Priyanka Gupta

Inspirational

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Priyanka Gupta

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पापा मम्मी की भी उम्र हो चली है

पापा मम्मी की भी उम्र हो चली है

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दरवाज़े पर सूर्या को देखते ही नलिनी की चेहरे पर मुस्कराहट खिल उठी थी। "कैसी है तू ?आने की खबर भी नहीं दी। पहले से ही बता देती तो तेरी पसंद के खमण -ढोकला नाश्ते में बनाकर रखती न। "ससुराल से मायके आयी बेटी को देखकर नलिनीजी ने खुश होते हुए कहा। 

"अरे मम्मी ,2 दिनों के लिए आयी हूँ। कल बनाकर खिला देना। आपकी और पापा की याद आ रही थी ;सो चली आयी। आपके दामादजी के सामने मुँह से निकल गया था कि मम्मी -पापा को देखे 6 महीने हो गए तो फ़ौरन भेज दिया। बोले कि मैं तो यहाँ अपने मम्मी-पापा के साथ ही रहता हूँ ;तुम्हें तो अपने मम्मी -पापा को देखने की इच्छा होती ही होगी। ",सूर्या ने कहा। 

"हीरा है दामाद हमारा ,एकदम हीरा। ",नलिनी जी ने कहा। 

"पापा कहाँ हैं ?",सूर्या ने पापा को न देखकर इधर -उधर नज़रें घुमाते हुए पूछा। 

"अभी घूमकर आये हैं ;बाथरूम में फ्रेश होने गए हैं। ",नलिनीजी ने कहा। 

"अभी चाय बनाकर लाती हूँ। बाहर आते ही उन्हें चाय चाहिए। अखबार भी रख दिया है। ",नलिनी जी ने कहा। 

"चलो मैं आपके साथ आती हूँ। ",सूर्या ने कहा। 

"नहीं ,तुम यहीं बैठो। थक गयी होंगी ;फिर पापा से बातें भी कर लेना। ",नलिनी ने कहा। 

इतने में सूर्या के पापा मनोज भी आ गए थे। आते ही सूर्या को देखकर बहुत ही खुश हुए। सूर्या भी छोटी बच्ची की तरह पापा के गले लग गयी थी। 

"कैसे हो पापा ?",सूर्या ने चहकते हुए पूछा। 

"तू ही बता ?कैसा लग रहा हूँ ?",मनोज ने घूमते हुए कहा। 

"एकदम फिट। लगता है सेकंड इनिंग बात को आपने बहुत गंभीरता से ले लिया है। ",सूर्या ने ऊपर से नीचे तक मनोज को देखते हुए कहा। 

"हाँ बेटा ,सेवानिवृत्ति के बाद अपनी अधूरी रह गयी ख़्वाहिशों को पूरा कर रहा हूँ। ",मनोज जी ने कहा। 

"हां पापा। रिटायरमेंट को हमें अपने जीवन की दूसरी पारी मानना चाहिए। जहाँ सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर केवल अपने लिए जी सकते हैं। वैसे आजकल आप क्या -क्या कर रहे हैं ?",सूर्या ने पूछा। 

रोज़ सुबह उठते ही एक लेमन टी पीता हूँ ,फिर घूमने जाता हूँ। घूमकर आकर फ्रेश होकर तुम्हारी माँ के साथ एक चाय पीता हूँ। चाय पीकर तुम्हारी माँ अपने कामकाज में लग जाती है और मैं अख़बार पढता हूँ। अख़बार पढ़कर नहाने जाता हूँ।तैयार होकर नाश्ता करता हूँ। उसके बाद मैंने ऑनलाइन गिटार क्लास ज्वाइन कर ली है ;गिटार सीखता हूँ। 

"नलिनी ,ज़रा मेरा फ़ोन तो चार्ज पर लगा दो। अगर बैटरी क्लास के वक़्त डिस्चार्ज हो गयी तो कैसे चलेगा। ",मनोज ने आवाज़ लगाई। 

"कहाँ है आपका चार्जर ?मैं लगा देती हूँ। ",सूर्या ने कहा। 

"मम्मी ,आप चाय लेकर ही आओ। पापा का फ़ोन में चार्ज पर लगा दूँगी। ",सूर्या ने नलिनी को आवाज़ लगाते हुए कहा। 

कुछ ही देर में नलिनी चाय लेकर आ गयी थी। तीनों मम्मी -पापा और बेटी ने गपशप करते हुए चाय पी। 

"चाय ख़त्म करके नलिनी जी बर्तन समेटकर जाने लगी ,तब ही मनोज ने कहा ,"नलिनी ज़रा गीजर। जब तक अखबार पढता हूँ ;तब तक पानी गर्म हो जाएगा। "

"जी। ",नलिनीजी किचेन में चली गयी थी। जब से मनोज का रिटायरमेंट हुआ है ;तब से नलिनी नाश्ते में कुछ न कुछ विशेष ही पकाती है। कभी ढोकले ,कभी मुठिया ,कभी इडली ,कभी पोहा ,कभी दाल का चीला ,कभी डोसा ,कभी उपमा। मनोज हर सप्ताह एक मेनू बना देते हैं। कहते हैं ,"पहले तो भागते -दौड़ते ही नाश्ता होता था। अब तो अच्छे से तुम्हारे हाथ के खाने का लुत्फ़ उठाऊँ। "

अब नलिनीजी से काम उतनी फुर्ती से नहीं होता ;मनोज ही नहीं नलिनी की उम्र भी तो बढ़ गयी है। अगले साल नलिनी भी 60 साल की हो जायेगी। ऐसे ही लंच भी पूरा प्रॉपर चाहिए। एक सब्जी ,दाल ,चावल,रोटी ,रायता ,सलाद ,पापड़ और अचार। नलिनजी हर साल नींबू ,कच्चे आम ,गाजर ,मूली आदि सभी का अचार अपने हाथ से डालती हैं ,मनोज को बाज़ार के अचार सख्त नापसंद हैं। 

बेचारी किचेन में काम करती रहती हैं तो मनोज 50 बार आवाज़ लगा लेते हैं। कभी फ़ोन चार्जर पर लगा दो ,कभी फ़ोन पकड़ा दो ,कभी अखबार ला दो ,कभी पानी ला दो ,कभी चाय बना दो ,कभी लेमन टी बना दो कभी क्या और कभी क्या। बेचारी नलिनी एक पैर रसोई में होता है तो दूसरा पैर मनोज की सेवा में। 

अगर कभी नलिनी कह देती है कि ,"फ़ोन वहीँ टेबल पर तो रखा है ;आप खुद ही ले लो। "

तब मनोज जी चालू हो जाते हैं ,"अब तो में नाकारा हूँ न। कमाकर नहीं लाता ;इसीलिए तुम मेरा सुनोगी थोड़ी न। "

नलिनीजी कैसे समझायें कि ,"अब उनसे इतनी भागदौड़ नहीं होती। "सारा दिन किचेन में खड़े -खड़े काम करते उनके पैर दुखने लगते हैं। कामवाली के साथ भी लगना पड़ता है ;तब जाकर ढंग की साफ़-सफाई होती है। उसके अलावा अड़ौसी -पड़ौसी के यहाँ बुलावे में भी जाना पड़ता है। 

"गिटार बजाने के बाद कुछ किताबें पढता हूँ। आजकल मैं खुद भी थोड़ा लिखने लगा हूँ। जब शेप ले लेगा ,तब तुझे पढ़वाऊंगा।फिर लंच करके २ घंटे आराम करता हूँ। उसके बाद पास के बाज़ार में जाकर ताज़ी सब्जियाँ लाता हूँ। फिर कुछ घंटे बाग़बानी में गुजारता हूँ। डिनर करके थोड़ा टहलता हूँ और फिर रात को न्यूज़ देखकर सो जाता हूँ। ",मनोज ने बड़े चाव से सूर्या को बताया। 

"वाह पापा। चलो में मम्मी की नाश्ता बनाने में मदद करती हूँ। ",सूर्या वहां से चली गयी थी। 

सूर्या जब से आयी थी ,तब से उसे नलिनी जी थकी -थकी और बीमार लगी थी। सूर्या दो दिनों में समझ गयी थी कि मम्मी पर काम का बोझ बढ़ गया है। पापा ,मम्मी की बिलकुल मदद नहीं करते ;बल्कि उनका काम बढ़ाते ही हैं। 

आज शाम की सूर्या की वापसी की फ्लाइट थी। शाम की चाय पर सूर्या ने मनोज से कहा ,"पापा आप तो रिटायर्ड हो गए ;लेकिन मम्मी को घर के कामों से कब सेवानिवृत्ति मिलेगी ?"

"अरे ,औरतें भी कभी रिटायर्ड होती हैं। ",मनोज ने कहा। 

"लेकिन पापा उम्र तो औरतों की भी बढ़ती है। औरतें भी थकती हैं। पापा मम्मी की भी उम्र हो चली है। आपको उनकी मदद करनी चाहिये। आप कभी एक सब्जी से भी खाना खा लिया करो। आपने मम्मी की शक्ल देखी है ;वह बूढ़ी और थकी हुई दिखने लगी हैं। मैं चाहती हूँ अगली बार जो रौनक आपके चेहरे पर है ,वैसी ही मम्मी के चेहरे पर भी हो। ",सूर्या ने कहा। 

"सॉरी बेटा ,मैं अपने आप में उसे तो भूल ही गया। तेरे पापा का वादा है। ",मनोज ने कहा। 

"मेरे अच्छे पापा। ",सूर्या मनोज के गले लग गयी थी। 


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