Medharthi Sharma

Romance

3.2  

Medharthi Sharma

Romance

पापी मन

पापी मन

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शाम को सूरज डूबने की तैयारी में है। कमली दो साल के बेटे को सुलाकर लकड़ी बीनने निकल गयी। वह गरीब है। उसका पति हरिया दिहाड़ी मजदूर है। फ्री गैस कनेक्शन के बारे में उसने सुना तो था। लेकिन उसके जैसे झोपड़ी में रहने वालों के लिए कोई भी योजना बेमानी थी।कमली को अपनी गरीबी से कोई शिकायत नहीं थी। वह बेशक झोंपडी में रहती थी लेकिन वही झोंपडी उसका महल था। गाँव में उसका अच्छा घर भी था पूरा परिवार भी था। लेकिन गाँव मे काम की कमी थी। शहर में घर बनाना आसान नहीं था। किराए पर घर लेकर रहें तो एक बड़ा हिस्सा किराए में ही चला जाता। दो बच्चे गाँव में भी छोड़कर आये थे। उनके लिए भी खर्च भेजना था।उसका राजा उसका पति काम पर गया था। बहुत खुशहाल थी उनकी जिंदगी। बच्चे की किलकारी सुनकर दिन भर की थकान और बोरियत खत्म हो जाती थी।

धुँधलका छा रहा था। बच्चा अभी सो रहा था। उसने चूल्हा सुलगा लिया था। सब्जी छोंकने के बाद रोटियों के लिए आटा गूंथ रही थी। पति के आने का समय हो गया था। अपनी पसंद का गाना गुनगुना रही थी। आटा गूंथने के बाद घड़ी देखी तो सात बजे चुके थे। वह बाहर दूर तक देखती है। पति दूर तक आता दिखाई नहीं देता। थोड़ी चिंतित होती है। परंतु बेटा अभी सो रहा था। जल्दी जल्दी खाना बना लेती है। कहीं बेटा जग गया तो काम नहीं करने देगा।

काम खत्म करते करते आठ बजे गए। बेटा भी जाग गया। खाना वो पति के आने पर ही खाएगी। उसने आज तक पति से पहले खाना नहीं खाया था। ये उसकी परंपरा ही नहीं उसका पति प्रेम भी था। और फिर दो प्राणी थे। इसलिए सोचती थी कि साथ ही खायें तो ठीक है। उसने बेटे को गोद में उठाया और एक बार फिर गली में दूर तक देखा। अभी वह आता दिखाई नहीं दिया। ऐसा पहली बार तो नहीं हुआ था। जब कभी काम थोड़ा सा ज्यादा हुआ है वह लेट हो जाता था। लेकिन फोन आ जाता था।

कमली बेटे के साथ खेलने बैठ गयी। बच्चे की अड़खेलियाँ उसे आनंदित कर रही थीं। वह बच्चे को खिला रही थी। तेले पापा आएंगे, थेल थिलोने लाएंगे। हर माँ की चाहत होती है कि उसका बच्चा ढेर सारे खेल खिलौनों से खेले। लेकिन ये चाहत उसके जैसे लोग पूरी नहीं कर पाते। समय उड़ रहा था। नौ बज गए। अभी तक हरिया का पता नहीं था। फोन भी करे तो किसको? हरिया के पास फोन था नहीं। कितनी बार कहा था एक फोन ले लो अपने लिए। वो हर बार कह देता कि काम के समय बात नहीं कर सकता। काम के बाद सीधा घर आता हूँ। क्यों फालतू खर्च करना।अब उसे थोड़ी चिंता होने लगती है। फिर मन को समझा लेती है। काम में देर हो गयी होगी। बस नहीं मिली होगी।

उसने बच्चे को दूध पिला दिया। अब वह बच्चे से उसी की टूटी फूटी भाषा में बात कर रही थी। वह बच्चे के बहाने खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी कि उसके पापा को काम में देर हो गयी होगी। वो खिलौने खरीद रहे होंगे। हो जाती है कभी कभी देर। बच्चा ऊंघते ऊंघते सो गया। उसने एक बार फिर बाहर निकलकर देखा। अंधेरा गहरा हो चुका था। हरिया का अभी तक पता नहीं था। उसकी घबराहट बढ़ने लगी। बार बार बाहर निकलकर देखती। लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगती।

बारह बज चुके थे। अभी तक फ़ोन भी नहीं आया। मन किसी अनहोनी की शंका से भर गया। यह सोचकर उसे रोना आने लगा। बच्चा जग गया। उसने कपड़े गीले कर लिए थे। बच्चे के कपड़े बदलकर सीने से लगाकर सुलाने की कोशिश करने लगी। लेकिन खुद की नींद उसकी आँखों से गायब हो गयी थी। अब उसे बेचैनी होने लगी थी। बच्चा सो गया। वह फिर उठकर बैठ गयी। किसी अनहोनी की आशंका उसके दिमाग पर हावी हो रही थी। कई तरह के ख्याल आ जा रहे थे। मन सबसे बड़ा पापी होता है।

कभी सोचती है कि सड़क पर करते समय किसी वाहन की चपेट में तो नहीं आ गए। बहुत ट्रैफिक होता है आजकल। सोचकर घबरा गई। नहीं ऐसा नहीं हो सकता। उसने बच्चे को उठाकर सीने से लगा लिया।थोड़ी देर बैठी रही फिर सोचने लगी। किसी से झगड़ा तो नहीं कर लिया। नहीं नहीं, वो तो किसी से कुछ कहते ही नहीं। क्या हुआ होगा? हर बुरा खयाल उसे आंदोलित कर रहा था। अजीब अजीब खयाल मन में आ रहे थे। किसी भी अनहोनी से घबराकर उसे दुनिया वीरान नजर आने लगी। कैसे जीएगी उनके बिना। कौन है उसका इस शहर में? सब दो चार दिन उसके साथ होंगे फिर क्या ..........? आगे कुछ नहीं सब खत्म।अब वो खुद पर नियंत्रण न रख सकी और रुलाई फुट पड़ी। आ आ आ आ आ।

बेटे को बिस्तर पर लिटाकर फोन की ओर लपकी। घर फोन लगाया। फोन सास ने उठा लिया। उधर से आवाज़ आयी हैल्लो। कमली ने जवाब देते नहीं बना। बस रोती जा रही थी। सास ने पूछा क्या हुआ बता तो सही। तभी दरवाजे पर कोई आया। वह फोन फैंक कर बदहवास भागी। दरवाजे पर हरिया खड़ा था। जाकर हरिया के गले लग गयी और दहाड़ मारकर रोई। जब मन हल्का हुआ तो हरिया ने पूछा, "क्या हुआ पगली?"

"तुम कहाँ चले गए थे?" उसने रोते हुए पूछा।

"बस इतनी सी बात, पगली।" हरिया ने चुप कराते हुए कहा।

फिर हरिया ने बताया कि "उसके किसी साथी मजदूर का एक्सीडेंट हो गया था उसे हॉस्पिटल लेकर गए। उसे खून की जरूरत थी। इसलिए रुकना पड़ा। फोन करने का ध्यान नहीं रहा। फिर सोचा तुम सो गई होगी। घर तो जा ही रहा हूँ।"


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