नया चाकू
नया चाकू
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कब कौनसी वस्तु कितनी खुशी दे जाए, ये तो परिस्थियाँ तय करती है या व्यक्ति की सोच। ज्यादात्तर प्रत्येक व्यक्ति की सोच नया घर, नई गाड़ी और वैभवशाली जीवन जीने की वस्तुओं को प्राप्त करने की होती है और उनकी खुशियाँ भी इन्ही सब वस्तुओं के इर्द गिर्द घूमती है।परन्तु ये बात भी तय है कि जरूरत की हर नई वस्तु हमेशा खुशी देनी वाली होती है।
खैर... घर से दूर नौकरी ने मुझे अजीबोग़रीब अनुभव और खुशियाँ प्रदान की। जिन्हें मैं अक्सर भावनाओं से सिंचित कर व्यक्त करने की कोशिश करता हूँ। गृह जिले से दूर रहने के कारण अपना भोजन स्वयं बनाते हुए आज एक नया अनुभव हुआ l कुछ दिन पहले सब्जी छिलने वाला चाकू टूट गया तो कल बिग बाजार से नया चाकू खरीदा। आते वक्त सब्जी बाजार से अगले दिन के लिए आलू, मूली और गाजर आदि सब्जियाँ खरीद ली।आज सुबह रसोई घर में जा कर जैसे ही सब्जी बनाने के लिए गाजरें उठायी तो छिलने वाला नया चाकू याद आया। रसोई घर में ही पड़े थैले में से चाकू बाहर निकाला। उस पर लगी प्लास्टिक की नई पैकिंग को हटा कर जैसे ही नया चाकू हाथ में लिया तो एक सुखद अहसास हुआ। काले सफेद रंग की प्लास्टिक की नरम मुलायम सी डंडी हाथ के लिए बहुत ही सहज और सुखद प्रतीत हो रही थी।कुछ देर हाथ मे पकड़ कर निहारने के बाद जब गाजरें छीलना शुरू किया तो तेज धार वाला चाकू सब्जी पर ऐसे चल रहा था जैसे सीधी सपाट सड़क पर नई मर्सिडीज दौड़ रही हो। तेज दौड़ती कार के पीछे जिस प्रकार टायर के निशान छूट जाते है उसी तरह बिना जोर दबाव के चाकू गाजर को छीलता जा रहा था और लंबे लंबे छिलके उतरते जा रहे थे। पहली बार सब्जी छीलने में भी आनन्द की अनुभूति हो रही थी। इस आनंददायीं अनुभूति के चलते पता ही नहीं कब आधा किलो गाजर, एक किलो मूली और टोकरी में पड़े सब आलू छील डाले। जब टोकरी खाली हुई तब होश आया कि बेटा सब्जी तो अकेले आदमी की बनानी थी और छील दी पूरे परिवार के लिए।
मन ही मन अपने इस अजीबोगरीब कृत्य के लिए हंस दिये। फिर सब्जी बनाने के लिए आलू गाजर को अलग कर शेष मूली और गाजर को लम्बा काट दिया और सलाद के रूप में उपयोग के लिए छोड़ दिया।
सोचता हूँ खुशी का कोई ठिकाना, कोई पैमाना नहीं होता। छोटी से छोटी वस्तु भी व्यक्ति को असीमित खुशियां दे जाती है। बस शर्त ये है कि आपका मन तैयार हो इन छोटी वस्तुओं में भी खुशियाँ खोजने के लिए।