Monika Sharma "mann"

Drama

5.0  

Monika Sharma "mann"

Drama

पानी

पानी

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243


रमेश की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण उसे घर आना पड़ा। सुधा ने जब रमेश के माथे पर हाथ लगा कर देखा तो उसका माथा जो बुरी तरह से जल रहा था।

सुधा बोली अरे तुम्हारा तो माथा बहुत गरम है। बहुत तेज बुखार है क्यों गए थे ऑफिस ? क्या नहीं पता चला ?क्या शरीर में दुखन नहीं हुई थी ?

रमेश बोला "अरे जरूरी मीटिंग थी इसलिए जाना पड़ा ,वरना बुखार तो सुबह से ही लग रहा था।" सुधा ने रमेश को बुखार की दवाई दी। रमेश दवाई खा कर सो गया। सुधा ने बच्चों को समझाया कि पापा को तंग ना करें। दूसरे कमरे में खेलते रहे।रात में सब खाना खाकर सो गए।

सुधा को यही चिंता रही कि रमेश का बुखार उतर जाए ,मगर रात होते-होते तबीयत और खराब हो गई।

सुधा ने मोहन को फोन किया जो रमेश का बहुत अच्छा दोस्त है वह फोन सुनते ही रमेश के घर आ गया और रमेश को अस्पताल लेकर गया।

वहां डॉक्टर ने 105 बुखार होने के कारण रमेश को एडमिट कर लिया। सुधा बच्चों को संभाल रही थी कि मोहन ने फोन करके सुधा को बताया चिंता की कोई बात नहीं है ,बुखार तेज है लेकिन डॉक्टर ने दवाई दे दी है और रमेश डॉक्टरों की देखरेख में है और जल्दी ही घर आ जाएगा।

सुधा बच्चों को स्कूल भेजकर रमेश के पास हॉस्पिटल चली गई। मोहन अपने घर चला गया।सुधा ने मोहन को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

इधर फोन पर रमेश के बॉस का फोन आने लगा सुधा ने रमेश के बॉस को सारी बात बताई।

मगर रमेश के पास कुछ जरूरी कागजात होने की कारण उसका ऑफिस में होना जरूरी था। बॉस ने कागज ऑफिस तक पहुंचाने की बात कहकर फ़ोन रख दिया।

सुधा ने रमेश से पूछा वह कागज कहां रखे हैं? रमेश ने जगह बता दी और कागजों को मोहन को देने के लिए बोला।

शाम को जब मोहन रमेश के घर आया तो दीया को एक गिलास देने के लिए कहा। अंकल पानी पी लीजिए दीया ने कहा।

मोहन जल्दबाजी में था क्योंकि उसको फाइल लेकर दोबारा आफिस जाना था। उसने आधा गिलास पानी पिया और गिलास मेज पर रख दिया।

दीया की अध्यापिका ने आज उसे पानी का महत्व बताया था वह उसे याद आते ही उसने मोहन को तुरंत टोका "अंकल पानी पूरा पीजिए ,वरना पानी वेस्ट जाएगा।"

मोहन ने कहा " नहीं बेटा मुझे इतना ही पानी चाहिए था, सो मैंने ले लिया।"

दीया ने कह "अंकल यह थोड़ा-थोड़ा पानी ही तो हम सब बबाद करते हैं। आज मेरी अध्यापिका ने बताया जितना पानी पीना हो सिर्फ उतना ही गिलास लो।

मोहन ने दीया के कंधे पर हाथ रखते कहा शाबाश !तुम्हारी मैम ने बहुत अच्छा सिखाया। अभी मैं जल्दी में हूं।बाद में मिलता हूं। दीया कहा अंकल पानी पी लीजिए ,वरना पानी खराब होगा और किसी ओर के पीने लायक भी नहीं रहेगा। पानी हमारा जीवन है और यह धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।

छोटे छोटे कदम बढ़ा कर ही तो हम अपने लिए व अपने परिवार के लिए पानी को बचा सकेंगे।

मोहन दीया की यह बात सुनकर बहुत प्रभावित हुआ।मन की दीवारों पर

तुझे हथौड़ा पीटना है।



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