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पौधा, गमले का या जंगल का

पौधा, गमले का या जंगल का

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रानू तीसरी मंजिल की गैलरी में खड़ा सामने मैदान में खेलते बच्चों को देखकर अक्सर माँ को कहता- "माँ मैं भी खेलने जाऊँ !"

"अरे नहीं बेटा ! कितनी धूल मिट्टी है वहां ! बीमार पड़ जाओगे।" माँ दो टूक उत्तर देती।

"बाकी बच्चे भी तो रोज खेलते हैं ना ! क्या वे बीमार नहीं पड़ते !" आज रानू जिद पर अड़ गया।

"उनको आदत है धूल मिट्टी में रहने की !" माँ ने काम में लगे लगे ही जवाब दिया पर रानू इस जवाब से संतुष्ट न था। उसने पूछ ही लिया- "फिर मुझे आदत क्यूँ नहीं !"

"बेटा तुम सारा दिन एसी में रहते हो ! एसी स्कूल, एसी बस, एसी घर ! तुम्हें भला धूप, धूल, मिट्टी की आदत कहां !" माँ को रानू की मीठी सी जिद पर हँसी आ गई।

"सारा दिन एसी में रहकर भी मेरे चेहरे पर वो खुशी नहीं जो धूप धूल मिट्टी में खेलते बच्चों के चेहरे पर होती है। माँ मुझे भी वही खुशी चाहिए।"

रानू रुआंसा होकर बोला तो माँ की आंखों में एकदम चिंता के भाव दिखालाई पड़े "पर.... तुम बीमार पड़ गये तो !"

अचानक साथ वाले कमरे से आती हुई आवाज सुनाई पड़ी-

"बहू ! रानू ठीक कहता है जो खुशी धूल मिट्टी में खेलकर मिलती है वो खुशी एसी की ठंडी हवा में कहां !"

"पर मांजी रानू के पापा नाराज हुए तो !" माँ ने सासू माँ की ओर देखते हुए प्रश्न किया तो वह हँसते हुए बोली-

"तुम उसकी चिंता न करो उसे मैं समझा लूँगी। वह तो खुद जंगल का पौधा है !"

"जंगल का पौधा ! माँजी मैं कुछ समझी नहीं !" अचरज से माँ ने पूछा।

"बहू गमले के पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फर्क होता है ! रानू को गमले का पौधा बनाया तो बाद में तुम भी परेशान होगी और रानू भी।" दादी माँ ने समझाने के लहजे में कहा तो रानू चकित हो पूछने लगा- "दादी गमले का पौधा मतलब !" "बेटा गमले का पौधा सारी सुख सुविधा पाकर भी पौधा ही रहता है जबकि जंगल का पौधा सर्दी गर्मी लू के थपेड़ों को सहकर भी पेड़ बन जाता है। जो खुद भी मजबूत होता है और दूसरों को भी फल, फूल, छाया देता है।" दादी की बात सुनते ही रानू ये कहते हुए खटाखट सीढ़ियाँ उतर गया-

"माँ मुझे गमले का पौधा नहीं बनना !"


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