Bindiya rani Thakur

Inspirational

4.2  

Bindiya rani Thakur

Inspirational

नया जन्म

नया जन्म

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आज अचानक से बाजार में पुरानी दोस्त मिल गई, "सलोनी" आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्तित्व लिए! उसे देखते ही मैं तो दंग रह गया, जिसे सब 'कारी- कारी' पुकारते थे, वह आज इतनी निखरी निखरी लग रही थी कि मेरी नजरें हटाए नहीं हटती थीं। एक वह वक्त था जब वह मन ही मन में मुझे चाहती थी, मैंने उसकी आँखों में देखा था, लेकिन मुझे तो सनाया पसंद थी, आधुनिक और आजाद ख्याल!

मुझे लगा सलोनी मुझे पहचानेगी भी नहीं लेकिन मैं गलत था, सलोनी ने ना सिर्फ पहचाना ही बल्कि पहले की तरह बेझिझक बातें भी करने लगी, उसने बताया कि स्नातक की पढ़ाई के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और माँ बाबा शादी के लिए दबाव बनाने लगे, उसने भी हामी भर दी, पर जो भी रिश्ता आता रंग रूप के कारण उसे ठुकरा कर चला जाता और एक दिन उसने तंग आकर लड़के वालों के सामने खूब हंगामा खड़ा कर दिया, आखिर माँ बाबा ने भी शादी के लिए कहना बंद कर दिया।

वह घर से ही प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने लगी थी, वह जी-जान से जुट गई दो साल के कड़े परिश्रम एवं अथक प्रयास से उसे सफलता मिल ही गई। वह आई ए एस के लिए चुन ली गई!

आज उसके पास इतने रिश्ते आते हैं ,लेकिन वह शादी करना ही नहीं चाहती है। 

मैंने पूछा," किसी का इंतजार कर रही हो क्या?"

उसने कहा," मैंने तो इंतजार और प्यार किया था, लेकिन वह प्यार किसी और के नसीब में लिखा था।"( वह मेरे बारे में ही कह रही थी)

"मैंने एक लड़की को गोद लिया है और अब वही मेरी दुनिया है, उसने कहा।"

फिर वह मेरे बारे में पूछने लगी मैं क्या कहता! "मैं ने तो हीरे को छोड़ पत्थर को चाहा था, शादी की सारी तैयारियां हो गई थी और वह किसी और की हो गई।"(सनाया के बारे में सोचकर मेरा मन कड़वाहट से  भर गया।)

मैंने सलोनी को उसकी दुनिया में खुश रहने दिया और अलविदा कह कर आगे बढ़ गया।


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