नन्ही शुरुआत

नन्ही शुरुआत

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पति की अकस्मात मौत से प्रिया अकेली हो गयी थी।शाम को ऑफिस से घर आ रही थी तो गटर के पास एक मासूम के रोने की आवाज़ ने उसे झकझोर दिया ,पास जाकर देखा तो बुखार में तपते बच्चे को कोई रोता -बिलखता छोड़ गया था , उससे रहा न गया और बच्चे को कुछ सोचकर अपने सीने से लगा लिया " आज से मेरे जीवन की तू एक नन्ही शुरुआत , मेरा बेटा बनेगा ना" प्रिया मन ही मन बुदबुदायी और बच्चे की छोटी सी हथेली ने उसे थामना चाहा तो इसी को मौन स्वीकृति समझ उसे अपना लिया।


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