Dilip Kumar

Abstract

4.2  

Dilip Kumar

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नया मकान

नया मकान

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अयोध्यालाल ने गाँव में नया मकान बना लिया। आप पेशे से हलवाई हैं। आपकी दुकान का सिंघाड़ा समोसा अपेक्षाकृत काफी बड़ा होता है। मसलन एक समोसा सुबह के नाश्ते के लिए काफी है। लोग अक्सर चाय-सिंघाड़े के लिए इनकी दुकान पर आते रहते हैं। मैं भी गाँव मे अपना मकान बनाना चाहता था; नया नहीं, बल्कि पुराने पुश्तैनी मकान का जीर्णोद्धार करा कर, लेकिन बालू, छरी, सीमेंट और ईंटों की आपूर्ति में हमेशा कमी पड़ जाती।

ठीक से बात नहीं पा रहा कि कौन हमारे घर के सामने से बालू, छरी, सीमेंट और ईंटों पर अपने हाथ साफ कर रहा था। लेकिन अयोध्यालाल ने अपना मकान बना लिया। इन्होंने वस्तु-विनिमय प्रणाली अपनाई और एक ईंट के बदले एक लौंगलता की घोषणा कर दी थी। फिर क्या था, बच्चे-बूढ़े जवान सभी ईंट ढूंढते नजर आने लगे। अब कोई पैसे लेकर नहीं जाता, ऑनलाइन पेमेंट की भी आवश्यकता नहीं। लेकिन मेरा मकान नहीं बन पा रहा है।

मेरा ही नहीं, सरकारी जर्जर विद्यालय भवन से भी लोगों ने ईंटें खिसकाना शुरू कर दिया है। आज अयोध्यालाल की स्कीम चल निकली, मेरा मकान तो नहीं बना, लेकिन गाँव के बाकी मकानों का क्या होगा। अगली स्कीम आनेवाली है - घर के दरवाजे और किवाड़ वाली स्कीम !


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