Rashmi Sinha

Inspirational

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Rashmi Sinha

Inspirational

नंदिनी

नंदिनी

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नंदिनी प्रतियोगी परीक्षा देकर बाहर निकली, सामने से मधु आते हुए दिखी, दोनों एक दूसरे को देख कर खुश हो गए और गले लग गए। नंदिनी और मधु कालेज में साथ पढ़ाई किए। मधु ने कहा कि "हम लोग बहुत सालों बाद मिले हैं न। ये क्या हाल ‌बना रखी है ॽ कितनी कमजोर लग रही है। ॔फिर मुस्कुरा कर कहा ॓ओ मेरी खिली खिली गुल कुम्हला क्यों गयी। देख मुझे फूल कर गुब्बारा हुए जा रही हूँ।"

नंदिनी फीकी मुस्कान से कहा कि "मैं ठीक हूं।"

मधु ने कितनी बातें कह डाली कितनी प्रश्न की। नंदिनी के हावभाव से मधु को संदेह हुआ।  और सोचने को मजबुर हो गई कि ॔जब से वो बोले जा रही है और नंदिनी चुप है। जबकि चुप रहना उसका स्वभाव नहीं है। रोते को हंसा लें इतनी खुशमिजाज लड़की है आज गुमसुम है। मैंने परेशानी को हवा में उड़ाकर जीना इसी से सिखा है और आज वो परेशान दिख रही है।॓ दोस्तों में यही खास बात होती है कि बिना बोले मन के तकलीफ़ का आभास हो जाता है। नंदिनी घर जाने के लिए परेशान थी पर मधु ने उसे काॅफी हाऊस ले कर आईं और कहा कि "चल तेरी पसंद की जूस मंगाते हैं।" नंदिनी ने कहा कि "नहीं तेरी पसंद की इलाइची वाली चाय।" मधु आंखों के इशारे से छेड़ते हुए कहा "चाय पीना सीख गई।" पर नंदिनी मुसकुरा दी। मधु ने दो कप चाय मंगाई। हाथ पकड़ कर मधु ने बड़े ही प्यार से पूछा तब नंदिनी अपने आप को रोक नहीं पाई और रो पड़ी । मधु ने उसके पीठ थपथपाया और रोने दिया जिससे मन हल्का हो जाए। पर मधु का मन घबरा रहा था। कुछ देर में शांत हो कर नंदिनी ने कहा कि "अमर ने मुझे तलाक दे दिया है और उसने दूसरी लड़की से शादी कर ली।" मधु चौक जाती है और नाराज होकर कहा कि "तलाक दे दिया का क्या मतलब है। उसने मांगा, तूने दे दिया। बड़ी दानवीर है। पहले शादी फिर तलाक कोई खेल है, जिन्दगी से जुड़ी चीजें हैं। तुम मंजूर नहीं करती तो क्या कर लेता। उन लोगों के इस रिश्ते का पहले ‌पता नहीं चला, घर वाले ‌कुछ नहीं किए। इतना अंंधा विश्वास कैसे कर सकती है। "  

मधु की बातें सुन नंदिनी का दर्द रीस पड़ा। दोस्तों के सामने मन का दर्द तेजी से उफान मारता है सो नंदिनी ने बताया कि "शादी ‌के बाद वो तो अपने घर गृहस्थी में व्यस्त और खुश थी।  उसे क्या चाहिए, भरा-पूरा और खुशहाल परिवार जो कि उसके पास था। सास, ससुर उसे प्यार करते। नन्द और देवर अच्छे हैं। समय आने पर दो प्यारे बच्चे आ गए। जिनके साथ रात से दिन, दिन से रात कब ‌होता पता नहीं चलता था। एक दिन पता चला कि अमर के जीवन में कोई दूसरी लड़की है तब मैं अपमान और धोखे से टूट गयी। अमर के साथ अटूट विश्वास से जीवन शुरू की, मैं क्या जान रही थी कि कांच के घर में रह रही हूँ।"

 अपनी गृहस्थी बचाने के लिए बहुत संघर्ष की पर हार गई। सास, ससुर बुजुर्ग है बहुत दुखी हुए, क्या कर सकते हैं बिचारे। एक उम्र के बाद जीवन एक व्यवस्था में चलता है तो ही ठीक रहता है। पोता पोती में व्यस्त रहते और बच्चे दिन भर उनके पास रहते दवा मेरी बेटी यशस्वी ही देती थी, आज भी फोन करके पूछती कि "दवा लिए।' मेरा बेटा निहाल उनके बहुत से काम में मदद कर देता।

पति पत्नी का रिश्ता विश्वास के नाजुक डोर से बंधा होता है वो टूटा तो सब खत्म हो गया। 6 साल की बेटी यशस्वी और 10 साल का बेटा निहाल हमारे बीच पीस रहे थे। हमारे बीच जब भी झगड़ा होता बिचारे सहम जाते, मेरे मासूम बच्चे घबराए हुए थे कि उनके पापा गुस्से में क्यों है, मम्मी क्यों रो रही है, घर पर कोहराम क्यों मचा हुआ है। मोहल्ले में बच्चों के साथ निहाल खेलने गया  तो बच्चे मेरे और अमर के बारे में कुछ कह दिए, निहाल मार पीट कर आया। यशस्वी और निहाल के मन में तरह-तरह के सवाल आने लगे और मासूम मन तलाक क्या है समझने लगे। कोई उनके पापा को कहे या मां को, चोट मासूम मन को सहना है। मेरे बच्चों का क्या दोष है।"

नंदिनी को बीच में रोक कर मधु ने पूछा कि "बच्चे कहां है ॽ" 

नंदिनी ने कहा कि "मेरे ‌पास है। "

उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई । फिर उसने कहा कि अमर बच्चों से बहुत प्यार करता है और मैं जानती थी वो मुझसे लेने की कोशिश करेगा। हर रिश्ते की अपनी मिठास है, मेरे बच्चे उससे वंंचित हो गए। मैंने ठान लिया कि उनके जीवन में सौतेला शब्द कभी नहीं आएगा। अमर ने बच्चों के संरक्षण के लिए आवेदन लगाया। कहा कि "नंदिनी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और आय का साधन नहीं है इसलिए बच्चे इसके पास सुरक्षित नहीं है।" मुझे बच्चों को लेकर कोर्ट जाना था उस दिन मैं अपने आंसू पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी, तब निहाल समझाता कि "मां मैं और यशी आपको छोड़ कर नहीं जायेंगे। आप कभी नहीं घबराना। "

कोर्ट में मेरा नन्हा बच्चा मुझे सम्हाल रहा था और अपने नन्हे हाथ से थपकी देकर हिम्मत देता। अपने पापा को देख कर यशस्वी उनके पास जाने के लिए उत्सुक हो गई थी निहाल ने रोका। उसके भी मन में कुछ तो भाव आया होगा। तभी मेरे मन में आया कि "मैं मां हूं और कुछ नहीं। मां सिंहनी होती है। मेरे लिए कोई काम असम्भव नहीं है। अब कभी नहीं रोना है। "

कुछ देर दोनों सहेलियां चुपचाप बैठी। फिर नंदिनी मुंह में पानी का छींटा मार कर आयी

मधु ने पूछा कि "आगे क्या सोचा है।"

नंदिनी ने कहा कि "प्रतियोगी परीक्षा दे रही हूँ। अब "महिला बाल विकास अधिकारी" की परीक्षा है।

मधु ने कहा कि "मैं कालेज में प्रोफेसर हूँ। तुझे पुस्तक की कमी नहीं होगी। राखी भी यही है, हम तीनों मिलकर परीक्षा की तैयारी करेंगे और तुम पहली बार में ही निकाल लोगी।"

नंदिनी परिक्षा की तैयारी में जुट गई पर छूटी हुई पढ़ाई होने से परेशानी होनी थी। पहले बच्चों को उनकी मां आसानी से मिल जाती अब कमरे में बंद हो कर पढ़ाई कर रही है। एक दिन यशस्वी ने ज़िद किया कि ॔ मम्मी हम सभी के साथ टी वी देखो।॓ नंदिनी को पढ़ाई में तेजी लाना फिर याद रखना कठिन लगता, सहेलियां एक एक विषय लेकर चर्चा की जिससे याद रखने में सहायता मिली और पढ़ने में मन लगाने लगा। परिक्षा जैसे जैसे नजदीक आने लगी नंदिनी  भावनात्मक रूप से टूटने लगी । एक दिन पढ़ते पढ़ते नंदिनी की आंख लग गई उसने सपने में देखा की ॔परिक्षा हाल में बैठी है और हाथ में प्रश्नपत्र है पर एक भी प्रश्न का उत्तर नहीं लिख पा रही है।॓ तुरंत ही उसकी आंख खुल गई। नंदिनी घबरा कर पढ़ने लगी किन्तु उसे रोना आ  रहा था अपने आंसु को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी तभी नंदिनी की भाभी पहुंच गई । नंदिनी ने रोते हुए कहा कि ॔ मैं आप सबके साथ अन्याय तो नहीं कर रही हुं।॓॓भाभी ने समझा कर शांत किया। दुसरे दिन बेटे ने जबरन टहलाने ले गया पर नंदिनी का ध्यान घड़ी पर था। अमर की मां ने भी हिम्मत दी।

नंदिनी ने परिक्षा पास कर ली। महिला बाल विकास अधिकारी बनने के बाद अपने दोनों माता पिता को बुलाया और बच्चों को सौंप कर कहा कि "अब आप लोग अपनी बेटी के पास रहिए।" 

नंदिनी बाल विवाह और अशिक्षा के विरुद्ध अभियान चलाया है। महिला निकेतन में उन्हें शिक्षित करने और महिलाओं को उद्योग से जोड़ने की कोशिश कर रही है। 

बच्चों को खुश देखकर नंदिनी संतुष्ट ‌हो गई।


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