैव तत्पर रहते हैं। ट्राइबल समाज में ‘जल, जंगल और जीवन’ को बचाने की संस्कृति आज भी विद्यमान है और तुलसी उसका जीता जागता उदाहरण है।


सम्मान एवं पुरस्कार - तुलसी गौड़ा को वर्ष 2020 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। वनीकरण और बंजर भूमि विकास के क्षेत्र में अग्रणी और अनुकरणीय कार्य हेतू तुलसी को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। तुलसी को कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान, कविता मेमोरियल अवार्ड,

इंद्रावलू होनैय्या समाज सेवा पुरस्कार सहित कई अन्य सम्मनों से नवाजा जा चुका है। अम्मा को अदभुत सम्मान देते हुए बेंगलुरु के बन्नेरुघट्टा जैविक उद्यान

ने कुछ दिन पहले जन्मी हथिनी का नाम तुलसी रखा है।


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