Sushma Tiwari

Abstract

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Sushma Tiwari

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नकली रंग

नकली रंग

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"मुंह लटका कर मत आया करो पार्टीज में, पता है तुम्हें पसंद नहीं पर मेरी इज्जत का ख्याल तो रखा करो" संजीव बड़बड़ाता हुआ सो गया।

तुम्हारे शब्दों के बाण ही तो छलनी कर देते हैं.. नकली लोगों की नकली महफिलें, थक गई हूं जोकर जैसे चेहरे को रंग कर नकली हंसी लिए घूमते घूमते। कुछ नकली रंग उधार देदो ताकि मैं भी उन्हें ओढ़ कर बिना तकलीफ तुम जैसी बन जाऊँ.. तुम्हें जीने की वजह बनाया था काश तुम मेरी हंसी की वजह भी बन जाते !


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