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नजरिया -2

नजरिया -2

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कल तक वो उसके और उसके परिवार के लिये बहुत कुछ थी, उसके सुख दुख की साथी, उसकी मार्गदर्शक, उसकी हमदर्द, उसकी सबकुछ ।

कल ही तो गया था विश्वास एक तान्त्रिक के पास घर की परेशानी ले कर ।

"वो एक बुजुर्ग औरत है, आपके घर काफी आना जाना है, हाँ शनिवार को अक्सर कुछ खाने का दे जाती है, वही है आपकी परेशानी का कारण ।"

यही कहा था तान्त्रिक ने ।

ये सच था या नहीं, पर उसके प्रति विश्वास के नजरिये में फर्क आ गया था । उसका मीठा बोलना साज़िश और बार-बार आना भेद लेना लगने लगा था ।


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