नया संदेश
नया संदेश
पौ फटते ही वो घर से निकल कर समुद्र के किनारे बने उद्यान में आ जाता जहाँ रोज की तरह चिड़ियाँ उसका इंतजार कर रही होतीं । बड़े प्रेम से वह उनको दाने डालता और चिड़ियाँ बेखौफ आकर उसके हाथों पर बैठ जाती और उसके हाथों से ही दाना चुगने लगतीं । पिछले कई वर्षो से यही तो उसके अकेलेपन के साथी थे।
चिड़ियों को भरपेट दाना देने के बाद वह समुद्र की ओर निकल जाता और समुद्र की तेज लहरों के साथ किनारे पर आए हुए छोटे-छोटे समुद्री जीव जंतुओं को अपने हथेलियों का सहारा देकर पानी में वापस डाल देता। तब तक करता जब तक कि थक नहीं जाता। फिर वही रेत पर बैठकर घंटों आसमान की ओर निहारता।
आज सुबह जब वह नित्य की भांति अपने कार्य में लगा हुआ था ,उसने कुछ ही दूरी के फासले पर एक नौजवान को देखा जो कि उसका ही अनुसरण कर किनारे बह आए जीव जंतुओं को उठाकर वापस पानी में डाल रहा था ।
"अंकल ! मैं रोज जोगिंग करने आता हूँ और आपको इस तरह सेवा करता देख मुझे भी प्रेरणा मिलती है। आपको इसकी प्रेरणा कहाँ से मिली? "
"दो बेटे है, परदेश में रहते हैं .. और पत्नी कुछ वर्ष पूर्व अकेला छोड़ कर चली गई उसके जाने के बाद जीवन शिथिल और नीरस हो गया।एक सुबह घूमता हुआ यहाँ आया और मेरी नजर लहरों के साथ किनारे पर आए हुए जीव जंतुओं पर पड़ी। जिन्हे किनारों पर तड़पते देखा.. और उन्हें उठाकर पानी में वापिस डाल दिया। मेरे मन को बहुत सुकून मिला। फिर धीरे-धीरे मेरा रोज का यही सिलसिला हो गया। उन्हें नया जीवन देकर जो आत्म संतुष्टि मिलती है मुझे पूरे जीवन में नहीं मिली।"
उसने उस नवजवान की ओर शांतचित भाव से देखते हुए कहा।
"बहुत ही नेक कार्य है। जिंदगी अब सही मायने में जी रहे है आप।"
"हाँ तुमने ठीक कहा।"
"..पहले रोज शाम को यहाँ आता और घंटे डूबते सूरज से अपने अस्त होने की कामना करता। पर अब उगते हुए सूरज से यही प्रार्थना करता हूँ कि मेरी आयु को अब बढ़ा देना, ताकि मैं प्रकृति के अनमोल रत्न इन जीव जंतुओं की और सेवा कर एक नया जीवन दे सकूं ।"उसकी बात सुनते हुए उस नवजवान ने ऊपर उगते हुए सूरज की लालिमा की ओर देखा जो अब एक नया संदेश सुना रही थी।